28th Feb 2024 current affairs

Daily Interactive News (DIN)   For All Competitive Exam

  1. AI और खेती: भारतीय कृषि में एक नई क्रांति!
  2. NSO समय उपयोग सर्वेक्षण (TUS) 2024: भारत में समय के उपयोग का नया पैटर्न!
  3. मध्य प्रदेश: भारत में सबसे अधिक गिद्धों वाला राज्य
  4. सैन्य अभ्यास ‘जल-थल-रक्षा 2025’ – बेट द्वारका में आयोजित
  5. ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग रोडमैप 2025
  6. FAO की अपील: कृषि खाद्य प्रणालियों में जैव विविधता का संरक्षण
  7. भारत-अफ्रीका संबंध: विकास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी
  8. पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में प्रॉक्सी भागीदारी को समाप्त करने की पहल
  9. परिसीमन और दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें: प्रमुख बिंदु
  10. भारतीय विनिर्माण में गुणवत्ता सुधार: CII की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
  11. Short news
  • भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (BNP)
  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI)
  • मंगल ग्रह का रंग लाल
  • WHO FCTC
  • जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स या सामान्य परिवर्जनरोधी नियम

1. 🚜 AI और खेती: भारतीय कृषि में एक नई क्रांति! 🌾

📢 चर्चा में क्यों?

माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन सत्या नडेला ने हाल ही में महाराष्ट्र के बारामती में बताया कि AI तकनीक से खेती में बड़ा बदलाव आ रहा है। प्रोजेक्ट फार्म वाइब्स (PFV) के तहत खेती में 40% अधिक उत्पादन और कम लागत देखी गई है!


🌱 क्या है प्रोजेक्ट फार्म वाइब्स (PFV)?

👉 Microsoft Research और Agriculture Development Trust, Baramati ने मिलकर इसे बनाया है।
👉 यह AI आधारित खेती को बढ़ावा देता है और किसानों को स्मार्ट फैसले लेने में मदद करता है।

🛠 PFV के प्रमुख AI टूल्स:

🌍 AI टूल्स🔍 काम क्या करता है?🚀 फायदे
Azure डेटा मैनेजरउपग्रह, मौसम और सेंसर डेटा को जोड़ता हैबेहतर फसल पूर्वानुमान
FarmVibes.AIमिट्टी की नमी, तापमान और pH का विश्लेषण करता हैसटीक कृषि निर्णय
AgriPilot.AIकिसानों को स्थानीय भाषा में स्मार्ट सिफारिशें देता हैतकनीक + पारंपरिक ज्ञान का मेल

🚀 AI से भारतीय खेती को कैसे फायदा हो रहा है?

40% अधिक फसल उत्पादन
उर्वरकों की लागत में 25% कमी
जल खपत में 50% कमी
फसल बर्बादी में 12% कमी
पर्यावरणीय लाभ – ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में गिरावट


🌾 AI खेती को स्मार्ट कैसे बना रहा है?

🌟 AI टेक्नोलॉजी🛠 कैसे मदद करती है? लाभ
स्मार्ट सिंचाईमिट्टी की नमी और मौसम के हिसाब से पानी देनाजल की बचत, उत्पादन में बढ़ोतरी 💧
कीट प्रबंधनAI ड्रोन और सेंसर से कीटों की निगरानीकम कीटनाशक, अधिक उपज 🦗
डिजिटल किसान हेल्पAI चैटबॉट PM-Kisan योजना की जानकारी देता हैकिसानों को अधिक ज्ञान 📲
AI ड्रोन + सेंसरउर्वरकों और कीटनाशकों का सटीक छिड़कावकम लागत, ज्यादा मुनाफा 💰

📈 AI से खेती में निवेश बढ़ रहा है!
2023: $1.7 बिलियन → 2028 तक: $4.7 बिलियन (23.1% ग्रोथ)


🚧 AI अपनाने की चुनौतियाँ और समाधान

चुनौती🤔 समस्या क्या है? समाधान
डिजिटल साक्षरता की कमीकिसानों को AI समझने में दिक्कतNeGPA योजना – AI ट्रेनिंग 📚
महंगे उपकरणड्रोन और सेंसर महंगेसरकारी सब्सिडी और फंडिंग 💰
इंटरनेट की कमीग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की दिक्कतPM-WANI और भारतनेट वाई-फाई हब 📶
सटीक डेटा की कमीAI को सही डेटा नहीं मिलताAgriStack और IDEA डेटा पहल 📊

🚀 आगे की राह: खेती को AI से कैसे बेहतर बनाएँ?

डिजिटल अवसंरचनागाँवों में वाई-फाई हब बनाए जाएँ
किसानों की ट्रेनिंगAI तकनीक से जोड़ें
स्टार्टअप्स को बढ़ावाडिजिटल कृषि मिशन (2021-2025)
AI अनुसंधान केंद्रभारत की कृषि जलवायु के अनुकूल AI मॉडल विकसित हों


🌎 निष्कर्ष: क्या AI खेती का भविष्य है?

अगर सही नीति और सपोर्ट मिले तो 100% हाँ!
✅ AI से खेती सस्ती, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बन सकती है!

🚜🌾 “AI को अपनाएँ, खेती को नई ऊंचाई पर ले जाएँ!” 🌿🚀

2. 📊 NSO समय उपयोग सर्वेक्षण (TUS) 2024: भारत में समय के उपयोग का नया पैटर्न!

🔍 चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने समय उपयोग सर्वेक्षण (TUS) 2024 जारी किया है, जो रोज़गार, घरेलू कार्य, देखभाल सेवाएँ, अवकाश गतिविधियाँ और शिक्षा जैसे पहलुओं पर विस्तृत डेटा प्रदान करता है।

यह 2019 के पहले सर्वेक्षण के बाद दूसरा राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है। इसके निष्कर्ष भारत में लैंगिक भूमिकाओं में बदलाव, शहरीकरण और डिजिटल युग के प्रभाव को दर्शाते हैं।

📌 समय उपयोग सर्वेक्षण (TUS) क्या है?

👉 यह यह विश्लेषण करता है कि लोग अपना समय विभिन्न गतिविधियों में कैसे बिताते हैं
👉 इसमें सशुल्क (रोज़गार) और अवैतनिक (घरेलू कार्य, देखभाल) गतिविधियों पर ध्यान दिया जाता है।
👉 TUS भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया, अमेरिका और चीन जैसे देशों में भी आयोजित किया जाता है।


📈 TUS 2024 के प्रमुख निष्कर्ष

👨💼 रोज़गार भागीदारी में वृद्धि

📊 15-59 वर्ष आयु वर्ग के लोगों में:
पुरुषों की रोजगार भागीदारी75% (2019 में 70.9%)
महिलाओं की रोजगार भागीदारी25% (2019 में 21.8%)

📊 महिलाओं में शहरी बनाम ग्रामीण भागीदारी:
शहरी महिलाओं की रोजगार भागीदारी ग्रामीण महिलाओं से अधिक
✔ इसके पीछे शिक्षा, बेहतर अवसर और सरकारी योजनाओं का योगदान है।

📌 क्या बदल रहा है?
✅ महिलाएँ अब घरेलू कार्यों से बाहर निकलकर औपचारिक रोजगार में आ रही हैं।
घरेलू काम में व्यतीत समय घटकर 315 मिनट (2019) से 305 मिनट (2024) हो गया है।
स्व-रोज़गार, डिजिटल नौकरियाँ और स्टार्टअप में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।


👩👧 देखभाल कार्यों में पुरुषों की बढ़ती भागीदारी

📊 15-59 वर्ष के लोग देखभाल कार्यों में:
महिलाएँ – 41% (2019 से अधिक)
पुरुष – 21.4% (2019 में कम था)

📊 देखभाल कार्यों में समय खर्च:
महिलाएँ – 140 मिनट प्रतिदिन
पुरुष – 74 मिनट प्रतिदिन

📌 क्या बदल रहा है?
✅ अब पुरुष भी बच्चों और बुज़ुर्गों की देखभाल में अधिक भागीदारी कर रहे हैं।
✅ शहरी क्षेत्रों में पिता बच्चों की परवरिश में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
✅ यह सामाजिक बदलाव और आधुनिक जीवनशैली का संकेत है।


🎭 अवकाश और सांस्कृतिक गतिविधियाँ बढ़ीं

📊 6 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों ने अपने दिन का:
11% समय खेल, संस्कृति और मीडिया में बिताया (2019 में 9.9%)

📊 6-14 वर्ष के बच्चों में:
89.3% बच्चे शिक्षण गतिविधियों में भाग ले रहे हैं।
हर दिन औसतन 413 मिनट पढ़ाई में खर्च कर रहे हैं।

📌 क्या बदल रहा है?
डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन संसाधनों की बढ़ती भूमिका
✅ मनोरंजन और खेल गतिविधियों में बढ़ोतरी – यह बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और रचनात्मकता के लिए सकारात्मक संकेत है।


🏡 घरेलू उत्पादन में भागीदारी

📊 16.8% जनसंख्या घरेलू उपयोग की वस्तुओं के उत्पादन में शामिल है, जैसे –
✔ खेती, पशुपालन, डेयरी उत्पाद, हस्तशिल्प आदि।

📌 क्या बदल रहा है?
स्थानीय उत्पादन और कुटीर उद्योगों में बढ़ोतरी
✅ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स के ज़रिए घरेलू उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा


🚀 भारत में समय उपयोग का बदलता पैटर्न – मुख्य निष्कर्ष

📌 1️    महिलाओं की रोजगार भागीदारी बढ़ रही है।
📌 2️   पुरुष अब देखभाल कार्यों में अधिक भाग ले रहे हैं।
📌 3️    शिक्षा और अवकाश गतिविधियों में अधिक समय खर्च किया जा रहा है।
📌 4️    घरेलू उत्पादन और ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-रोज़गार के अवसर बढ़ रहे हैं।

📊 NSO TUS 2024 यह दिखाता है कि भारत में सामाजिक संरचना बदल रही है और महिलाएँ, पुरुष, बच्चे सभी अपने समय का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से कर रहे हैं! 🚀

3. 🚀 मध्य प्रदेश: भारत में सबसे अधिक गिद्धों वाला राज्य

🔍 चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है और भारत में गिद्धों की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य बन गया है।

👉 2025 की पहली चरण की गिद्ध जनगणना के अनुसार, राज्य में गिद्धों की कुल संख्या 12,981 पहुँच गई है।
2024 में यह संख्या 10,845 थी
2019 में 8,397 थी

📌 यह वृद्धि वर्षों से लागू संरक्षण नीतियों की प्रभावशीलता को दर्शाती है।


📊 गिद्ध जनगणना: कैसे की जाती है?

📅 गिद्ध जनगणना 2016 से नियमित रूप से की जा रही है
📌 2025 की जनगणना दो चरणों में हो रही है:
पहला चरण17 से 19 फरवरी 2025
दूसरा चरण29 अप्रैल 2025

📍 यह सर्वेक्षण 16 सर्कल, 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ अभयारण्यों और वन्यजीव अभयारण्यों) में किया गया।

✅ इस जनगणना से सटीक आंकड़े प्राप्त होते हैं और संरक्षण रणनीतियों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।


🦅 मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख गिद्ध प्रजातियाँ

स्थायी (Resident) प्रजातियां:

1️⃣   भारतीय लंबी चोंच वाला गिद्ध
2️⃣   सफेद पीठ वाला गिद्ध
3️⃣   मिस्री गिद्ध
4️⃣   लाल सिर वाला गिद्ध

🌍 प्रवासी (Migratory) प्रजातियां:

5️⃣   हिमालयी ग्रिफॉन
6️⃣   यूरेशियन ग्रिफॉन
7️⃣   सिनीरियस गिद्ध

📌 भारत में कुल 9 गिद्ध प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 7 मध्य प्रदेश में मौजूद हैं


📉 गिद्धों की संख्या में गिरावट और पुनर्प्राप्ति

गिद्धों की संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण:
🔴 पशु चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) दवा
✔ गिद्ध इन दवा-युक्त मृत पशुओं का शव खाते थे, जिससे उनके गुर्दे फेल हो जाते थे

🔹 भारत सरकार ने 2006 में डाइक्लोफेनाक पर प्रतिबंध लगाया
🔹 इसके बाद संरक्षण प्रयासों से गिद्धों की आबादी में सुधार हुआ

📌 संरक्षण के लिए उठाए गए कदम:
डाइक्लोफेनाक प्रतिबंध (2006)
गिद्ध आवास संरक्षण कार्यक्रम
संरक्षित क्षेत्रों में संरक्षण योजनाएँ
जागरूकता अभियान और निगरानी प्रणाली


🌍 गिद्धों का पारिस्थितिकी तंत्र में महत्व

गिद्ध प्राकृतिक सफाईकर्मी होते हैं – वे मृत जानवरों के शवों को खाते हैं, जिससे बीमारियों का प्रसार रुकता है
✅ यदि गिद्धों की संख्या घटती है, तो शवों के सड़ने से संक्रामक रोग फैल सकते हैं
✅ गिद्धों की संख्या में वृद्धि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक है।


📌 निष्कर्ष: संरक्षण की सफलता की कहानी

📊 मध्य प्रदेश में गिद्धों की आबादी में वृद्धि यह दर्शाती है कि सही संरक्षण प्रयासों से संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाया जा सकता है

2025 में गिद्धों की संख्या 12,981 तक पहुँच गई – यह संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
✔ सरकार, वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों द्वारा सतत प्रयासों की वजह से गिद्धों की आबादी धीरे-धीरे पुनः बढ़ रही है
इस उपलब्धि को बनाए रखने के लिए निरंतर संरक्षण नीतियों की आवश्यकता है

मध्य प्रदेश का यह प्रयास अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकता है! 🚀

4. 🎯 सैन्य अभ्यास ‘जल-थल-रक्षा 2025’ – बेट द्वारका में आयोजित

🔍 चर्चा में क्यों?
भारतीय सेना ने भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और मरीन पुलिस के साथ मिलकर गुजरात के बेट द्वारका में सैन्य अभ्यास ‘जल-थल-रक्षा 2025’ का आयोजन किया।

📌 इस अभ्यास का उद्देश्य:
द्वीप सुरक्षा को मजबूत करना
अवैध अतिक्रमण रोकना
विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाना

📍 इस सैन्य ड्रिल का निरीक्षण कई सरकारी एजेंसियों ने किया, जिससे संभावित सुरक्षा खतरों से निपटने की तैयारियों को परखा गया।


📍 अभ्यास के प्रमुख बिंदु

📌 स्थान और उद्देश्य

📍 स्थान: बेट द्वारका, गुजरात
🎯 उद्देश्य:
✔ द्वीप सुरक्षा को सुदृढ़ करना
अवैध घुसपैठ और अतिक्रमण को रोकना
✔ समुद्री और जमीनी सुरक्षा प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करना


👥 प्रमुख प्रतिभागी

🚢 भारतीय सेना की इकाइयाँ:
✔ 11 अहमदाबाद यूनिट
✔ 31 जामनगर यूनिट

🌊 भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और मरीन पुलिस

🏛 अन्य सरकारी विभाग:
देवभूमि द्वारका जिला प्रशासन
वन विभाग
समुद्री बोर्ड
गुजरात ऊर्जा विभाग
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG)


प्रमुख गतिविधियाँ

🔹 हवरक्राफ्ट लैंडिंग और सुरक्षा अभ्यास
🔹 भूमि आधारित खतरों और आतंकवादी हमलों के संभावित परिदृश्यों की प्रतिक्रिया का अभ्यास
🔹 आपात स्थिति के दौरान विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को मजबूत करना
🔹 समुद्री और तटीय क्षेत्रों में गश्त एवं निगरानी रणनीतियाँ

📌 यह अभ्यास भारत की तटीय सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और रक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा


🛡 रणनीतिक महत्व

📌 तटीय और समुद्री रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है
📌 आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए अंतर-सेवा समन्वय में सुधार करता है
📌 समुद्री और भूमि-आधारित सुरक्षा बलों की दक्षता को बढ़ाता है
📌 भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और द्वीप क्षेत्रों की रक्षा तैयारियों को उन्नत करता है


📊 मुख्य पहलू: संक्षिप्त सारांश

मुख्य बिंदुविवरण
क्यों चर्चा में?बेट द्वारका में सैन्य अभ्यास ‘जल-थल-रक्षा 2025’ का आयोजन
अभ्यास का नामजल-थल-रक्षा 2025
स्थानबेट द्वारका, गुजरात
उद्देश्यद्वीप सुरक्षा को मजबूत करना, अवैध अतिक्रमण रोकना
प्रमुख प्रतिभागीभारतीय सेना, तटरक्षक बल, मरीन पुलिस, सरकारी एजेंसियाँ
मुख्य गतिविधियाँसुरक्षा अभ्यास, खतरे की प्रतिक्रिया सिमुलेशन, हवरक्राफ्ट की तैनाती
रणनीतिक प्रभावरक्षा तैयारियों को मजबूत करना और एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाना

🌟 निष्कर्ष

‘जल-थल-रक्षा 2025’ अभ्यास भारत की द्वीप और तटीय सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस अभ्यास से सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर हुआ है, जिससे भविष्य में किसी भी संभावित खतरे से निपटने की क्षमता में वृद्धि होगी।
यह भारत की समुद्री और जमीनी सुरक्षा रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाएगा। 🚀

5. ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग रोडमैप 2025

🔹 चर्चा में क्यों?
ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को और गहरा करने और विविधता लाने के लिए एक नया आर्थिक सहयोग रोडमैप जारी किया है। इसमें स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा व कौशल, कृषि व्यवसाय और पर्यटन को चार प्रमुख विकास क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है।


🌏 मुख्य बिंदु: आर्थिक सहयोग रोडमैप

📌 1. विशेष अवसरों की पहचान

50 विशेष अवसरों को चिह्नित किया गया है, जो रक्षा उद्योग, खेल, संस्कृति, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में व्यापार और निवेश बढ़ाने में मदद करेंगे।

📌 2. प्रमुख पहलें

🚀 ऑस्ट्रेलिया-भारत व्यापार और निवेश प्रोत्साहन निधि:
🔹 ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत में नए व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने में सहायता मिलेगी

🤝 ऑस्ट्रेलिया-इंडिया बिजनेस एक्सचेंज (AIBX):
🔹 व्यापारिक साझेदारी (B2B) को गति देने के लिए लॉन्च किया गया एक प्लेटफॉर्म।

🏢 ऑस्ट्रेलिया-भारत CEO फोरम का नवीनीकरण:
🔹 बिजनेस-टू-बिजनेस सहयोग बढ़ाने के लिए एक प्रभावी मंच तैयार किया गया है।

🎭 मैत्री अनुदान कार्यक्रम:
🔹 भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जनसंपर्क, व्यवसायों और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए निवेश बढ़ाया गया है।


🇮🇳🇦🇺 भारत-ऑस्ट्रेलिया के बढ़ते संबंध

📌 1. व्यापार संबंध

2021 में आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ECTA) पर हस्ताक्षर हुए, जिससे मुक्त व्यापार को प्रोत्साहन मिला
लक्ष्य: 2035 तक भारत को ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष 3 निर्यात बाजारों में शामिल करना

📌 2. परमाणु सहयोग

2014 में असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिससे भारत को ऑस्ट्रेलिया से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली

📌 3. रणनीतिक साझेदारी

ऑस्ट्रेलिया की ‘नेशनल डिफेंस स्ट्रैटेजी (NDS) 2024’ में भारत को “शीर्ष स्तरीय सुरक्षा साझेदार” के रूप में मान्यता दी गई है।

📌 4. रक्षा सहयोग

म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (MLSA) और रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
संयुक्त सैन्य अभ्यास:
🔹 ऑस्ट्राहिंद (AUSTRAHIND) – भारतीय सेना और ऑस्ट्रेलियाई सेना के बीच
🔹 ऑसिन्डेक्स (AUSINDEX) – नौसेना अभ्यास
🔹 पिच ब्लैक (Pitch Black) – बहुपक्षीय हवाई युद्ध अभ्यास


📊 मुख्य सारांश

मुख्य बिंदुविवरण
क्यों चर्चा में?ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग के लिए नया रोडमैप जारी किया।
प्रमुख क्षेत्रस्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा व कौशल, कृषि व्यवसाय, पर्यटन
50 विशेष अवसरों की पहचानरक्षा, खेल, संस्कृति, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी में सहयोग
प्रमुख पहलेंAIBX, CEO फोरम, मैत्री अनुदान कार्यक्रम, व्यापार और निवेश प्रोत्साहन निधि
व्यापार समझौता (ECTA)भारत को 2035 तक ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष 3 निर्यात बाजारों में शामिल करना
परमाणु सहयोग2014 में असैन्य परमाणु सहयोग समझौता हुआ
रणनीतिक साझेदारीNDS 2024 में भारत को “शीर्ष स्तरीय सुरक्षा साझेदार” माना गया
रक्षा सहयोगMLSA समझौता, रक्षा विज्ञान सहयोग, सैन्य अभ्यास (AUSTRAHIND, AUSINDEX, Pitch Black)

🌟 निष्कर्ष

📌 यह रोडमैप भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का एक बड़ा कदम है।
📌 इससे व्यापार, रक्षा और सांस्कृतिक साझेदारी मजबूत होगी।
📌 भविष्य में यह भारत को ऑस्ट्रेलिया के लिए एक प्रमुख व्यापारिक और निवेश भागीदार बना सकता है। 🚀

6. 🌿 FAO की अपील: कृषि खाद्य प्रणालियों में जैव विविधता का संरक्षण

🔹 चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र के स्वाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने कृषि-खाद्य प्रणालियों को वैश्विक जैव विविधता लक्ष्यों के अनुरूप ढालने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है।

👉 यह अपील संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता अभिसमय (CBD COP-16.2) के तहत रोम में आयोजित सम्मेलन में की गई, जिसका उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण की दिशा में रणनीतिक प्रयासों को आगे बढ़ाना है।


🌏 मुख्य बिंदु: जैव विविधता और कृषि खाद्य प्रणाली

📌 1. कृषि-राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियां और कार्य योजनाएं (Agri-NBSAPs)

✅ FAO ने कोलंबिया सरकार और जैव-विविधता अभिसमय (CBD) के सहयोग से Agri-NBSAPs पहल शुरू की
✅ उद्देश्य:
🔹 सरकारों को कृषि-खाद्य प्रणाली (Agrifood Systems: AFS) को राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियों (NBSAPs) में शामिल करने और लागू करने में सहायता करना।
🔹 जैव संसाधनों के संवहनीय (Sustainable) उपयोग को बढ़ावा देना

📌 2. कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (KM-GBF)

✅ KM-GBF का लक्ष्य 2030 तक जैव विविधता क्षरण को रोकना और पुनर्बहाली सुनिश्चित करना
✅ जैव विविधता लक्ष्यों में कृषि-खाद्य प्रणाली की भूमिका महत्वपूर्ण:
🔹 KM-GBF के 23 लक्ष्यों में से आधे कृषि से संबंधित हैं
🔹 NBSAPs सरकारों को क्षमता निर्माण और कृषि में सुधार करने का एक समन्वित दृष्टिकोण प्रदान करता है।


🌿 कृषि-खाद्य प्रणाली में सुधार क्यों आवश्यक?

📌 1. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी

कृषि-खाद्य प्रणाली वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 33% (1/3) योगदान देती है
✅ कृषि भूमि विस्तार वनों की कटाई और वन्यजीवों के पर्यावास (Habitats) के नष्ट होने का प्रमुख कारण है।

📌 2. खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना

जैव विविधता परागण (Pollination), मृदा उर्वरता (Soil Fertility) और कीट नियंत्रण (Pest Control) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
75% वैश्विक खाद्य फसलें परागणकों पर निर्भर हैं


🌱 कृषि खाद्य प्रणालियों में जैव विविधता संरक्षण के लिए सुधार

📌 1. वनस्पति आधारित खाद्य को प्राथमिकता देना

एनिमल फार्मिंग (पशुपालन) को कम करना, जिससे भूमि उपयोग और पर्यावरणीय प्रभावों में सुधार होगा।
विविध कृषि पद्धतियों को अपनाना, जिससे मृदा उर्वरता और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनी रहे

📌 2. पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और पुनर्बहाली

कृषि विस्तार के बजाय प्राकृतिक भूमि का संरक्षण
संवहनीय कृषि विधियों को अपनाना, जिससे पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा हो

📌 3. प्रकृति-अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना

✅ मोनोकल्चर (Monoculture) यानी केवल एक ही फसल उगाने की प्रथा को कम करना।
जैव विविधता को बनाए रखने के लिए बहु-फसली प्रणाली (Crop Diversification) अपनाना
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को नियंत्रित करना


📊 मुख्य सारांश

मुख्य बिंदुविवरण
FAO की अपीलकृषि-खाद्य प्रणालियों को वैश्विक जैव विविधता लक्ष्यों के अनुरूप बनाना
Agri-NBSAPs पहलFAO, कोलंबिया सरकार और CBD के सहयोग से शुरू की गई
KM-GBF लक्ष्य2030 तक जैव विविधता क्षरण को रोकना और पुनर्बहाली सुनिश्चित करना
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनवैश्विक उत्सर्जन में कृषि-खाद्य प्रणाली का योगदान 33%
खाद्य सुरक्षा75% खाद्य फसलें परागणकों पर निर्भर
प्राकृतिक भूमि संरक्षणकृषि विस्तार के बजाय पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना
प्राकृतिक कृषि पद्धतियांमोनोकल्चर की जगह फसल विविधता और जैविक खेती अपनाना

🌟 निष्कर्ष

📌 FAO की यह पहल जैव विविधता और कृषि खाद्य प्रणालियों के बीच संतुलन स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
📌 कृषि को जैव विविधता-संगत बनाने से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम होगा, पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षित रहेगा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
📌 इस पहल से टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा और प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन संभव होगा। 🚜🌱

7. 🌍 भारत-अफ्रीका संबंध: विकास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी

🔹 चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने ‘जापान-भारत-अफ्रीका बिजनेस फोरम’ को संबोधित करते हुए अफ्रीका के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने भारत के पारस्परिक विकास मॉडल को चीन के शोषण-आधारित दृष्टिकोण से अलग बताया।

👉 भारत अफ्रीका में क्षमता निर्माण, कौशल विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देता है, जबकि चीन खनिज भंडार और ऋण-जाल कूटनीति के जरिए अफ्रीकी संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित करने में रुचि रखता है।


🌏 भारत-अफ्रीका संबंधों का बदलता स्वरूप

📌 1. आर्थिक भागीदारी में वृद्धि

भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है
भारत-अफ्रीका द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य लगभग $100 बिलियन (2023) है।
✅ भारत अफ्रीका में सतत विकास के लिए $12 बिलियन की रियायती वित्तीय सहायता प्रदान कर चुका है।

📌 2. प्रमुख भारतीय पहलें

भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के तहत अफ्रीकी छात्रों और पेशेवरों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क, ई-विद्या भारती, और ई-आरोग्य भारती जैसी पहलें शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल सहयोग को बढ़ावा देती हैं
✅ अफ्रीका में 200 से अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भारत वित्तपोषण कर रहा है।

📌 3. अफ्रीका का वैश्विक मंचों पर प्रतिनिधित्व

भारत ने अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (IAFS) आपसी संबंधों को और मजबूत बनाता है।

📌 4. भारत-जापान-अफ्रीका सहयोग

जापान के निवेश, भारत की तकनीक और अफ्रीका की प्रतिभा का एकीकरण साझा विकास को बढ़ावा देता है
2017 में लॉन्च किया गया “एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (AAGC)” लोकतांत्रिक, सतत और समावेशी विकास पर केंद्रित है


🌿 भारत-अफ्रीका भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण है?

📌 1. अफ्रीका: भविष्य का आर्थिक केंद्र

2050 तक अफ्रीका की जनसंख्या 2.5 बिलियन हो जाएगी, जिससे यह दुनिया का सबसे युवा कार्यबल वाला क्षेत्र बन जाएगा।
अगले कुछ दशकों को ‘अफ्रीकी युग’ माना जा रहा है, क्योंकि वैश्विक शक्ति संतुलन में अफ्रीका की भूमिका बढ़ रही है।

📌 2. रणनीतिक संसाधनों की प्रचुरता

अफ्रीका में विश्व के 30% खनिज संसाधन मौजूद हैं
✅ दुर्लभ भू-धातुओं (Rare Earth Metals) की मांग 2030 तक दोगुनी हो जाएगी, और अफ्रीका इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बन सकता है।

📌 3. वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता में भूमिका

✅ अफ्रीका सशस्त्र संघर्षों और आतंकवाद से प्रभावित एक प्रमुख क्षेत्र है, जहां 35 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष चल रहे हैं।
✅ क्षेत्रीय संगठनों जैसे ECOWAS (पश्चिमी अफ्रीकी देशों का आर्थिक समुदाय) ने शांति और स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभाई है।

📌 4. गरीबी उन्मूलन और विकास

अफ्रीका में 60% लोग गरीबी में जी रहे हैं, इसलिए सतत विकास और सहयोग से आर्थिक सुधारों की उम्मीदें जगी हैं


📊 भारत-अफ्रीका सहयोग: मुख्य तथ्य

मुख्य क्षेत्रभारत की भूमिका
आर्थिक सहयोग$100 बिलियन का द्विपक्षीय व्यापार, $12 बिलियन की वित्तीय सहायता
शिक्षा और स्वास्थ्यITEC, पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क, ई-विद्या भारती, ई-आरोग्य भारती
वैश्विक मंच पर प्रतिनिधित्वG20 में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता दिलाने में भूमिका
बुनियादी ढांचा विकास200+ परियोजनाओं को वित्तपोषण
रणनीतिक संसाधनअफ्रीका के खनिज और दुर्लभ धातु संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा
सुरक्षा और स्थिरताECOWAS और अन्य क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग
लोकतांत्रिक विकासएशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (AAGC) के माध्यम से सतत और समावेशी विकास

🌟 निष्कर्ष

📌 भारत-अफ्रीका संबंधों का आधार सहयोग, विकास और साझा प्रगति पर केंद्रित है, जबकि चीन ऋण-जाल कूटनीति और संसाधनों के शोषण की नीति अपनाता है
📌 अफ्रीका वैश्विक भू-राजनीति में एक उभरती हुई शक्ति है, और भारत उसके विकास में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनने की ओर अग्रसर है
📌 भारत की व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और कूटनीति में भागीदारी अफ्रीका के विकास को नई दिशा दे सकती है। 🚀🌍

8.🛡️ पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में प्रॉक्सी भागीदारी को समाप्त करने की पहल

🔹 चर्चा में क्यों?
👉 पंचायती राज मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने “पंचायती राज प्रणाली और संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और भूमिकाओं का रूपांतरणः प्रॉक्सी भागीदारी को समाप्त करना” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
👉 यह समिति सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित की गई थी, मंडोना ग्रामीण विकास फाउंडेशन बनाम भारत सरकार (2023) मामले के संदर्भ में।


🏛️ PRIs में महिला आरक्षण: एक दृष्टिकोण

📌 संवैधानिक प्रावधान

73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) के तहत त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली लागू की गई।
✅ इस संशोधन के तहत PRIs में महिलाओं के लिए एक-तिहाई (33%) सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया गया
✅ वर्तमान में 21 राज्यों ने इसे 50% तक बढ़ा दिया है। बिहार ऐसा करने वाला पहला राज्य था।
PRIs में निर्वाचित प्रतिनिधियों में 46.6% महिलाएं हैं, जो स्थानीय शासन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी दर्शाता है।

📌 प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व का मुद्दा

कई निर्वाचित महिलाएं केवल प्रतीकात्मक रूप से पद पर रहती हैं, जबकि उनके पुरुष रिश्तेदार (जैसे ‘सरपंच पति’) वास्तविक निर्णय लेते हैं।
इससे महिला नेतृत्व की प्रभावशीलता पर संदेह उत्पन्न होता है और आरक्षण का उद्देश्य कमजोर हो जाता है।


📢 समिति की प्रमुख सिफारिशें

️ 1. कठोर दंड का प्रावधान

🔸 यदि कोई पुरुष रिश्तेदार निर्वाचित महिला प्रतिनिधि के कार्यों में हस्तक्षेप करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
🔸 सजा की सटीक रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है, लेकिन इसमें अयोग्यता, दंड और कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है।

🛑 2. मजबूत नीतिगत कदम

🔹 केरल मॉडल को अपनाने की सिफारिश की गई है, जिसमें:
जेंडर-स्पेसिफिक रिजर्वेशन (महिला-केंद्रित नीतियां)
सार्वजनिक शपथ ग्रहण समारोह
महिला पंचायत संघ (महिला प्रतिनिधियों का स्वतंत्र संगठन)

📊 3. तकनीकी समाधान

महिला प्रतिनिधियों के लिए वर्चुअल रियलिटी (VR) सिमुलेशन प्रशिक्षण
स्थानीय भाषाओं में कानूनी मार्गदर्शन के लिए AI-आधारित प्रश्नोत्तरी प्रणाली

📌 4. जवाबदेही और पारदर्शिता

हेल्पलाइन और निगरानी समितियों की स्थापना
प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व की सूचना देने वालों को पुरस्कार देने की नीति
“पंचायत निर्णय पोर्टल” विकसित किया जाए, जिससे नागरिक पंचायत बैठकों और निर्णयों को ट्रैक कर सकें।


🌟 PRIs में महिलाओं की भागीदारी का महत्व

📌 1. महिलाओं के मुद्दों पर बेहतर प्रतिक्रिया

महिला नेतृत्व वाली पंचायतें महिलाओं से संबंधित मुद्दों का समाधान दोगुना अधिक करती हैं (MIT अध्ययन, 2003)।
महिला प्रधान पंचायतों में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं और संस्थागत प्रसव में वृद्धि होती है

📌 2. समुदाय विकास में योगदान

✅ महिला पंचायतें जल, स्वच्छता, सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों में अधिक निवेश करती हैं

📌 3. राजनीतिक सशक्तिकरण का मार्ग

स्थानीय स्तर पर महिला नेतृत्व भविष्य में विधानसभा और लोकसभा जैसे उच्च पदों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है
NCAER (2010) की रिपोर्ट के अनुसार, महिला नेतृत्व का समुदाय के समग्र विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


🔎 आगे की राह

ठोस उपाय

🔹 प्रॉक्सी भागीदारी को रोकने के लिए निगरानी और रिपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत किया जाए।
🔹 महिला प्रतिनिधियों को कानूनी और प्रशासनिक सशक्तिकरण प्रदान किया जाए।
🔹 “पंचायत निर्णय पोर्टल” जैसे तकनीकी समाधानों को जल्द लागू किया जाए।

📌 यदि इन सिफारिशों को प्रभावी रूप से लागू किया जाता है, तो PRIs में महिलाओं की वास्तविक भागीदारी बढ़ेगी और पंचायती राज प्रणाली अधिक लोकतांत्रिक और प्रभावी बनेगी। 🚀

9.🔎 परिसीमन और दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें: प्रमुख बिंदु

📌 चर्चा में क्यों?
👉 केंद्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि परिसीमन के कारण दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें कम नहीं होंगी।
👉 दक्षिणी राज्यों को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा, और उनकी सीटों में आनुपातिक रूप से कमी नहीं होगी।


️ परिसीमन को लेकर दक्षिणी राज्यों की चिंताएं

1️ जनसंख्या नियंत्रण पर दंडात्मक प्रभाव

🔹 दक्षिणी राज्यों (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना) ने जनसंख्या नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
🔹 यदि परिसीमन पूरी तरह से जनसंख्या के आधार पर होता है, तो उनकी लोकसभा सीटें घट सकती हैं।
🔹 इससे “अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को अधिक सीटें” और “कम जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों को कम सीटें” मिल सकती हैं, जो अन्यायपूर्ण प्रतीत होगा।

2️ राजनीतिक प्रतिनिधित्व में असंतुलन

🔸 दक्षिणी राज्यों की सीटें घटने से संसद में उनका प्रभाव कम हो सकता है।
🔸 राष्ट्रीय नीति निर्माण में उत्तरी राज्यों की भूमिका बढ़ सकती है, जिससे क्षेत्रीय असंतुलन पैदा हो सकता है।

3️ संघवाद और क्षेत्रीय स्वायत्तता पर असर

🔸 यदि सीटों का पुनर्वितरण केवल जनसंख्या के आधार पर होता है, तो संघीय ढांचे में असंतुलन आ सकता है।
🔸 यह तर्क दिया जा रहा है कि नीतियां केवल उत्तरी राज्यों को ध्यान में रखकर बनाई जा सकती हैं।


📜 परिसीमन क्या है?

✅ परिसीमन का अर्थ है लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा और सीटों की संख्या को पुनः निर्धारित करना।
✅ इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या के अनुपात में संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।

📌 संवैधानिक प्रावधान

🔹 अनुच्छेद 82 – लोकसभा सीटों के परिसीमन की व्यवस्था करता है।
🔹 अनुच्छेद 170 – राज्यों की विधानसभाओं में सीटों के परिसीमन का प्रावधान करता है।
🔹 अनुच्छेद 330 और 332 – लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों का पुनर्निर्धारण करता है।


️ भारत में परिसीमन आयोग का इतिहास

🔹 अब तक चार बार परिसीमन आयोग का गठन हुआ है1952, 1962, 1972, और 2002
🔹 2001 में 84वें संविधान संशोधन द्वारा सीटों की संख्या में 2026 तक कोई वृद्धि नहीं करने का प्रावधान किया गया।
🔹 परिसीमन आयोग के आदेशों को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।

🚨 2026 के बाद परिसीमन क्यों महत्वपूर्ण है?

2026 के बाद पहली जनगणना के आधार पर परिसीमन होगा।
उत्तर भारत (UP, बिहार, राजस्थान, MP) की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जबकि दक्षिण भारत में यह स्थिर है।
इससे लोकसभा में उत्तरी राज्यों की सीटें बढ़ सकती हैं, और दक्षिणी राज्यों की घट सकती हैं।
यही कारण है कि दक्षिणी राज्य परिसीमन को लेकर चिंतित हैं।


🛑 सरकार का आश्वासन: दक्षिणी राज्यों की सीटें नहीं घटेंगी

🔹 गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि परिसीमन से दक्षिणी राज्यों के साथ अन्याय नहीं होगा।
🔹 लोकसभा सीटों के किसी भी नए पुनर्वितरण में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा।
🔹 संभावित समाधान – लोकसभा की कुल सीटें बढ़ाकर सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व संतुलित किया जा सकता है।

📌 निष्कर्ष
👉 परिसीमन का उद्देश्य प्रतिनिधित्व को संतुलित करना है, लेकिन इसे केवल जनसंख्या आधारित नहीं होना चाहिए।
👉 संघीय ढांचे को मजबूत बनाए रखने के लिए, सभी राज्यों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना आवश्यक है।
👉 आगामी परिसीमन के दौरान इस मुद्दे पर और बहस और संवैधानिक सुधार की संभावना बनी रहेगी। 🚀

10. 🔎 भारतीय विनिर्माण में गुणवत्ता सुधार: CII की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

📌 चर्चा में क्यों?
👉 भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने “Raising the Standard: Quality Transformation in Indian Manufacturing” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।
👉 इसमें भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार की आवश्यकता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए आवश्यक सुधारों को रेखांकित किया गया है।


📜 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

77% कंपनियों ने पिछले दशक में गुणवत्ता सुधार को प्राथमिकता दी है।
✅ गुणवत्ता सुधार के पीछे मुख्य कारण:
🔹 नियामकीय आवश्यकताओं (Regulatory Compliance) का पालन
🔹 ब्रांड वैल्यू बढ़ाना और ग्राहक विश्वास जीतना
🔹 वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रहना
🔹 तकनीकी नवाचारों को अपनाना

🚨 मुख्य समस्या:
👉 कई क्षेत्रों (विशेषकर तकनीकी और पूंजीगत वस्तुओं) में राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों की कमी है।
👉 विनिर्माण क्षेत्र में नियामकीय ढांचे की अस्पष्टता और असंगति बनी हुई है।


️ गुणवत्ता सुधार के लिए रणनीतिक सिफारिशें

📌 1️ नीतिगत पहल (Policy Agenda)

गुणवत्ता-केंद्रित कौशल और प्रमाणन कार्यक्रम
🔹 श्रमिकों को गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (QMS) और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन का प्रशिक्षण दिया जाए।

Quality-as-a-Service (QaaS) साझेदारी
🔹 सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत مشترك गुणवत्ता अवसंरचना और विशेषज्ञता विकसित की जाए।


📌 2️   उद्योग-स्तर की पहल (Industry Agenda)

सतत गुणवत्ता सुधार (CQI) का प्रशिक्षण
🔹 वरिष्ठ और मध्यम स्तर के प्रबंधन को उन्नत गुणवत्ता मेट्रिक्स में प्रशिक्षित किया जाए।

डिजिटल आपूर्तिकर्ता गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (Digital Supplier Quality Management System)
🔹 यह प्रणाली रियल-टाइम डेटा और इनसाइट्स प्रदान करेगी।
🔹 आपूर्तिकर्ताओं के प्रदर्शन की प्रभावी निगरानी होगी और गुणवत्ता संबंधी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जा सकेगा।


🚀 भारत में गुणवत्तापूर्ण विनिर्माण सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम

1️ मानकीकरण और नियामकीय अनुपालन

🔹 BIS (Bureau of Indian Standards), FSSAI, DCGI जैसे नियामक निकायों ने उद्योग-विशिष्ट मानक तय किए हैं।
🔹 ISI मार्क, AGMARK, और Hallmark जैसे प्रमाणन उत्पाद गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं।

2️ MSME सस्टेनेबल (ZED) सर्टिफिकेशन

🔹 “Zero Defect, Zero Effect (ZED)” मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
🔹 MSMEs को गुणवत्ता और पर्यावरण अनुकूल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

3️ ‘मेक इन इंडिया’ और PLI योजनाएं

🔹 इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में गुणवत्ता-आधारित प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
🔹 भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने पर जोर दिया जा रहा है।


📌 निष्कर्ष

👉 गुणवत्ता सुधार भारतीय विनिर्माण की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए अनिवार्य है।
👉 नवाचार, नियामकीय स्पष्टता और उद्योग-सरकार सहयोग से ही भारत वैश्विक बाजार में मजबूत स्थान बना सकता है।
👉 QaaS, डिजिटल गुणवत्ता निगरानी, और MSME सर्टिफिकेशन जैसे उपाय इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

🚀 “मेक इन इंडिया” से “क्वालिटी इन इंडिया” की ओर बढ़ने का समय आ गया है! 💡

Short News

1. भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (BNP)

तापमान में वृद्धि के कारण प्रवासी पक्षी भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (BNPP) छोड़ रहे हैं।

भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (BNP) के बारे में

  • पारिस्थितिक तंत्नः यह सुंदरवन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैयोव पारिस्थितिकी तल है।
    • यह ब्राह्मणी, वैतरणी, धामरा और पातासला नदियों से आने वाले जल से निर्मित क्रीक और जलधाराओं से बना है।
    • जीवः यहाँ भारत में खारे जल में पाए जाने वाले एंडेंजर्ड मगरमच्छों की सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है।
    • ऑलिव रिडले कछुए गहीरमाथा और आस-पास के अन्य समुद्री तटों पर अंडे देते हैं।
    • अन्य महत्वपूर्ण प्रजातियों में प्रवासी पक्षी, 8 प्रकार के किंगफिशर, हिरण, लकड़बग्घा, जंगली सुअर आदि शामिल है।
    • विशिष्ट परिघटनाः बागाग‌ला या सूरजपुर क्रीक के पास पक्षियों का पर्यावास है, जहां हजारों पक्षी खाड़ी में आते हैं और प्रजनन करते हैं।

2. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI)

AWBI दो प्रमुख श्रेणियों यानी ‘प्राणी मित्ल’ और ‘जीव दया पुरस्कार’ में ‘चैंपियंस ऑफ एनिमल प्रोटेक्शन’ पुरस्कार प्रदान करेगा।

  • यह पहल पशु कल्याण और सुरक्षा में असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) के बारे में

  • AWBI को 1962 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCAA), 1960 के तहत एक वैधानिक सलाहकार निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। यह पशु कल्याण कानूनों पर सलाह देता है और पशु कल्याण को बढ़ावा देता है।
  • इसकी शुरुआत प्रसिद्ध मानवतावादी सक्मिणी देवी अरुडेल के नेतृत्व में हुई थी।
  • इसमें 6 संसद् सदस्यों (राज्यसभा से 2 और लोकसभा से 4) सहित 28 सदस्य होते है।

3.मंगल ग्रह का रंग लाल

नेथर कम्युनिकेशन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने मंगल ग्रह के लाल रंग के बारे में लंबे समय से चली आ रही धारणा को चुनौती दी है।

मंगल ग्रह (लाल ग्रह) के लाल रंग के बारे में नए अध्ययन के निष्कर्ष

  • पूर्व के अध्ययनों में मंगल ग्रह के लाल रंग का कारण एनहायडूस हेमेटाइट को बताया गया था। यह अपक्षय संबंधी गतिविधियों के परिणामस्वरूप निर्मित हुआ था।
    • नए अध्ययन से पता चला है कि निस्रस्तर का क्रिस्टलीच फेरिहाइड्राइट (Fe508HnH2O) मंगल ग्रह की धूल में मौजूद मुख्य लौह ऑक्साइड है।
    • यह ऑक्सीडेटिव दशाओं के तहत मंगल पर शुरुआत में एक ठंडी, नाम अवधि के दौरान बना था। इससे पता चलता है कि शुष्क रेगिस्तान चनने से पहले मंगल पर जल मौजूद था।

4.WHO FCTC

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपनी पहली वैश्विक संधि “WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO FCTC)” के 20 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है।

WHO FCTC के बारे में

  • उत्पत्तिः इसे 2003 में अपनाया गया था और 2005 में लागू किया गया था।
  • उद्देश्यः तम्बाकू नियंक्षण के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करना। इसमें बड़ी चिंलात्मक स्वास्थ्य चेतावनियां, धूम्रपान-मुक्त कानून और उच्च कर शामिल है।
  • भारत की भूमिकाः भारत ने 2004 में इस संधि की पुष्टि की थी। भारत दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेल का क्षेत्रीय समन्वयक रहा है।
  • प्रभावः 5.6 विलियन लोग कम से कम एक तंबाकू नियंत्रण नीति के अधीन आते हैं। इससे वैश्विक धूम्रपान दर में गिरावट आई है।

5.जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स या सामान्य परिवर्जनरोधी नियम

आयकर विभाग के अधिकारी प्रस्तावित आयकर विधेयक, 2025 के अंतर्गत जनरल एंटी अवॉयडेस रुल्स के अंतर्गत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी कर सकते हैं।

जनरल पेटी अवॉयडेंस रूल्स (GAAR) के बारे में

  • यह कर की चोरी और कर अपवेचन को रोकने के लिए एक एंटी टैक्स अवॉयडेंस कानून है।
    • यह एग्रेसिव टैक्स प्लानिंग को नियेलित करने के लिए एक उपाय है। यह विशेष रूप से कर देने से बचने के उद्देश्य से किए जाने वाले लेन-देन या व्यावसायिक व्यवस्था को नियंलित करता है।
    • वर्तमान में, इसे 01 अप्रैल, 2017 से आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत स्थापित किया गया है।
    • GAAR की समीक्षा पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई थी।