🔹 बायोफ्यूल क्या है?
✅ बायोफ्यूल (जैव-ईंधन) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो बायोमास और जैविक अपशिष्ट से प्राप्त होता है।
✅ इसे तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
1️⃣ तरल बायोफ्यूल – इथेनॉल, बायोडीजल, बायो-मेथनॉल
2️⃣ बायोगैस – Bio-LNG, Bio-CNG
3️⃣ ठोस बायोमास
📌 भारत की उपलब्धि:
👉 जनवरी 2025 तक भारत ने 19.6% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया।
👉 2030 के लक्ष्य (20%) को 5 साल पहले ही पूरा करने की ओर अग्रसर।
🔹 बायोफ्यूल का महत्व
🔹 ऊर्जा सुरक्षा:
✅ 2017-2040 के बीच वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि में भारत का योगदान 25% से अधिक होगा।
🔹 पर्यावरणीय लाभ:
✅ जैव ईंधन के उपयोग से 519 लाख मीट्रिक टन CO₂ उत्सर्जन में कमी आई।
✅ 173 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का विकल्प उपलब्ध हुआ।
🔹 विदेशी मुद्रा की बचत:
✅ इथेनॉल सम्मिश्रण से 85,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत हुई।
🔹 चक्रीय अर्थव्यवस्था:
✅ अपशिष्ट पुनर्चक्रण के माध्यम से पूँजी निर्माण और समाज-आर्थिक लाभ बढ़ा।
🔹 ग्रामीण विकास:
✅ किसानों को अतिरिक्त वित्तीय लाभ देने के लिए कृषि अवशेषों का उपयोग बढ़ा।
🔹 बायोफ्यूल उत्पादन की चुनौतियाँ
🚩 फीडस्टॉक की समस्या:
🔹 उच्च गुणवत्ता वाले फीडस्टॉक की कमी और खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव।
🔹 आपूर्ति श्रृंखला जटिल और बिखरी हुई।
🚩 तकनीकी सीमाएँ:
🔹 एडवांस बायोफ्यूल का व्यावसायिक उत्पादन सीमित है।
🚩 वित्तीय चुनौतियाँ:
🔹 उच्च पूंजी लागत और अनिश्चित लाभ।
🔹 बायोफ्यूल का विकास: पहली से चौथी पीढ़ी तक
1️⃣ पहली पीढ़ी: खाद्य फसलों से उत्पादित जैव ईंधन
2️⃣ दूसरी पीढ़ी: जैविक अपशिष्ट से उत्पादित जैव ईंधन
3️⃣ तीसरी पीढ़ी: शैवाल (Algae) आधारित जैव ईंधन
4️⃣ चौथी पीढ़ी: आनुवंशिक रूप से संशोधित सूक्ष्मजीवों से उत्पादित जैव ईंधन
🔹 भारत में बायोफ्यूल को बढ़ावा देने की पहल
✅ राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018
✅ प्रधानमंत्री जी-वन (II-VAN) योजना
✅ गोबरधन (GOBAR-Dhan) योजना
✅ SATAT (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation) पहल
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