Daily Current News Analysis (7 March 2025)

March 7, 2025 Kredoz IAS Daily Interactive News (DIN)   For All Competitive Exam

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Short News

  1. कार्बन तीव्रता: एक परिचय
  2. स्टारलिंक और यूटेलसैट: संचार में नई प्रतिस्पर्धा
  3. इसरो का सेमी-क्रायोजेनिक इंजन परीक्षण: बड़ी सफलता!
  4. भारत: उत्पादन और विस्तार के लिए EU की पहली पसंद!
  5. अमेरिका का भारत पर नया शुल्क!
  6. पशुधन स्वास्थ्य योजना में बड़ा सुधार!

News Analysis

  1. भारत का वस्त्र उद्योग: संभावनाएँ और चुनौतियाँ
  2. 🏗️ मलिन बस्तियों के पुनर्विकास में चुनौतियाँ
  3. 🚀 नीति आयोग और क्वांटम कंप्यूटिंग
  4. 💰 RBI द्वारा बैंकों में 21 अरब डॉलर की लिक्विडिटी बढ़ाने की योजना! 🏦

-: Short News: –

कार्बन तीव्रता (Carbon Intensity) किसी विशेष क्षेत्र या अर्थव्यवस्था में प्रति इकाई उत्पादन पर उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड (CO) की मात्रा को मापती है। यह आर्थिक विकास और उत्पादन के साथ उत्सर्जन में कमी की प्रगति को ट्रैक करने में मदद करती है।

📊 कैसे मापी जाती है कार्बन तीव्रता?

✔️ औद्योगिक क्षेत्र: उदाहरण के लिए, इस्पात उत्पादन में कार्बन तीव्रता को प्रति टन इस्पात उत्पादन पर उत्सर्जित CO की मात्रा से मापा जाता है।
✔️ राष्ट्रीय स्तर: किसी देश की कार्बन तीव्रता को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की प्रति इकाई पर उत्सर्जित CO से मापा जाता है।

🇮🇳 भारत और जलवायु लक्ष्य

पेरिस समझौता (2015) के तहत भारत ने वर्ष 2030 तक 2005 के स्तर से 45% तक कार्बन तीव्रता घटाने का लक्ष्य रखा है।
✅ यह सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद करेगा।

📌 निष्कर्ष: कार्बन तीव्रता को कम करना हरित भविष्य और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक कदम है! 🌱♻️

यूक्रेन में सेना और नागरिकों के संचार के लिए स्टारलिंक की निर्भरता के बीच, स्पेसएक्स द्वारा इसके हमलावर ड्रोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से चिंताएँ बढ़ गई हैं। अब, यूरोपीय उपग्रह कंपनी यूटेलसैट को एक संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

🚀 स्टारलिंक: प्रमुख विशेषताएँ

स्पेसएक्स द्वारा विकसित उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवा।
✅ लगभग 7,000 निम्न-भू कक्षा (LEO) उपग्रहों के समूह के साथ तेज़ और निम्न-विलंबता इंटरनेट कवरेज।
भारत में स्वीकृति नहीं मिलीसुरक्षा, गोपनीयता, मूल्य निर्धारण और स्थानीय टेलीकॉम इंडस्ट्री के विरोध के कारण।

📡 यूटेलसैट: स्टारलिंक का प्रतिद्वंद्वी

630 LEO उपग्रहों और 35 भू-स्थिर उपग्रहों का संचालन करता है।
150 Mbps तक की इंटरनेट गति प्रदान करता है।
भारत में उपग्रह इंटरनेट सीमित, लेकिन दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत उपग्रह-आधारित सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन का प्रावधान किया गया है।

🔍 निष्कर्ष

📌 स्टारलिंक और यूटेलसैट के बीच प्रतिस्पर्धा तेज़ हो रही है, खासकर युद्धग्रस्त क्षेत्रों और दूरदराज़ के इलाकों में संचार बनाए रखने के लिए! 🌍📶

📅 तारीख: 4 मार्च, 2025
🔬 क्या हुआ? इसरो ने सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (SE2000) का सफल परीक्षण किया, जिससे लॉन्च व्हीकल बूस्टर चरणों के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।

🔑 मुख्य बिंदु

पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (पीएचटीए)

  • यह इंजन के गैस जनरेटर, टर्बो पंप, प्री-बर्नर और अन्य महत्वपूर्ण घटकों का परीक्षण करता है।
  • थ्रस्ट चैंबर के बिना 3 मीटर लंबा हार्डवेयर परीक्षण।

2000 kN का थ्रस्ट

  • सेमी-क्रायोजेनिक इंजन मजबूत थ्रस्ट प्रदान करेगा, जिससे लॉन्च क्षमता बढ़ेगी।

पर्यावरण के अनुकूल प्रणोदक

  • इसरो तरल ऑक्सीजन (LOX), तरल हाइड्रोजन (LH2), और LOX-केरोसिन प्रणालियों का उपयोग कर रहा है।

एलवीएम3 की क्षमता में वृद्धि

  • एलवीएम3 (लॉन्च व्हीकल एमके III) को अपग्रेड किया जा रहा है, जिससे इसकी पेलोड क्षमता 25% तक बढ़ेगी

नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV)

  • गगनयान मिशन के लिए विकसित नया रॉकेट 🚀
  • लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 30 टन तक पेलोड ले जाने की क्षमता
  • पहला और दूसरा चरण LOX इंजन पर आधारित, ऊपरी चरण क्रायोजेनिक होगा।

🔍 निष्कर्ष

📢 इसरो की यह सफलता भविष्य के मिशनों के लिए मजबूत और कुशल लॉन्च सिस्टम विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है! 🌍🚀

UPSC Foundation Course 2026
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📅 तारीख: 5 मार्च, 2025
🗣 क्या कहा यूरोपीय आयुक्त एंड्रियस कुबिलियस ने?
EU भारत को उत्पादन और क्षमता विस्तार का प्रमुख केंद्र मानता है और इसे स्मार्ट विनियमन का मॉडल कहता है।

🔑 मुख्य बिंदु

रणनीतिक साझेदारी 🤝

  • सुरक्षा और रक्षा पर नई रणनीतिक वार्ताएँ शुरू होंगी।
  • मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता जारी।

तेजी से बढ़ता भारतीय विनियमन 🚀

  • यूरोप में जहां कारखाना बनाने में 4 साल लगते हैं, भारत में सिर्फ 12 महीने लगते हैं!

रक्षा क्षेत्र में सहयोग 🛡️

  • नई रक्षा नीतियों और कार्यक्रमों पर चर्चा।
  • भारत को यूरोपीय रक्षा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण साझेदार माना जा रहा है।

भूराजनीतिक चिंताएँ 🌍

  • रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन और उत्तर कोरिया की बढ़ती गतिविधियाँ वैश्विक सुरक्षा के लिए चुनौती।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता के लिए भारत और EU का सहयोग ज़रूरी।

इंडो-पैसिफिक में भारत की भूमिका 🌏

  • भारत को EU के आर्थिक और सुरक्षा हितों के लिए अहम भागीदार माना गया।

🔍 निष्कर्ष

📢 भारत तेज़ विकास, कुशल विनियमन और रणनीतिक स्थिति के कारण यूरोपीय निवेश और रक्षा सहयोग के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है! 🚀🇮🇳

📅 तारीख: 5 मार्च 2025
🔔 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर 2 अप्रैल से ‘प्रतिकूल शुल्क’ लगाने की घोषणा की।
⚠️ कारण? ट्रंप के अनुसार, भारत द्वारा अमेरिका पर लगाया गया “उच्च शुल्क अन्यायपूर्ण” है।

🔑 प्रमुख बिंदु

किन देशों पर लगेगा शुल्क? 🌍

  • भारत, यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील और कनाडा शामिल।

ट्रंप का सख्त बयान 🎤

  • “अगर आप अमेरिका में उत्पादन नहीं करते, तो आपको भारी शुल्क चुकाना होगा।”

भारत-अमेरिका व्यापार स्थिति 📊

  • भारत से अमेरिका को निर्यात: $52.9 बिलियन 💰
    • इलेक्ट्रिकल मशीनरी ($7.6B)
    • कीमती पत्थर/धातु ($6.3B)
    • औषधियाँ ($5.9B)
  • भारत द्वारा अमेरिका से आयात: $29.6 बिलियन
    • खनिज ईंधन और तेल ($9.9B)
    • कीमती पत्थर/धातु ($3.2B)

भारत की प्रतिक्रिया? 🤔

  • अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं
  • केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व्यापार वार्ता कर रहे हैं।

🔍 निष्कर्ष

📢 ट्रंप का यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकता है। भारत की प्रतिक्रिया पर दुनिया की नज़र! 🌎👀

📅 तारीख: 5 मार्च 2025
🔔 प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP)’ के संशोधन को मंजूरी दी।
🎯 उद्देश्य: पशु स्वास्थ्य में सुधार और किसानों के आर्थिक नुकसान को रोकना।

🔑 प्रमुख बिंदु

💰 बजट आवंटन

  • वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए ₹3,880 करोड़ निर्धारित।
  • पशु औषधि के लिए ₹75 करोड़ आवंटित।

📌 योजना के तीन घटक
1️⃣ राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)
2️⃣ एलएच एंड डीसी (LH&DC)
3️⃣ पशु औषधि कार्यक्रम 🏥 (सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध कराने हेतु)

💉 प्रमुख रोग जिन पर ध्यान केंद्रित होगा

  • खुरपका-मुंहपका रोग (FMD)2025 तक टीकाकरण और 2030 तक उन्मूलन लक्ष्य
  • ब्रुसेलोसिस, पीपीआर, सीएसएफ और लम्पी त्वचा रोग का भी समाधान।

📢 नई पहल – सस्ती पशु चिकित्सा दवा

  • पीएम-किसान समृद्धि केंद्रों और सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।

🐂 किसानों को होगा लाभ

  • पशुधन उत्पादकता में सुधार
  • रोजगार सृजन और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा

🔍 निष्कर्ष

📢 सरकार का यह कदम पशु स्वास्थ्य सुधारकर किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि लाने में मदद करेगा! 🚜💡

-: News Analysis: –

📰 चर्चा में क्यों?

भारत का वस्त्र उद्योग वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की क्षमता रखता है, लेकिन उत्पादन लागत, आपूर्ति शृंखला और स्थिरता से जुड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

📊 भारत के वस्त्र उद्योग के मुख्य तथ्य

🔹 आर्थिक योगदान: GDP में 2.3% योगदान, जो 2030 तक 5% तक पहुँच सकता है।
🔹 निर्यात: 2024 में 35.9 बिलियन डॉलर (मुख्य बाज़ार: अमेरिका, यूरोप, UAE)।
🔹 वैश्विक स्थिति: भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा वस्त्र विनिर्माता और छठा सबसे बड़ा निर्यातक है।
🔹 कपास उत्पादन: विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक, 2030 तक 7.2 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान।
🔹 जूट और कृत्रिम फाइबर: विश्व में सबसे बड़ा जूट उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा कृत्रिम फाइबर निर्माता।
🔹 बाजार वृद्धि: 2030 तक 350 बिलियन डॉलर के आँकड़े को छूने की संभावना।

🏛 सरकारी पहल

PM MITRA पार्क: आधुनिक वस्त्र उद्योग हब विकसित करने की योजना।
PLI योजना: उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन।
राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM): तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए नीति।
100% FDI अनुमति: विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए।

भारत के वस्त्र उद्योग की प्रमुख चुनौतियाँ

🔺 FTA की कमी: वियतनाम और चीन के पास प्रमुख बाज़ारों के साथ मुक्त व्यापार समझौते हैं, जिससे वे अधिक प्रतिस्पर्धी हैं।
🔺 घटता निर्यात: वित्त वर्ष 20-24 के बीच वस्त्र निर्यात 1.8% और परिधान निर्यात 8.2% घटा।
🔺 महँगा कच्चा माल: पॉलिएस्टर और विस्कोस की घरेलू कीमतें चीन की तुलना में 33-36% अधिक।
🔺 लॉजिस्टिक्स की समस्या: भारत की खंडित आपूर्ति शृंखला के कारण लागत अधिक।
🔺 बांग्लादेश की प्रतिस्पर्धा: LDC का दर्जा होने के कारण उसे वैश्विक बाज़ारों में शुल्क मुक्त निर्यात की सुविधा मिलती है।
🔺 पर्यावरणीय दबाव: वैश्विक फैशन ब्रांड स्थिरता (sustainability) को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे भारत के लिए चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।

🚀 आगे की राह

आपूर्ति शृंखला सुदृढ़ करें: “फाइबर-टू-फैशन” केंद्र और एकीकृत वस्त्र पार्क विकसित हों।
नीतिगत सुधार: यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य बाज़ारों के साथ व्यापार समझौते करें।
MMF उत्पादन बढ़ाएँ: पॉलिएस्टर और विस्कोस जैसे कृत्रिम फाइबर के उत्पादन को प्रोत्साहित करें।
श्रमिकों की दक्षता बढ़ाएँ: उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में अधिक MITRA पार्क स्थापित करें।
संधारणीयता (Sustainability) पर जोर दें: पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन तकनीक अपनाने के लिए MSME को वित्तीय सहायता दें।

नोट: 2030 तक फास्ट फैशन अपशिष्ट 148 मिलियन टन तक पहुँच सकता है। इस चुनौती से निपटने के लिए पुनर्नवीनीकरण वस्त्रों और अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना आवश्यक है।

🔚 निष्कर्ष

भारत का वस्त्र उद्योग वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए नीतिगत सुधार, आपूर्ति शृंखला सुदृढ़ीकरण और संधारणीयता को अपनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। 🚀

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📰 चर्चा में क्यों?

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र स्लम क्षेत्र अधिनियम, 1971 की समीक्षा शुरू की, जिससे झुग्गीवासियों के आवास और आजीविका अधिकारों की रक्षा की जा सके।

📜 महाराष्ट्र स्लम क्षेत्र (सुधार, निकासी और पुनर्विकास) अधिनियम, 1971

✔️ उद्देश्य: झुग्गी पुनर्विकास में देरी की वजहें खोजकर समाधान निकालना।
✔️ न्यायिक हस्तक्षेप: SC ने HC को स्वतः संज्ञान लेने और विधायी कमियों की समीक्षा करने को कहा।

⚠️ HC द्वारा पहचानी गई प्रमुख कमियाँ

🔹 बिल्डरों का हस्तक्षेप: निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता पर संदेह।
🔹 झुग्गीवासियों की पहचान जटिल: कानूनी मुकदमेबाजी को बढ़ावा।
🔹 डेवलपर्स की भूमिका: बिक्री योग्य क्षेत्र बढ़ाने की होड़।
🔹 अपर्याप्त पुनर्वास सुविधाएँ: पारगमन आवास में देरी।
🔹 नियामक संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल।

🏢 अधिनियम के प्रमुख प्रावधान

📌 महाराष्ट्र सरकार को किसी क्षेत्र को “झुग्गी क्षेत्र” घोषित करने और अधिग्रहण का अधिकार।
📌 Slum Rehabilitation Authority (SRA): निजी डेवलपर्स द्वारा पुनर्विकास की देखरेख।
📌 महाराष्ट्र झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना 1995: झुग्गीवासियों को निःशुल्क मकान देने के लिए डेवलपर्स को अतिरिक्त लाभ।

🏚️ मलिन बस्तियाँ क्या हैं?

🌍 संयुक्त राष्ट्र के अनुसार: शहर का जर्जर क्षेत्र, जिसमें गरीबों के लिए असुरक्षित आवास और मूलभूत सुविधाओं की कमी होती है।
📈 2020 में वैश्विक मलिन बस्ती जनसंख्या: 1.1 बिलियन से अधिक।

📊 मलिन बस्तियों के विकास के कारण

✔️ तेज़ शहरीकरण: 2026 तक 40% जनसंख्या शहरी होगी।
✔️ आर्थिक असमानता: बिहार-ओडिशा से महाराष्ट्र-गुजरात जैसे राज्यों में पलायन।
✔️ शहरी प्रशासन की अक्षमता: मलिन बस्तियों के विकास में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी।

मलिन बस्ती विकास की उपेक्षा से समस्याएँ

⚠️ अवसरों का भ्रम: शहरी मलिन बस्तियाँ गरीबी से मुक्ति का भ्रम पैदा करती हैं।
⚠️ स्वास्थ्य खतरे: गंदे पानी और खराब स्वच्छता से टाइफाइड, हैजा जैसी बीमारियाँ।
⚠️ शोषण: महिलाएँ और बच्चे बाल तस्करी, वेश्यावृत्ति और भिक्षावृत्ति का शिकार।
⚠️ अपराध और उपेक्षा: सरकार का कम ध्यान, जिससे अपराध दर बढ़ती है।

🚧 मलिन बस्ती पुनर्वास की चुनौतियाँ

📍 भूमि विवाद: नौकरशाही और कानूनी प्रक्रियाएँ धीमी।
📍 वित्तीय बाधाएँ: निजी डेवलपर्स निवेश में हिचकिचाते हैं।
📍 सामाजिक-सांस्कृतिक प्रतिरोध: झुग्गीवासियों का अपने समुदाय से अलग होने का डर।
📍 पर्यावरणीय समस्याएँ: अपशिष्ट प्रबंधन की कमी से प्रदूषण बढ़ता है।
📍 प्रशासनिक अक्षमता: पारदर्शिता की कमी और देरी।

🔄 आगे की राह

✔️ स्पष्ट विधिक ढाँचा: दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की तरह भूमि अधिग्रहण नीति।
✔️ नवीन वित्तीय मॉडल: PPP (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) को बढ़ावा।
✔️ सामुदायिक सहभागिता: झुग्गीवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करें।
✔️ पर्यावरणीय सुधार: हरित क्षेत्र और अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता।
✔️ पारदर्शिता और शासन सुधार: अहमदाबाद SNP मॉडल को अपनाएँ।

🔚 निष्कर्ष

मलिन बस्ती पुनर्विकास के लिए ठोस नीतिगत सुधार, वित्तीय निवेश, पारदर्शी प्रशासन और सामुदायिक सहभागिता आवश्यक है। तभी एक समावेशी और टिकाऊ शहरी विकास संभव होगा। 🌆✨

📰 चर्चा में क्यों?

नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब (NITI-FTH) द्वारा जारी रिपोर्ट “क्वांटम कंप्यूटिंग: नेशनल सिक्योरिटी इम्प्लीकेशन्स एंड प्रेपरेडनेस” में भारत की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग के महत्व पर जोर दिया गया है।

🧑‍💻 क्या है क्वांटम कंप्यूटिंग?

यह एक नई पीढ़ी की कंप्यूटिंग तकनीक है जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करती है।
🔹 क्लासिकल कंप्यूटर के विपरीत, यह क्यूबिट्स (Quantum Bits) पर आधारित होती है।
🔹 प्रायिकतात्मक (Probabilistic) गणनाएँ करने में सक्षम होती है, जिससे यह क्लासिकल कंप्यूटर्स से अधिक तेज़ होती है।

🌍 नीति आयोग की रिपोर्ट के मुख्य तथ्य

🔸 वैश्विक निवेश: 30+ देशों ने $40 बिलियन+ का निवेश किया है, चीन ($15B) सबसे आगे है।
🔸 भारत की स्थिति: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के तहत ₹6,003 करोड़ (~$750 मिलियन) का बजट।
🔸 सैन्य और सुरक्षा क्षेत्र में लाभ:
✔️ बेहतर एन्क्रिप्शन
✔️ सुपरफास्ट डिक्रिप्शन क्षमताएँ
✔️ आधुनिक हथियार प्रणाली

🔸 आर्थिक प्रभाव:
✔️ उन्नत इनोवेशन
✔️ नए स्टार्टअप और नौकरियों का सृजन
✔️ उद्योगों में नई संभावनाएँ

⚠️ चुनौतियाँ

🔹 कम निवेश 💰 – भारत की फंडिंग दूसरे देशों की तुलना में कम
🔹 घरेलू विनिर्माण की कमी 🏭 – क्वांटम कंप्यूटिंग में विशेष उपकरणों की जरूरत पड़ती है, जिन्हें भारत विदेशों से आयात करता है
🔹 स्टार्टअप्स और निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी 🚀 – भारत में IT कंपनियों की भागीदारी कम है, जबकि अमेरिका में Google, IBM और Microsoft इस क्षेत्र में आगे हैं।
🔹 साइबर सुरक्षा खतरे 🔓 – क्वांटम कंप्यूटर मौजूदा एन्क्रिप्शन को तोड़ सकते हैं, जिससे सरकारी, सैन्य और वित्तीय डेटा खतरे में आ सकते हैं।

🏆 राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM)

👉 2023-31 के लिए ₹6,003 करोड़ का बजट
🔹 लक्ष्य:
✔️ 50-1000 Qubits वाले क्वांटम कंप्यूटर का विकास
✔️ 2000+ किमी तक सुरक्षित क्वांटम संचार
✔️ सटीक नेविगेशन और संचार हेतु नई क्वांटम डिवाइसेस
✔️ क्वांटम अनुसंधान के लिए 4 “T-हब” की स्थापना


📢 नीति आयोग की सिफारिशें

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति मजबूत की जाए
पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) अपनाई जाए
रिसर्च और फंडिंग बढ़ाई जाए
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाए
वैश्विक सहयोग बढ़ाया जाए (अमेरिका, EU, जापान के साथ)

🏁 निष्कर्ष

क्वांटम कंप्यूटिंग भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, लेकिन फंडिंग, घरेलू आपूर्ति और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है।

📌 भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए तेजी से कार्य करना होगा! 🚀

📅 तारीख: 5 मार्च 2025
🔔 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अर्थव्यवस्था में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया।
🎯 उद्देश्य: आर्थिक संवृद्धि को गति देना और ब्याज दरों को नियंत्रित करना।


🔑 मुख्य बिंदु

📌 ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) के तहत दो प्रमुख पहलें:
1️⃣    सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) की खरीद 📜
🔹 RBI खुले बाजार में सरकारी बॉन्ड खरीदकर मुद्रा आपूर्ति बढ़ाएगा।
2️⃣   USD/INR बाय-सेल स्वैप नीलामी 💵
🔹 RBI विदेशी मुद्रा विनिमय (डॉलर-रुपया) के जरिए बाजार में धन प्रवाह को बढ़ाएगा।

📌 ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) क्या है?

  • RBI सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) की खरीद करके बाजार में मुद्रा आपूर्ति बढ़ाता है।
  • RBI सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री करके बाजार से अधिशेष मुद्रा को हटाता है।
  • यह प्रक्रिया ब्याज दरों को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद करती है।

📌 USD/INR स्वैप नीलामी कैसे काम करती है?

  • बैंक RBI को डॉलर बेचते हैं और एक निश्चित अवधि के बाद उसी मूल्य पर डॉलर वापस खरीदने के लिए सहमत होते हैं।
  • यह नीलामी के माध्यम से किया जाता है, जहां सबसे कम स्वैप दर वाली बोली लगाने वाले बैंक को प्राथमिकता मिलती है।

📌 बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ाने की आवश्यकता क्यों?
🚨 नवंबर 2024 से लिक्विडिटी की कमी को लेकर चिंताएं:

  • कर भुगतान के कारण बैंकों से धन की निकासी।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली से नकदी की कमी।
  • RBI का विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप।

📌 लिक्विडिटी बढ़ाने के फायदे:
ब्याज दरों में कटौती – कर्ज सस्ता होगा, जिससे आम लोगों और व्यवसायों को फायदा।
RBI की मौद्रिक नीति का प्रभावी क्रियान्वयन।
आर्थिक संवृद्धि को गति मिलेगी।

📌 अन्य उपाय:
📊 मात्रात्मक (Quantitative) उपाय:
🔹 रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, नकद आरक्षित अनुपात (CRR), वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)।
📈 गुणात्मक (Qualitative) उपाय:
🔹 नैतिक अनुनय (Moral Suasion), सेलेक्टिव क्रेडिट कंट्रोल (SCC), क्रेडिट राशनिंग।

🔍 निष्कर्ष

📢 RBI के इस फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, ब्याज दरों में स्थिरता आएगी, और व्यवसायों के लिए धन उपलब्धता बढ़ेगी! 💼🚀

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DOWNLOADE COMPLE CURRENT AFFAIRS OF FEB 2025

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