29 March 2025, Daily News Analysis (The Hindu news analysis hindi)
Important for Prelims
- आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 – मुख्य प्रावधान
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोग – केरल बना पहला राज्य
- ग्रीन ग्रैबिंग (Green Grabbing) – पर्यावरण संरक्षण या भूमि अधिग्रहण?
- जेनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation) – चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी कदम
- DX-EDGE: MSME के डिजिटल सशक्तिकरण की पहल
- GAIA मिशन: ESA का ऐतिहासिक एस्ट्रोमेट्री मिशन बंद
Important for Mains
- भारत में LPG सब्सिडी योजनाएँ: एक सरल विश्लेषण
- न्यायिक नियुक्तियों में सुधार की आवश्यकता
- ✈️ भारत का विमानन क्षेत्र: उड़ान भरती नई ऊँचाइयाँ ✈️
- भारत में सतत् पर्यटन: संभावनाएँ और समाधान
Important for Prelims
1. आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 – मुख्य प्रावधान
1. DM अधिनियम, 2005 में प्रमुख संशोधन
✅ नई योजना व्यवस्था – अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) स्वयं योजनाएँ तैयार करेंगे।
✅ विस्तारित भूमिका – जलवायु जोखिम मूल्यांकन, तकनीकी सहायता, राहत मानक निर्धारण और आपदा डेटाबेस का अनुरक्षण किया जाएगा।
✅ NDMA की शक्ति में वृद्धि – इसे विनियम बनाने, अधिकारियों की संख्या तय करने और नियुक्ति करने की शक्ति दी गई है (केंद्रीय अनुमोदन के साथ)।
2. आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिए प्रावधान
📌 राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अनिवार्य आपदा डेटाबेस।
📌 नगरीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMA) – राज्यों की राजधानियों और प्रमुख शहरों में UDMA स्थापित किए जा सकेंगे।
📌 राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) – राज्यों को अपना SDRF गठित करने और उनके कार्यों को परिभाषित करने का अधिकार।
3. प्रमुख समितियों को कानूनी दर्जा
🔹 राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) – प्रमुख आपदाओं के लिए नोडल निकाय।
🔹 उच्च स्तरीय समिति (HLC) – राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में सहायता करेगी।
🔹 NDMA में नियुक्तियाँ – विशेषज्ञों, सलाहकारों और अधिकारियों की नियुक्ति केंद्रीय अनुमोदन से की जाएगी।
➡️ विधेयक के प्रभाव
🚀 संस्थागत क्षमता में वृद्धि
📊 डेटा-संचालित निर्णय लेने की प्रक्रिया
🤝 केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय
💡 यह विधेयक आपदा प्रबंधन को आधुनिक, प्रभावी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
——————————
2. वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोग – केरल बना पहला राज्य
📌 केरल राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग विधेयक पारित – केरल देश का पहला राज्य बन गया है जिसने वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक आयोग गठित करने के लिए विधेयक पारित किया है।
🔹 पृष्ठभूमि और आवश्यकता
- केरल राज्य नियोजन बोर्ड के अनुसार, 2015 में केरल में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की जनसंख्या 1% थी, जबकि राष्ट्रीय औसत केवल 8.3% था।
- वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनके कल्याण, सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया।
🔹 वरिष्ठ नागरिक आयोग – मुख्य विशेषताएँ
✅ उद्देश्य –
- वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा, कल्याण और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ाना।
- उनके अधिकारों की रक्षा और उनके प्रति होने वाले दुर्व्यवहार की रोकथाम करना।
✅ संरचना –
- आयोग में एक अध्यक्ष और न्यूनतम तीन सदस्य होंगे।
- सभी सदस्य वरिष्ठ नागरिक होंगे।
🔹 संभावित प्रभाव
✔ वरिष्ठ नागरिकों को कानूनी संरक्षण मिलेगा।
✔ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।
✔ वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को प्रभावी रूप से सुलझाने के लिए एक विशेष मंच उपलब्ध होगा।
💡 यह कदम भारत में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।
——————————————————-
3.ग्रीन ग्रैबिंग (Green Grabbing) – पर्यावरण संरक्षण या भूमि अधिग्रहण?
📌 असम में स्थानीय समुदायों द्वारा असम सोलर पार्क का विरोध
असम में प्रस्तावित असम सोलर पार्क को लेकर स्थानीय समुदायों ने विरोध दर्ज कराया है। उनका आरोप है कि यह परियोजना ‘ग्रीन ग्रैबिंग’ का एक उदाहरण है।
🔹 परियोजना वित्त-पोषण – एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा किया जा रहा है।
🔹 ग्रीन ग्रैबिंग क्या है?
ग्रीन ग्रैबिंग एक प्रक्रिया है जिसमें पर्यावरणीय उद्देश्यों के नाम पर भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का अधिग्रहण किया जाता है।
⚡ यह एक नई वैश्विक चिंता बनकर उभरी है, खासकर विकासशील देशों में।
🔹 ग्रीन ग्रैबिंग कैसे होती है?
🌱 भूमि का उपयोग कार्बन ऑफसेटिंग, जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण या स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन जैसी परियोजनाओं के लिए किया जाता है।
🌍 यह प्रक्रिया अक्सर स्थानीय समुदायों की सहमति के बिना होती है, जिससे कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
🔹 ग्रीन ग्रैबिंग के प्रभाव
❌ स्थानीय समुदायों का विस्थापन – पारंपरिक भूमि उपयोग करने वाले समुदाय अपनी ज़मीन से बेदखल हो जाते हैं।
❌ आजीविका पर असर – किसान, चरवाहे और स्थानीय व्यवसायों को अपनी आजीविका गंवानी पड़ती है।
❌ खाद्य सुरक्षा पर खतरा – कृषि भूमि के दूसरे उद्देश्यों के लिए उपयोग से स्थानीय खाद्य उत्पादन प्रभावित होता है।
❌ पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति का नुकसान – स्थानीय समुदायों का पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने का पारंपरिक ज्ञान धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
🔹 असम सोलर पार्क विवाद क्यों?
🌞 असम में सौर ऊर्जा परियोजना को स्वच्छ ऊर्जा के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय समुदायों का दावा है कि इससे उनकी भूमि और आजीविका प्रभावित होगी।
🌾 यहाँ की कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर समुदायों को अपने पारंपरिक संसाधनों से वंचित किया जा सकता है।
💡 क्या ग्रीन ग्रैबिंग सही है, या यह पर्यावरण संरक्षण की आड़ में भूमि अधिग्रहण है? आपकी क्या राय है? 😊
————————————————–
4. जेनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation) – चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी कदम
📌 चीन में ऐतिहासिक जेनोट्रांसप्लांटेशन
चीन में चिकित्सकों ने जीन-संशोधित सूअर के लिवर को एक मानव शरीर में प्रत्यारोपित कर नई चिकित्सा संभावनाओं को जन्म दिया है।
🔹 इस प्रक्रिया में सूअर के लीवर ने मरीज के मूल लिवर को पूरी तरह से प्रतिस्थापित नहीं किया, बल्कि एक सहायक (Auxiliary) अंग के रूप में कार्य किया।
🔹 इसे “ब्रिज ऑर्गन” के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि मरीज को मानव दाता के अंग की प्रतीक्षा के दौरान सहायता मिल सके।
🔹 जेनोट्रांसप्लांटेशन क्या है?
🧬 Xenotransplantation वह प्रक्रिया है जिसमें किसी पशु से प्राप्त अंग, ऊतक या कोशिकाओं को मानव शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है।
🔬 इसका उद्देश्य मानव अंगों की कमी को दूर करना और ट्रांसप्लांटेशन के लिए नए विकल्प प्रदान करना है।
🔹 जेनोट्रांसप्लांटेशन के लाभ
✅ अंगों की वैकल्पिक आपूर्ति – ट्रांसप्लांट के लिए उपलब्ध मानव अंगों की कमी को पूरा कर सकता है।
✅ तेजी से उपलब्धता – मानव दाताओं की तुलना में पशु अंग अधिक आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।
✅ गंभीर रोगियों के लिए समाधान – ब्रिज ऑर्गन के रूप में काम कर सकता है, जिससे मरीजों को स्थायी समाधान मिलने तक राहत मिलती है।
🔹 मुख्य चुनौतियाँ
❌ इम्यून रिजेक्शन – मानव शरीर पशु अंग को विदेशी मानकर उसे अस्वीकार कर सकता है।
❌ संभावित संक्रमण – पशु से मानव में वायरस या बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है।
❌ नैतिक और सामाजिक मुद्दे – जानवरों के अंगों के उपयोग को लेकर समाज में नैतिक बहस बनी रहती है।
💡 क्या जेनोट्रांसप्लांटेशन भविष्य में अंग प्रत्यारोपण का सबसे प्रभावी समाधान बन सकता है? आपकी क्या राय है? 😊
—————————————————-
5. DX-EDGE: MSME के डिजिटल सशक्तिकरण की पहल
📌 नीति आयोग के CEO ने “संवृद्धि और उद्यम के लिए डिजिटल उत्कृष्टता (DX-EDGE) पहल” लॉन्च की
DX-EDGE के बारे में
🔹 नेतृत्व – नीति फ्रंटियर टेक हब (NITI FTH) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के सहयोग से भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा।
🔹 उद्देश्य – डिजिटल प्रौद्योगिकियों और सेक्टर-विशिष्ट रणनीतियों के जरिए भारत के MSME सेक्टर को अधिक लचीला, प्रतिस्पर्धी और डिजिटल रूप से सक्षम बनाना।
🔹 डिजिटल परिवर्तन सुविधा केंद्र (DTFCs) – अकादमिक और तकनीकी संस्थानों को डिजिटल परिवर्तन केंद्रों में परिवर्तित कर, डिजिटल अपनाने की गति को बढ़ाना।
DX-EDGE के संभावित लाभ
✅ MSME सेक्टर का आधुनिकीकरण – छोटे और मध्यम उद्यमों को डिजिटल टूल्स से जोड़ना।
✅ डिजिटल इंडिया मिशन को बढ़ावा – डिजिटल अपनाने से उत्पादन और दक्षता में वृद्धि होगी।
✅ नवाचार और प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी – MSME को ग्लोबल मार्केट के लिए तैयार करना।
✅ अकादमिक और औद्योगिक सहयोग – शिक्षण संस्थानों को डिजिटल परिवर्तन केंद्रों में बदलना।
💡 DX-EDGE भारत के MSME सेक्टर को डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धी बना सकता है। क्या आपको लगता है कि यह पहल छोटे उद्यमों के लिए क्रांतिकारी साबित होगी? 😊
—————————————————–
6. GAIA मिशन: ESA का ऐतिहासिक एस्ट्रोमेट्री मिशन बंद
📌 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने अपने GAIA अंतरिक्ष वेधशाला मिशन को बंद कर दिया
GAIA (Global Astrometric Interferometer for Astrophysics) के बारे में
🔹 लॉन्च – 19 दिसंबर 2013
🔹 उद्देश्य – हमारी आकाशगंगा मिल्की वे का तीन-आयामी (3D) मानचित्र तैयार करना।
🔹 स्थान – GAIA को लैग्रेंज पॉइंट-2 (L2) पर स्थापित किया गया, जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है।
🔹 तकनीकी विशेषताएँ –
✅ तारों और अन्य खगोलीय पिंडों की स्थिति और गति की सटीक माप।
✅ एस्ट्रोमेट्री (Astrometry) विज्ञान के तहत ब्रह्मांड की टोपोग्राफी और गतिशीलता का अध्ययन।
✅ लगभग 1 अरब तारों के डाटा को रिकॉर्ड किया।
लैग्रेंज पॉइंट-2 (L2) क्यों महत्वपूर्ण?
🚀 L2 पर स्थिरता – यह वह स्थान है जहाँ सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे GAIA ईंधन बचाते हुए स्थिरता से डेटा इकट्ठा कर सकता था।
GAIA मिशन की प्रमुख उपलब्धियाँ
✅ अब तक का सबसे विस्तृत तारकीय मानचित्र बनाया।
✅ तारों की दूरी, चमक, गति और रासायनिक संरचना का अध्ययन।
✅ ब्लैक होल्स, एक्सोप्लैनेट्स और आकाशगंगा की उत्पत्ति पर नई जानकारी।
🌍 GAIA मिशन ने ब्रह्मांड की हमारी समझ को बदल दिया। क्या आप सोचते हैं कि यह मिशन खगोल विज्ञान में एक नई क्रांति लाएगा? 🚀🔭
Important for Mains
1. भारत में LPG सब्सिडी योजनाएँ: एक सरल विश्लेषण
🚀 चर्चा में क्यों?
➡ PAHAL DBT योजना और ‘गिव इट अप’ अभियान को एक दशक पूरा हो गया।
➡ PMUY (प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना) से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को LPG कवरेज मिला।
🔥 PAHAL DBT योजना क्या है?
✔ शुरुआत: वर्ष 2015, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा।
✔ उद्देश्य: LPG सब्सिडी को सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खाते में जमा करना।
✔ मुख्य लाभ:
✅ लीकेज और फर्जी कनेक्शन की रोकथाम
✅ बिचौलियों की भूमिका समाप्त
✅ लाभार्थियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ना
✔ परिणाम:
🔹 30.19 करोड़ LPG उपभोक्ता नामांकित (2024 तक)।
🔹 1.5 लाख करोड़ रुपए की बचत सरकार को हुई।
🙌 ‘गिव इट अप’ अभियान क्या है?
✔ शुरुआत: 2015 में PM मोदी द्वारा ‘ऊर्जा संगम’ शिखर सम्मेलन में।
✔ लक्ष्य: आर्थिक रूप से सक्षम उपभोक्ताओं को LPG सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना।
✔ परिणाम:
🔹 पहले साल 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने सब्सिडी छोड़ी।
🔹 2025 तक संख्या 1.15 करोड़ तक पहुँची।
👩👩👧👦 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) क्या है?
✔ शुरुआत: 2016 में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को निःशुल्क LPG कनेक्शन देने के लिए।
✔ लाभ:
✅ 14.2KG सिलेंडर के लिए ₹2200 और 5KG के लिए ₹1300 की सहायता।
✅ स्टोव खरीदने के लिए ब्याज मुक्त ऋण।
✔ तीन चरणों में विस्तार:
1️⃣ PMUY 1.0 (2016-19): 8 करोड़ कनेक्शन।
2️⃣ PMUY 2.0 (2021-22): 1.6 करोड़ अतिरिक्त कनेक्शन।
3️⃣ PMUY 3.0 (2023-26): 75 लाख नए कनेक्शन (जुलाई 2024 तक पूरा लक्ष्य)।
✔ अब तक: 10.33 करोड़ परिवारों को LPG कनेक्शन मिला।
🤔 LPG के उपयोग में अभी भी चुनौतियाँ क्यों?
❌ उच्च रिफिल लागत: ₹1100 प्रति सिलेंडर, गरीब परिवारों के लिए महंगा।
❌ कम रिफिल दरें:
🔹 PMUY उपभोक्ता: साल में सिर्फ 3.95 बार रिफिल करते हैं।
🔹 सामान्य उपभोक्ता: साल में 6.5 बार रिफिल करते हैं।
❌ पारंपरिक ईंधन की उपलब्धता: जलाऊ लकड़ी, गोबर, फसल अवशेष सस्ते और आसानी से मिलते हैं।
❌ संस्कृति और आदतें: कई लोग अभी भी चूल्हे पर खाना पकाने को प्राथमिकता देते हैं।
🎯 निष्कर्ष:
✅ PAHAL और उज्ज्वला योजना से LPG कवरेज बढ़ा।
✅ बिचौलियों और फर्जी कनेक्शन खत्म हुए।
❌ लेकिन, महंगे रिफिल और पारंपरिक ईंधन की उपलब्धता से LPG का उपयोग सीमित है।
💡 समाधान? रिफिल सब्सिडी बढ़ाना और जागरूकता अभियान चलाना!
———————————————————–
2. न्यायिक नियुक्तियों में सुधार की आवश्यकता
🌟 परिचय
भारत में न्यायपालिका लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो न्याय प्रदान करने और संविधान की रक्षा करने की भूमिका निभाती है। लेकिन हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आवास से नकदी मिलने की घटना ने न्यायिक नियुक्तियों की पारदर्शिता और कॉलेजियम प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
👉 इस संदर्भ में दो प्रमुख सुधारों पर चर्चा हो रही है:
- राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) – न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव का एक प्रस्ताव।
- अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (AIJS) – न्यायिक भर्ती की प्रक्रिया को केंद्रीकृत और अधिक पारदर्शी बनाने का सुझाव।
⚖ भारत में न्यायिक नियुक्ति की प्रक्रिया
1️⃣ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
📜 अनुच्छेद 124(2) के तहत, राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।
📌 राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों से परामर्श लेने के बाद इस प्रक्रिया को पूरा करते हैं।
2️⃣ उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
📜 अनुच्छेद 217 के तहत, राष्ट्रपति द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है।
📌 इस प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श लिया जाता है।
📌 यदि कोई उच्च न्यायालय दो या अधिक राज्यों के लिए साझा किया गया है, तो राष्ट्रपति उन सभी राज्यों के राज्यपालों से परामर्श लेते हैं।
3️⃣ कॉलेजियम प्रणाली
🧐 यह प्रणाली किसी भी संवैधानिक प्रावधान या संसद के अधिनियम पर आधारित नहीं है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के माध्यम से विकसित हुई है।
👥 कॉलेजियम में कौन होता है?
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI)
- सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश
- उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ न्यायाधीशों का परामर्श
📌 इस प्रणाली का उद्देश्य न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाए रखना है, लेकिन इसमें कई कमियाँ भी हैं।
🚨 वर्तमान न्यायिक नियुक्ति प्रणाली की चुनौतियाँ
🔴 1. कार्यपालिका की कोई भागीदारी नहीं
👉 न्यायाधीशों की नियुक्ति पूरी तरह से न्यायपालिका के हाथ में होती है, जिससे सरकार की कोई निगरानी नहीं होती।
👉 इससे गोपनीयता बढ़ती है और योग्य उम्मीदवारों के चयन में पक्षपात का खतरा रहता है।
🔴 2. योग्यता आधारित चयन का अभाव
👉 कोई निश्चित चयन मानदंड नहीं होने से कई बार न्यायाधीशों की नियुक्ति में व्यक्तिगत संबंधों और सिफारिशों का असर दिखता है।
👉 “अंकल जज सिंड्रोम” – जब न्यायाधीश अपने परिवार या परिचितों को न्यायिक पदों पर बढ़ावा देते हैं।
🔴 3. शक्ति संतुलन का अभाव
👉 कॉलेजियम प्रणाली में न्यायपालिका को पूर्ण शक्ति मिलती है, जिससे कार्यपालिका और विधायिका की भूमिका समाप्त हो जाती है।
👉 इससे सत्ता का केंद्रीकरण हो जाता है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
🔴 4. अपारदर्शी प्रक्रिया
👉 कॉलेजियम की नियुक्ति प्रक्रिया बिना किसी आधिकारिक रिकॉर्ड के होती है, जिससे यह गुप्त और अपारदर्शी बन जाती है।
👉 कोई भी जनता या सरकार इस प्रक्रिया की निगरानी नहीं कर सकती।
🔴 5. न्यायिक नियुक्तियों में विविधता की कमी
👉 महिलाओं और सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों का न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
👉 2024 तक, केवल 14% उच्च न्यायालय के न्यायाधीश महिलाएँ थीं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय में केवल दो महिला न्यायाधीश थीं।
🔴 6. न्यायिक नियुक्तियों में देरी
👉 कॉलेजियम प्रणाली में कोई निश्चित समय-सीमा नहीं होने के कारण नियुक्तियाँ लंबित रहती हैं।
👉 औसत नियुक्ति प्रक्रिया में 285 दिन लगते हैं, जिससे न्यायिक कार्यों में देरी होती है।
——————————————
🏛 राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) – एक बेहतर विकल्प?
📜 NJAC क्या है?
👉 यह 99वें संविधान संशोधन (2014) के तहत प्रस्तावित एक निकाय था, जिसे न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार के लिए बनाया गया था।
👉 इसका उद्देश्य कॉलेजियम प्रणाली को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना था।
👥 NJAC की संरचना
1️⃣ भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) – अध्यक्ष
2️⃣ दो वरिष्ठतम न्यायाधीश – सदस्य
3️⃣ कानून मंत्री – सदस्य
4️⃣ दो प्रतिष्ठित व्यक्ति – सदस्य (SC/ST/OBC/महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य)
⚖ NJAC की विशेषताएँ
✅ पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सभी निर्णय लिखित रूप में दर्ज किए जाते।
✅ न्यायपालिका और कार्यपालिका में संतुलन बनाए रखने की व्यवस्था।
✅ दो सदस्य यदि किसी नाम पर असहमति जताते, तो वह नाम खारिज हो जाता।
❌ 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने NJAC को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
📌 कोर्ट का तर्क था कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।
📌 कार्यपालिका के हस्तक्षेप से न्यायपालिका की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती थी।
🛡 अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (AIJS) – न्यायपालिका के लिए UPSC?
📜 AIJS क्या है?
👉 AIJS ज़िला और अधीनस्थ न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक केंद्रीकृत परीक्षा प्रणाली है।
👉 इसका उद्देश्य न्यायिक पदों के लिए समान गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
📜 संवैधानिक आधार
📌 अनुच्छेद 312 – राज्यसभा द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव के माध्यम से AIJS की स्थापना संभव।
📌 अनुच्छेद 233 और 234 – वर्तमान में राज्यों को ज़िला न्यायाधीशों की नियुक्ति की शक्ति प्रदान करते हैं।
⚖ AIJS की संभावित लाभ
✅ युवा प्रतिभाओं को न्यायिक सेवा में आने का अवसर मिलेगा।
✅ समान मानकों और योग्यता के आधार पर न्यायिक नियुक्तियाँ होंगी।
✅ न्यायपालिका में महिलाओं और कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।
🔚 निष्कर्ष
⚖ न्यायपालिका में पारदर्शिता और संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
⚖ NJAC और AIJS जैसे सुधार न्यायपालिका को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
⚖ कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाते हुए निष्पक्ष और जवाबदेह नियुक्ति प्रणाली की जरूरत है।
💡 “एक निष्पक्ष और पारदर्शी न्यायपालिका ही लोकतंत्र की असली ताकत होती है!”
———————————————-
3. ✈️ भारत का विमानन क्षेत्र: उड़ान भरती नई ऊँचाइयाँ ✈️
📰 चर्चा में क्यों?
भारत जून 2025 में 81वीं अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) की वार्षिक बैठक और विश्व वायु परिवहन शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह भारत के तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र को वैश्विक मंच पर दर्शाने का बड़ा अवसर होगा।
🚀 भारत का विमानन क्षेत्र: एक व्यापक परिदृश्य
🔹 तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाज़ार: अमेरिका और चीन के बाद, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बनने की ओर अग्रसर है।
🔹 वायु यात्री संख्या में उछाल: वित्त वर्ष 2025 (सितंबर 2024 तक) में 196.91 मिलियन यात्रियों ने हवाई यात्रा की।
🔹 रोजगार और अर्थव्यवस्था में योगदान:
- सीधा रोज़गार: 69 लाख लोगों को
- अप्रत्यक्ष रूप से: 77 लाख नौकरियाँ
- कुल आर्थिक योगदान: $53.6 बिलियन (GDP का 5%)
🏗️ बुनियादी ढांचे में तेज़ी से विकास
✅ हवाई अड्डों की संख्या
- 2014 में: 74
- 2024 में: 157
- 2047 तक: 350-400 हवाई अड्डों का लक्ष्य
✅ ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट: 21 स्वीकृत, जिनमें से 11 पहले ही चालू हैं।
✅ नई टर्मिनल सुविधाएँ: बागडोगरा, देहरादून, और अन्य प्रमुख शहरों में विस्तार जारी।
🔑 विकास के प्रमुख कारक
🛫 बढ़ता मध्यम वर्ग: भारत में मध्यम वर्ग के विस्तार से हवाई यात्रा दोगुनी हो गई है।
🛬 बेड़े (फ्लीट) का विस्तार: इंडिगो, एयर इंडिया जैसी कंपनियों ने सैकड़ों नए विमानों के ऑर्डर दिए हैं।
🌍 पर्यटन और व्यावसायिक यात्रा: धार्मिक, मेडिकल, और साहसिक पर्यटन के चलते हवाई यात्राएँ बढ़ रही हैं।
👩✈️ महिला पायलटों की बढ़ती संख्या: भारत में 15% महिला पायलट हैं (वैश्विक औसत सिर्फ 5%)।
🏗️ निजी क्षेत्र की भागीदारी: PPP मॉडल के तहत 24 निजी हवाई अड्डे संचालित हो रहे हैं।
🚀 सरकारी पहल:
- UDAN योजना से 519 नए रूट्स विकसित हुए, जिससे छोटे शहरों को हवाई सेवा मिली।
- DigiYatra: चेहरे की पहचान तकनीक से बिना कागज़ात यात्रा की सुविधा।
- FDI प्रोत्साहन: 49% तक स्वचालित निवेश, 100% विदेशी निवेश को प्रोत्साहन।
- MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए करों में कटौती।
⚠️ मुख्य चुनौतियाँ
🔺 उच्च ईंधन लागत: एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर अधिक कर, जिससे ऑपरेशन महंगा हो जाता है।
🔻 डॉलर की मजबूती: विमान पट्टे और ईंधन आयात डॉलर में होते हैं, जिससे एयरलाइनों का खर्च बढ़ता है।
🌱 पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
- ग्रीन एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
- Sustainable Aviation Fuel (SAF) अपनाने में धीमापन
✈️ क्षेत्रीय संपर्क की कमी: कुछ छोटे हवाई अड्डे (जैसे कुशीनगर, सिंधुदुर्ग) कम यात्री संख्या के कारण संघर्ष कर रहे हैं।
⚖️ नियामक जटिलताएँ: विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी।
📦 कार्गो इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव: मजबूत माल ढुलाई (Freight) नेटवर्क की जरूरत।
🛠️ समाधान और भविष्य की रणनीति
💡 ईंधन कराधान में सुधार: ATF को GST के तहत लाना ताकि कर बोझ कम हो।
🌍 हरित एविएशन:
- इथेनॉल से SAF का उत्पादन बढ़ाना (भारत तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक है)
- ग्रीन एयरपोर्ट और कार्बन-न्यूट्रल पहल
📦 एयर कार्गो हब विकसित करना: कृषि उड़ान 0 योजना के तहत लॉजिस्टिक्स सुधार।
🛰️ हवाई यातायात नियंत्रण का आधुनिकीकरण: नई टेक्नोलॉजी से उड़ानों में देरी कम करना।
🔮 निष्कर्ष: भारत की विमानन क्रांति
भारत का विमानन क्षेत्र तेज़ी से विकास कर रहा है और वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की ओर बढ़ रहा है।
✅ सही नीतियों, बुनियादी ढाँचे के विकास, और हरित विमानन समाधानों पर ध्यान देकर भारत एक विमानन महाशक्ति बन सकता है। ✈️🚀
क्या आप तैयार हैं उड़ान भरने के लिए? 🌍🛫
———————————————————-
4. भारत में सतत् पर्यटन: संभावनाएँ और समाधान
तुर्की का उदाहरण: भारत के लिए सीखने योग्य बातें
तुर्की ने सांस्कृतिक पर्यटन को विरासत संरक्षण और सतत विकास के मॉडल से जोड़ा है। वहाँ ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा दिया गया है। भारत भी अपनी समृद्ध विरासत के साथ एक प्रभावी पर्यटन नीति अपनाकर अधिक संरचित और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण विकसित कर सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्व
✅ रोज़गार और आर्थिक विकास: पर्यटन क्षेत्र भारत के GDP में महत्वपूर्ण योगदान देता है। वर्ष 2022 में इसने 199.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया और 2028 तक यह 512 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। इसके माध्यम से लाखों नौकरियाँ सृजित होती हैं।
✅ MSME और स्टार्टअप को बढ़ावा: टियर-2 और 3 शहरों में पर्यटन नए व्यवसाय और रोजगार के अवसर पैदा करता है।
✅ सॉफ्ट पावर: भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देकर यह कूटनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पर्यटन से क्षेत्रीय और सामाजिक विकास
✅ ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में विकास: पर्यटन बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा देता है और स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाता है।
✅ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: हवाई अड्डे, सड़कें, स्वच्छता और डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार होता है।
भारत में पर्यटन की चुनौतियाँ
⚠ बुनियादी ढाँचे की कमी: कई पर्यटन स्थलों पर सड़कें, स्वच्छता, परिवहन और आपातकालीन सेवाओं की कमी है।
⚠ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग कमजोर: भारत का पर्यटन प्रचार प्रभावी नहीं रहा, जबकि अन्य देश डिजिटल मार्केटिंग में आगे बढ़ चुके हैं।
⚠ पर्यावरणीय क्षरण: कई लोकप्रिय स्थलों पर अत्यधिक पर्यटकों की भीड़ से पारिस्थितिकी को नुकसान हो रहा है।
⚠ सेवा क्षेत्र में कौशल की कमी: कई क्षेत्रों में पेशेवर सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।
⚠ नियमों की जटिलता: लाइसेंसिंग, परमिट और कर संबंधी समस्याएँ पर्यटन स्टार्टअप्स को प्रभावित करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण और समाधान
🌍 तुर्की: समुदाय-केंद्रित विरासत संरक्षण
🌍 कोस्टा रिका: इको-टूरिज्म को बढ़ावा
🌍 भूटान: ‘हाई वैल्यू, लो इम्पैक्ट’ पर्यटन मॉडल
🌍 न्यूज़ीलैंड: स्वदेशी संस्कृति के साथ सतत पर्यटन
🌍 स्लोवेनिया: ग्रीन टूरिज्म मॉडल
भारत में सतत पर्यटन के लिए सुझाव
✅ गंतव्य प्रबंधन योजनाएँ: पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता का अध्ययन कर भीड़ प्रबंधन लागू करना।
✅ सतत पर्यटन नीति: ‘स्वदेश दर्शन 2.0’ को ‘राष्ट्रीय सतत पर्यटन रणनीति’ के साथ जोड़ा जाए।
✅ समुदाय-आधारित पर्यटन: ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे, कृषि-पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाए।
✅ डिजिटल और वैश्विक प्रचार: भारत की ब्रांडिंग और डिजिटल मार्केटिंग में सुधार किया जाए।
✅ पर्यावरण संरक्षण: हरित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण अनुकूल बुनियादी ढाँचे में निवेश किया जाए।
निष्कर्ष:
भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन सतत विकास के लिए योजनाबद्ध और पर्यावरण-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। वैश्विक उदाहरणों से सीख लेकर और स्थानीय समुदायों की भागीदारी से भारत पर्यटन को एक मजबूत आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति में बदल सकता है। 🚀🌏
———————————————————-END——————————————————