भारत की 16वीं जनगणना (2026-27)

  1. भारत की 16वीं जनगणना (2026-27) (16th Census of India (2026-27))
  2. मूलभूत जानकारी:
    • आयोजक: भारत सरकार (गृह मंत्रालय के अंतर्गत महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा संचालित)
    • कानूनी आधार: जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990; संविधान की सातवीं अनुसूची (संघ सूची, प्रविष्टि 69)।
    • अंतिम जनगणना: 2011 (कोविड-19 के कारण 2021 की जनगणना स्थगित)
  3. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • 1872: पहली गैर-समकालिक जनगणना (ब्रिटिश काल)।
    • 1881: पहली पूर्ण समकालिक जनगणना (C. Plowden के नेतृत्व में)
    • 2026-27: स्वतंत्र भारत की 8वीं और कुल 16वीं जनगणना।
  4. प्रमुख नवाचार एवं विशेषताएँ:
    • पहली डिजिटल जनगणना:
      • मोबाइल एप्लिकेशन: कागजी फॉर्म की जगह डिजिटल डेटा संग्रह।
      • स्व-गणना पोर्टल: नागरिक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के डेटा को ऑनलाइन अपडेट कर सकेंगे।
    • जाति-आधारित जनगणना:
      • 1931 के बाद पहली बार: सभी जातियों (OBCs सहित) के आंकड़े एकत्र किए जाएँगे।
      • राजनीतिक एवं सामाजिक प्रभाव: आरक्षण नीतियों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए डेटा आधार।
    • दो-चरणीय प्रक्रिया:
      • चरण-। (मकान सूचीकरण): आवास, स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं का डेटा।
      • चरण-॥ (जनसंख्या गणना): जनसांख्यिकी, शिक्षा, आजीविका और जाति से संबंधित विवरण।
    • संदर्भ तिथियाँ:
      • 1 अक्टूबर, 2026: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल जैसे हिमाच्छादित क्षेत्र।
      • 1 मार्च, 2027: शेष भारत।
  1. तैयारी एवं प्रशासनिक पहल:
    • 30 लाख गणनाकारों का प्रशिक्षण: डिजिटल उपकरणों और प्रोटोकॉल पर विशेष फोकस।
    • परिसीमन प्रभाव: 2026 के बाद लोकसभा/विधानसभा सीटों का सीमांकन 1971 के बजाय 2026 की जनसंख्या के आधार पर होगा।