Scheme to establish Telemetric Weather Stations (TWS) in Bundelkhand and other drought prone tehsils

बुंदेलखंड और अन्य सूखाग्रस्त तहसीलों में टेलीमेट्रिक वेदर स्टेशन (TWS) स्थापित करने की योजना

📋 चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र के सात ज़िलों और राज्य की 100 सर्वाधिक सूखाग्रस्त तहसीलों में टेलीमेट्रिक वेदर स्टेशन (TWS) स्थापित करने की योजना की घोषणा की है। यह कदम सूखे की स्थिति की निगरानी और प्रभावी समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।


📝 मुख्य बिंदु:

  1. TWS का उद्देश्य:
    • तापमान, सौर विकिरण, वायु की गति जैसे महत्वपूर्ण जलवायु मापदंडों पर नज़र रखने के लिये TWS का उपयोग किया जाएगा।
    • इस डेटा के आधार पर सूखे से निपटने की रणनीतियाँ तैयार की जाएंगी, जिससे जल संसाधनों और फसल प्रबंधन में सुधार होगा।
  2. स्थापना का स्थान और दूरी:
    • प्रत्येक TWS को मौजूदा ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS) और ऑटोमैटिक रेन-गेज स्टेशन (ARG) से 7-10 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया जाएगा।
    • हर स्टेशन को 10 x 10 मीटर क्षेत्र में स्थापित करने की योजना है।
  3. बुंदेलखंड क्षेत्र के ज़िले:
    • इस पहल के तहत हमीरपुर, बांदा, ललितपुर, जालौन, झाँसी, महोबा और चित्रकूट ज़िलों में मौसम की निगरानी को प्राथमिकता दी जाएगी, क्योंकि ये क्षेत्र लगातार सूखे की चुनौतियों का सामना करते हैं।

AWS और ARG के बारे में:

  • ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS):
    • यह स्वचालित उपकरण है, जो मौसम संबंधी मापदंडों (तापमान, आर्द्रता, हवा की गति) की निगरानी के लिये उपयोग होता है।
    • इसका उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ मानव शक्ति की उपलब्धता कम होती है।
  • ऑटोमैटिक रेन-गेज स्टेशन (ARG):
    • यह विशेष स्टेशन वर्षा का सटीक डेटा स्वचालित रूप से मापता और प्रसारित करता है।
    • इसे मौसम विज्ञान निगरानी में उपयोग किया जाता है, ताकि वर्षा की स्थिति का निरंतर अवलोकन किया जा सके।

🌍 निष्कर्ष:

उत्तर प्रदेश सरकार का TWS परियोजना लागू करने का प्रयास जलवायु परिवर्तन और सूखे जैसी चुनौतियों से निपटने के लिये एक प्रगतिशील कदम है। यह न केवल बुंदेलखंड जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जल प्रबंधन और फसल उत्पादन को बेहतर बनाएगा, बल्कि मौसम आधारित पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन में भी सहायता करेगा।