2024 Internet Shutdown Report: Growing concerns in India and global implications

2024 इंटरनेट शटडाउन रिपोर्ट: भारत में बढ़ती चिंताएं और वैश्विक प्रभाव

एडवोकेसी संस्था ‘एक्सेस नाउ’ द्वारा जारी की गई ‘इंटरनेट शटडाउन रिपोर्ट, 2024’ में यह बताया गया है कि 2024 में वैश्विक इंटरनेट शटडाउन की संख्या रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गई है। खासकर लोकतांत्रिक देशों में भारत शीर्ष पर है, जहाँ इंटरनेट शटडाउन की संख्या सबसे अधिक रही है। इस रिपोर्ट में इंटरनेट शटडाउन के कारण, प्रभाव और इसके मानवाधिकारों पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा की गई है।

2024 में इंटरनेट शटडाउन की वैश्विक स्थिति

  • कुल शटडाउन: 2024 में 54 देशों में कुल 296 इंटरनेट शटडाउन दर्ज किए गए, जो 2023 में हुए 283 शटडाउन से अधिक हैं।
  • भारत का योगदान: भारत में 84 शटडाउन हुए, जो किसी भी लोकतंत्र में सबसे अधिक हैं।
  • अन्य प्रमुख देशों का योगदान: म्यांमार (85), पाकिस्तान (21), और रूस (19) ने भी शटडाउन के मामलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, और इन चार देशों का कुल योगदान 71% था।

मानवाधिकार संबंधी चिंताएं

  • मानवाधिकार उल्लंघन: इंटरनेट शटडाउन के 72 मामले गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े थे। इनमें युद्ध अपराध, पुलिस क्रूरता, और हवाई हमले शामिल थे।
  • शटडाउन से जुड़ी कई घटनाओं ने नागरिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

भारत में इंटरनेट शटडाउन का विश्लेषण

भारत में 2024 में कुल 84 इंटरनेट शटडाउन दर्ज किए गए, जो लोकतांत्रिक देशों में सबसे अधिक थे। इन शटडाउन का मुख्य कारण थे:

  • विरोध प्रदर्शन
  • चुनाव
  • सांप्रदायिक हिंसा
  • परीक्षाओं के दौरान सुरक्षा

भारत में इंटरनेट शटडाउन के कानूनी प्रावधान

भारत में इंटरनेट शटडाउन के लिए एक कानूनी ढांचा है, जिसे दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत नियंत्रित किया जाता है:

  • निलंबन आदेश: इन आदेशों में विस्तृत औचित्य, भौगोलिक दायरा, और प्रभावित सेवाओं की जानकारी शामिल होनी चाहिए।
  • निलंबन की अवधि: यह 15 दिनों से अधिक नहीं हो सकती है।
  • आदेश जारी करने का अधिकार: यह आदेश केंद्रीय गृह सचिव या राज्य सरकार के गृह विभाग के प्रभारी सचिव द्वारा जारी किया जा सकता है।
  • CrPC की धारा 144: इस धारा का उपयोग इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए किया जाता है।
  • अनुराधा भसीन वाद (2020): सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि इंटरनेट पर प्रतिबंध अस्थायी, वैध, आवश्यक और आनुपातिक होना चाहिए।

इंटरनेट शटडाउन के प्रभाव

1. आर्थिक नुकसान

  • 2024 में भारत को 322 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
  • Top10VPN रिपोर्ट के अनुसार, शटडाउन के कारण व्यापार, उद्योग और डिजिटल सेवाओं को गंभीर नुकसान हुआ।

2. मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

  • अनुराधा भसीन वाद (2020) के तहत सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि अनिश्चितकालीन इंटरनेट शटडाउन असंवैधानिक हैं, क्योंकि ये नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

3. व्यापार और शिक्षा पर प्रभाव

  • व्यापार पर असर: इंटरनेट शटडाउन से डिजिटल व्यापार प्रभावित होते हैं, खासकर छोटे व्यापारी जो ऑनलाइन भुगतान पर निर्भर हैं।
  • शैक्षिक बाधाएं: फाहीमा शिरीन बनाम केरल राज्य (2019) में न्यायालय ने यह कहा था कि इंटरनेट का उपयोग शिक्षा के अधिकार और निजता के अधिकार का हिस्सा है। शटडाउन से छात्रों की पढ़ाई में रुकावट आती है।

निष्कर्ष

भारत में बढ़ती इंटरनेट शटडाउन की संख्या और इसके मानवाधिकारों, व्यापार और शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव गंभीर चिंता का विषय हैं। शटडाउन के कारण न केवल नागरिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, बल्कि देश की आर्थिक और शैक्षिक संरचना भी प्रभावित होती है। इसलिए, सरकार और कानूनी संस्थाओं को इंटरनेट शटडाउन के मामलों में संवेदनशील और समान्य नीति अपनाने की आवश्यकता है।