RBI reduces risk weights on NBFC and MFI loans: What will change?

RBI द्वारा NBFC एवं MFI ऋण पर जोखिम भार में कमी: क्या बदलेगा? risk weights on NBFC loans

📢 चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने NBFC और MFI को दिए जाने वाले बैंक ऋणों का जोखिम भार (RBI reduces risk weights on NBFC and MFI loans) घटा दिया है। इसका मकसद ऋण प्रवाह को बढ़ावा देना और खुदरा क्षेत्र में कर्ज़ की उपलब्धता को आसान बनाना है।

💰 जोखिम भार (Risk Weight) क्या होता है?

🔹 परिभाषा:
जोखिम भार वह प्रतिशत कारक होता है, जिसे बैंकों की परिसंपत्तियों (जैसे ऋण) पर लागू किया जाता है। इससे यह तय होता है कि संभावित घाटे को कवर करने के लिए बैंक को कितनी पूंजी रखनी होगी।

🔹 कैसे काम करता है?
उच्च जोखिम भार → अधिक पूंजी की ज़रूरत → महंगा कर्ज़
कम जोखिम भार → कम पूंजी की ज़रूरत → सस्ता और अधिक कर्ज़

🔹 किस पर निर्भर करता है?
✔️ उधारकर्ता की क्रेडिट रेटिंग
✔️ ऋण की प्रकृति
✔️ RBI और अन्य नियामक संस्थाओं के दिशानिर्देश

📉 कम जोखिम भार से क्या असर पड़ेगा?

NBFC को बैंक ऋण सस्ता और आसान मिलेगा → अधिक कर्ज़ लेने की सुविधा
खुदरा क्षेत्र, MSME और हाउसिंग सेक्टर को फायदा → लोन की उपलब्धता बढ़ेगी
बैंकिंग लिक्विडिटी में सुधार → NBFC को कर्ज़ देने की क्षमता बढ़ेगी
वित्तीय स्थिरता में सुधार → रोज़गार और आय में बढ़ोतरी

🏦 पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) क्या है?

🔹 परिभाषा:
CAR वह अनुपात है, जो बैंक की उपलब्ध पूंजी को उसके जोखिम-भारित ऋणों के अनुपात में दर्शाता है।

🔹 इसके घटक:
1️⃣   टियर-1 पूंजी:

  • बैंक की मुख्य पूंजी (इक्विटी, शेयर पूंजी, रिटेंड अर्निंग)
  • घाटे को सहने और संचालन जारी रखने में मदद करता है

2️⃣   टियर-2 पूंजी:

  • द्वितीयक पूंजी (अनऑडिटेड रिज़र्व, अधीनस्थ ऋण)
  • बैंक के विफल होने पर उपयोग होता है

🔹 विनियामक मानदंड:
✔️ बेसल III मानक → न्यूनतम 8% CAR अनिवार्य
✔️ RBI नियम → भारतीय बैंकों के लिए 9% CAR आवश्यक

🔹 महत्व:
📌 उच्च CAR → बैंक अधिक स्थिर और संकट प्रबंधन में सक्षम
📌 कम CAR → बैंक के लिए आर्थिक संकट झेलना मुश्किल

🔍 निष्कर्ष

🔸 RBI का यह कदम NBFC और MFI को अधिक कर्ज़ लेने में मदद करेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ेगा।
🔸 हाउसिंग, MSME और खुदरा क्षेत्र को इससे सस्ते लोन मिल सकते हैं
🔸 बैंकिंग प्रणाली अधिक लचीली और ऋण देने के लिए सक्षम होगी
🔸 पर्याप्त पूंजी भंडार बनाए रखने की चुनौती बनी रहेगी ताकि बैंक वित्तीय जोखिमों से बच सकें।

📢 RBI का यह फैसला भारत के लोन सिस्टम को सरल और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है! 🚀

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