
प्रधानमंत्री ने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के द्वारा डिजिटल कॉमर्स के क्षेत्र में क्रांति लाने की दिशा में की जा रही महत्वपूर्ण पहल पर जोर दिया है। ONDC एक सार्वजनिक ऑनलाइन नेटवर्क है, जो व्यापारियों और ग्राहकों को आपस में जुड़ने और एक दूसरे के साथ अंतर-संचालन करने की अनुमति प्रदान करता है। यह पहल भारत में ई-कॉमर्स के पारंपरिक मॉडल को बदलकर, अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
ONDC के बारे में विस्तृत जानकारी:
1. नोडल मंत्रालय:
- वाणिज्य महालय के तहत उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ONDC का नोडल मंत्रालय है, जो इसकी निगरानी और संचालन में जिम्मेदार है।
2. लॉन्च:
- ONDC को 2021 में एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अंतर्गत निगमित किया गया था।
3. उद्देश्य:
- इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र का लोकतांत्रिकीकरण करना है, ताकि छोटे और मध्यम व्यापारियों को भी इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर समान अवसर मिल सकें।
4. संस्थापक सदस्य:
- भारतीय गुणवत्ता परिषद और प्रोटीन ई-गाँव टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ONDC के संस्थापक सदस्य हैं।
5. कार्यप्रणाली:
- ONDC ओपन सोर्स पद्धतियों और प्रोटोकॉल्स का उपयोग करता है, जिससे विक्रेताओं, खरीदारों और सेवा प्रदाताओं, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए एक समान अवसर उपलब्ध कराया जाता है।
- यह किसी विशेष ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से स्वतंत्र है, यानी विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर पंजीकृत विक्रेता भी आपस में आसानी से इंटरएक्ट कर सकते हैं।
6. महत्त्व:
- ONDC के माध्यम से मूल्य निर्धारण में सुधार होता है और उपभोक्ताओं को विविध सेवा प्रदाताओं से सेवाएं प्राप्त होती हैं। इससे एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होती है, जो सभी के लिए फायदेमंद होती है।
7. आवश्यकता क्यों है:
- भारत में लगभग 12 मिलियन विक्रेता विक्रय या पुनर्विक्रय पर निर्भर हैं, लेकिन केवल 0.125% ही ई-कॉमर्स का उपयोग करते हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि डिजिटल कॉमर्स से बहुत कम विक्रेता जुड़ पाए हैं, और इस समस्या का समाधान करने के लिए ONDC का निर्माण किया गया है।
8. प्रमुख निवेशक:
- ONDC में कई प्रमुख निवेशक शामिल हैं, जैसे SBI, ICICI Bank, NSE, आदि, जो इसके विकास और सफलता के लिए आवश्यक वित्तीय समर्थन प्रदान करते हैं।
ONDC के मुख्य घटक:
1. विकेंद्रीकृत संरचना:
- ONDC पारंपरिक प्लेटफॉर्म्स की तरह ई-कॉमर्स सेवाओं का स्वामित्व या संचालन नहीं करता। यह केवल इंटरकनेक्टिविटी के लिए एक सक्षमकर्ता के रूप में कार्य करता है। इसका उद्देश्य विक्रेताओं और ग्राहकों के लिए खुले बाजार की स्थिति उत्पन्न करना है।
2. ओपन प्रोटोकॉल्स:
- ONDC ओपन प्रोटोकॉल्स का पालन करता है, जो सुनिश्चित करता है कि ई-कॉमर्स के बाजार में मौजूद विक्रेता और क्रेता, चाहे वे किसी भी प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हों, आपस में लेन-देन कर सकें।
3. भूमिका का पृथक्करण:
- ONDC में विभिन्न भूमिकाओं का स्पष्ट रूप से पृथक्करण किया गया है, जैसे क्रेता एप्लिकेशन, विक्रेता एप्लिकेशन, और लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं की भूमिकाओं को परिभाषित किया गया है। यह संरचना यह सुनिश्चित करती है कि हर किसी का कार्य स्पष्ट हो और प्रक्रिया में कोई भ्रम न हो।
निष्कर्ष:
ONDC के द्वारा ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य न केवल बड़े व्यापारियों को जोड़ना है, बल्कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी अवसर प्रदान करना है, ताकि वे ई-कॉमर्स के बढ़ते बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें। इससे भारतीय व्यापारियों को अपनी पहुंच बढ़ाने और उपभोक्ताओं को बेहतर मूल्य और विविधता प्रदान करने में मदद मिलेगी।