औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP): जुलाई 2025 में 3.5% की वृद्धि

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP): जुलाई 2025 में 3.5% की वृद्धि

भारत की आर्थिक प्रगति का आकलन करने के लिए कई संकेतक उपयोग किए जाते हैं। इनमें से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production – IIP) एक प्रमुख सूचक है। हाल ही में जुलाई 2025 के आँकड़े जारी हुए, जिनमें औद्योगिक उत्पादन में 3.5% की वृद्धि दर्ज की गई है।


औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) क्या है?

  • परिभाषा: IIP एक ऐसा सांख्यिकीय सूचकांक है, जो विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादन स्तर को दर्शाता है।

  • जारी करने वाली संस्था: इसका संकलन केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा किया जाता है।

  • आवृत्ति: इसे हर महीने जारी किया जाता है।

  • आधार वर्ष: वर्तमान में इसका आधार वर्ष 2011-12 है।


जुलाई 2025 के मुख्य निष्कर्ष

  • औद्योगिक उत्पादन में 3.5% की वृद्धि

  • यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता और मांग में सुधार का संकेत है।

  • खासकर निर्माण (manufacturing), बिजली उत्पादन (electricity) और खनन (mining) जैसे क्षेत्रों में सकारात्मक रुझान देखने को मिले।


IIP के प्रमुख घटक

IIP को तीन प्रमुख क्षेत्रों में बाँटा गया है:

  1. खनन (Mining)

  2. निर्माण (Manufacturing)

  3. बिजली (Electricity)

इसके अलावा इसे उपयोग-आधारित वर्गीकरण (Use-Based Classification) के आधार पर भी देखा जाता है, जैसे–

  • प्राथमिक वस्तुएं (Primary Goods)

  • पूंजीगत वस्तुएं (Capital Goods)

  • उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer Goods)

  • अवसंरचना एवं निर्माण संबंधी वस्तुएं


IIP का महत्व

  • आर्थिक स्वास्थ्य का सूचक: यह देश की औद्योगिक और उत्पादन गतिविधियों की स्थिति बताता है।

  • नीति निर्माण: सरकार और रिज़र्व बैंक मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों के लिए IIP के आँकड़ों का उपयोग करते हैं।

  • GDP अनुमान: तिमाही और वार्षिक GDP की गणना में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


निष्कर्ष

जुलाई 2025 में 3.5% की वृद्धि दर्शाती है कि भारत का औद्योगिक क्षेत्र धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। यह संकेत है कि निवेश और मांग दोनों में सुधार हो रहा है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और घरेलू चुनौतियों के कारण इस क्षेत्र में निरंतर निगरानी और प्रोत्साहन की आवश्यकता बनी रहेगी।