पर्यावरण संरक्षण (प्रयोग की अवधि समाप्ति वाले वाहन) नियम, 2025
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने “पर्यावरण संरक्षण (प्रयोग की अवधि समाप्ति वाले वाहन) नियम, 2025” को अधिसूचित किया है। ये नियम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होंगे।
प्रयोग की अवधि समाप्ति वाले वाहन (End-of-Life Vehicles)
एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स ऐसे वाहन हैं, जो निम्नलिखित श्रेणियों में आते हैं:
- जिनका पंजीकरण वैध नहीं रह गया हो।
- जिन्हें ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर द्वारा “अनफिट” घोषित किया गया हो।
- जिनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया हो।
नियमों के मुख्य बिंदु
किन पर लागू होंगे
ये नियम वाहनों की टेस्टिंग, हैंडलिंग, प्रोसेसिंग और एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स की स्क्रैपिंग में शामिल निम्नलिखित पर लागू होंगे:
- वाहन निर्माता।
- वाहन के पंजीकृत मालिक।
- पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्र (RVSF)।
- ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन।
किन पर लागू नहीं होंगे
ये नियम निम्नलिखित पर लागू नहीं होंगे:
- बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 के तहत आने वाली बैटरियां।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत आने वाली प्लास्टिक पैकेजिंग।
- खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमा पार आवागमन) नियम, 2016 के तहत आने वाले अपशिष्ट टायर और प्रयुक्त तेल।
- ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 के तहत आने वाला ई-अपशिष्ट।
निर्माताओं की जिम्मेदारियां
निर्माताओं को विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (EPR) के तहत जिम्मेदारी निभानी होगी। वे इसे निम्नलिखित माध्यमों से पूरा कर सकते हैं:
- स्वयं के पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्र (RVSF) के माध्यम से EPR प्रमाणपत्र प्राप्त करना।
- किसी अन्य संस्था के पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्र से EPR प्रमाणपत्र खरीदना।
EPR प्रमाणपत्र
- यह प्रमाणपत्र केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी किया जाएगा।
- इसे केंद्रीय ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग केंद्र (RVSF) के नाम पर प्रदान किया जाएगा।
पंजीकृत मालिक और थोक उपभोक्ता की जिम्मेदारियां
- एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स को 180 दिनों के भीतर किसी भी निर्माता के निर्धारित बिक्री आउटलेट, संग्रह केंद्र, या RVSF में जमा करना अनिवार्य होगा।
कार्यान्वयन समिति
- समिति का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अध्यक्ष इसके अध्यक्ष होंगे।
- समिति का उद्देश्य नियमों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा।
यह कदम पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।