भारतीय सशस्त्र बलों के लिए CDS द्वारा जारी 3 संयुक्त सिद्धांत

भारतीय सशस्त्र बलों के लिए CDS द्वारा जारी 3 संयुक्त सिद्धांत

(Joint Doctrines for Indian Armed Forces)

प्रस्तावना

भारत की सुरक्षा चुनौतियाँ बहुआयामी और जटिल होती जा रही हैं—जमीनी मोर्चे से लेकर समुद्री सीमाओं तक, वायु क्षेत्र से लेकर अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र तक। ऐसे में सशस्त्र बलों के बीच तालमेल, संसाधनों का साझा उपयोग और तेजी से बदलती परिस्थितियों में अनुकूलन की क्षमता अनिवार्य है।
इसी दृष्टि से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने हाल ही में तीन महत्वपूर्ण संयुक्त सिद्धांत जारी किए हैं, जो भारतीय सेनाओं को भविष्य के युद्ध और ऑपरेशनों के लिए और अधिक सक्षम बनाएंगे।


तीन संयुक्त सिद्धांतों का विवरण

1. विशेष बल (Special Forces: SF) ऑपरेशन्स के लिए संयुक्त सिद्धांत

  • इसमें थल सेना के पैरा-एसएफ, नौसेना के MARCOS और वायुसेना के गरुड़ कमांडो को एक साझा फ्रेमवर्क में लाने का प्रयास है।

  • उद्देश्य है – साझा समझ, शब्दावली और बुनियादी प्रक्रियाओं को एकीकृत करना।

  • इसमें डुप्लीकेशन को कम करने, भविष्य के हथियारों के अनुरूप प्रशिक्षण देने और स्थल, जल एवं वायु में कमांड एंड कंट्रोल स्ट्रक्चर को मजबूत बनाने पर ध्यान दिया गया है।


2. एयरबोर्न (AB) और हेलीबोर्न (H) ऑपरेशन्स के लिए संयुक्त सिद्धांत

  • थल सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वित हवाई ऑपरेशन्स पर फोकस।

  • योजना और क्रियान्वयन की प्रक्रियाओं को समान करके सैद्धांतिक कमियों को दूर करने का प्रयास।

  • इसमें आधुनिक एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, और मानवरहित हवाई वाहन (UAVs) को भी ऑपरेशन्स में शामिल किया गया है।

  • इससे आपातकालीन परिस्थितियों में तेज और समन्वित कार्रवाई संभव होगी।


3. मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स (MDO) के लिए संयुक्त सिद्धांत

  • यह सिद्धांत पारंपरिक स्थल, वायु और समुद्र के अलावा साइबर, अंतरिक्ष और संज्ञानात्मक (Cognitive) क्षेत्रों तक फैला हुआ है।

  • इसमें राष्ट्रीय सैन्य और गैर-सैन्य क्षमताओं को एक साथ लाकर “Whole-of-Nation Approach (WONA)” पर बल दिया गया है।

  • उद्देश्य है – राजनीतिक एवं सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सेना और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों (जैसे तकनीकी संस्थान, औद्योगिक क्षेत्र, कूटनीतिक तंत्र आदि) का संयुक्त उपयोग।


संयुक्त ऑपरेशन्स का महत्व

  1. संयुक्त परिचालन क्षमता (Joint Operational Capability):
    तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाकर दक्षता और प्रभावशीलता में वृद्धि।

  2. सहयोग और तालमेल (Synergy):
    साझा संसाधन और रणनीतियाँ अपनाने से ऑपरेशन्स अधिक कारगर बनते हैं।

  3. तकनीकी क्षमता (Technological Capability):
    आधुनिक तकनीक और हथियार प्रणालियों का संयुक्त रूप से प्रयोग संभव।

  4. रणनीतिक लचीलापन (Strategic Flexibility):
    बदलती सुरक्षा परिस्थितियों के अनुरूप त्वरित और प्रभावी कार्रवाई।


चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की भूमिका

  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण का मुख्य स्तंभ है।

  • वह चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का स्थायी अध्यक्ष होता है।

  • CDS रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करता है।

  • उसका मुख्य उद्देश्य है – तीनों सेनाओं की संयुक्त क्षमता का विकास और भविष्य के थियेटर कमांड सिस्टम को लागू करना।


निष्कर्ष

CDS द्वारा जारी किए गए ये तीन संयुक्त सिद्धांत न केवल भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भविष्य के युद्ध की रूपरेखा तय करते हैं, बल्कि देश की सामरिक मजबूती और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई दिशा भी देते हैं।
ये सिद्धांत सुनिश्चित करेंगे कि भारत की सेनाएँ एकीकृत, तकनीकी रूप से सशक्त और रणनीतिक रूप से लचीली बनें और किसी भी परिस्थिति में राष्ट्र की रक्षा कर सकें।