📘 वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (यूएमईईडी अधिनियम)
(एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम)
🔹 प्रस्तावना
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया और 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ यह कानून बन गया। इस विधेयक को “यूएमईईडी अधिनियम” के नाम से भी जाना जाता है। इसका उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाना है।
🔍 मुख्य पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
वक्फ क्या है?
- वक्फ एक इस्लामी व्यवस्था है जिसमें व्यक्ति अपनी चल/अचल संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए अल्लाह के नाम पर समर्पित कर देता है।
- यह संपत्ति किसी व्यक्ति की नहीं रहती, बल्कि अपरिवर्तनीय और अव्यवसायिक होती है।
- वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन मुतवल्ली (प्रबंधक) द्वारा किया जाता है।
वक्फ का इतिहास:
- भारत में वक्फ का इतिहास दिल्ली सल्तनत काल से जुड़ा है।
- सुल्तान मुइजुद्दीन सैम गौर ने मुल्तान की जामा मस्जिद को कई गांव वक्फ में दिए।
- 1913 में ब्रिटिश सरकार ने मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम पारित किया जिससे वक्फ की वैधानिकता सुनिश्चित हुई।
📜 भारत में वक्फ कानूनों का विकास
वर्ष | अधिनियम | मुख्य विशेषताएं |
1913 | मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम | वक्फ विलेखों को वैधता |
1923 | मुसलमान वक्फ अधिनियम | वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य |
1954 | वक्फ अधिनियम | राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना |
1995 | वक्फ अधिनियम | न्यायाधिकरण, निर्वाचित सदस्य, पारदर्शिता |
🧾 यूएमईईडी अधिनियम 2025 के मुख्य प्रावधान
🏢 वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव
- केंद्रीय वक्फ परिषद का अध्यक्ष: केंद्रीय मंत्री (पदेन)
- सदस्य: सांसद, न्यायाधीश, मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, मुस्लिम कानून विशेषज्ञ
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की दो अनिवार्य सीटें
- दो मुस्लिम महिलाओं की अनिवार्यता
- शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम वर्गों से भी प्रतिनिधित्व
⚖ वक्फ न्यायाधिकरणों में बदलाव
- अध्यक्ष: जिला न्यायालय का न्यायाधीश
- मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ को हटाया गया
- न्यायाधिकरण के निर्णय के विरुद्ध 90 दिन में हाईकोर्ट में अपील की अनुमति
🗂 प्रशासनिक और संपत्ति प्रबंधन से जुड़े बदलाव
- वक्फ संपत्तियों की एकीकृत डिजिटल सूची
- ₹1 लाख से अधिक आय वाले संस्थानों का राज्य प्रायोजित ऑडिट
- केंद्र सरकार द्वारा CAG या नामित अधिकारी से ऑडिट
- ऑनलाइन केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ प्रबंधन
- कलेक्टर/वरिष्ठ अधिकारी सर्वेक्षण आयुक्त के स्थान पर संपत्ति निर्धारण के लिए
🔐 वक्फ संपत्ति और स्वामित्व विवाद
- सरकारी संपत्तियों को अब वक्फ नहीं माना जाएगा
- स्वामित्व विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा
- राजस्व रिकॉर्ड कलेक्टर द्वारा अपडेट किया जाएगा
👥 वक्फ निर्माण और धार्मिक योग्यता
- वक्फ बनाने वाला व्यक्ति कम से कम 5 वर्ष से मुसलमान होना चाहिए
- महिलाओं को वक्फ से पूर्व उत्तराधिकार अधिकार
- विधवा, तलाकशुदा और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान
🌐 अंतरराष्ट्रीय तुलना
- तुर्की, लीबिया, मिस्र, जॉर्डन, सीरिया जैसे देशों में वक्फ संपत्तियों का अस्तित्व नहीं
- भारत में वक्फ बोर्ड सबसे बड़ा शहरी भू-स्वामी
- 7 लाख संपत्तियाँ, 9.4 लाख एकड़ भूमि
- अनुमानित मूल्य: ₹1.2 लाख करोड़
🧑⚖️ संसदीय प्रक्रिया और बहस
- जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) द्वारा जांच – अध्यक्षता: जगदंबिका पाल
- विधेयक को लोकसभा में 288-232 और राज्यसभा में 128-95 मतों से पारित किया गया
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक का बचाव किया
❗ विवाद और आलोचना
आलोचना के मुख्य बिंदु:
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति – धार्मिक मामलों में दखल का आरोप
- मुस्लिम कानून विशेषज्ञों को हटाना – न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल
- 5 वर्षों का इस्लाम अनुयायिता मानदंड – अस्पष्ट और भेदभावपूर्ण माना गया
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी गंभीर चिंता जताई
✅ लाभ और संभावनाएँ
- बेहतर प्रशासन और जवाबदेही
- संपत्ति का पारदर्शी प्रबंधन
- महिलाओं का सशक्तिकरण
- न्यायिक प्रक्रिया में सुधार
- डिजिटल प्रबंधन और मॉनिटरिंग
🔚 निष्कर्ष
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को आधुनिक, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण विधायी पहल है। हालांकि इससे जुड़े कुछ प्रावधानों पर विवाद और असहमति बनी हुई है, परन्तु यदि इसे संतुलित तरीके से लागू किया जाए तो यह समुदाय और देश दोनों के हित में हो सकता है।
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