हाइपरलूप गतिशीलता प्रणाली
महाराष्ट्र ने नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट को पालघर जिले के प्रस्तावित वधावन पोर्ट से जोड़ने के लिए IIT मद्रास के स्टार्ट-अप (ट्यूटर हाइपरलूप प्राइवेट लिमिटेड) के साथ हाइपरलूप के निर्माण के लिए समझौता किया है । यह एक प्रस्तावित लीनियर इंडक्शन मोटर (LIM)-आधारित हाइपरलूप मोबिलिटी सिस्टम है ।
हाइपरलूप मोबिलिटी सिस्टम के बारे में:
- 2013 में, स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने हाइपरलूप नामक अल्ट्रा-हाई-स्पीड रेल (UHSR) की अवधारणा का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और इसे ओपन सोर्स किया था ।
- यह मैग्रेनेटिक लेविटेशन (मैगलेव) प्रणाली है, जिसमें पॉड्स कम दबाव वाली ट्यूबों के जरिए अल्ट्रा-हाई स्पीड से यात्रा करते हैं ।
- हाइपरलूप एक सीलबंद ट्यूब में काम करता है, जिसमें बहुत कम हवा का प्रतिरोध होता है ।
- निर्वात और मैग्नेटिक लेविटेशन की मदद से पॉड्स को ट्रैक से कुछ ऊपर रखा जाता है ।
- लीनियर इंडक्शन मोटर (LIM) पॉड्स को आगे बढ़ाते हुए 1,200 किमी/घंटा की सैद्धांतिक गति प्रदान करती है ।
- इसके प्रमुख घटकों में शामिल हैं: स्टील ट्यूब्स (100Pa दबाव से युक्त) , प्रेशराइज्ड कैप्सूल , एयरफ्लो के लिए कंप्रेसर , तथा एयर बेयरिंग सस्पेंशन ।
लाभ:
- अति-उच्च गति (उदाहरण के लिए 25 मिनट में मुंबई-पुणे) ।
- ऊर्जा दक्षता (संभावित रूप से कार्बन-मुक्त) ।
- शोर में कमी ।
- लॉजिस्टिक्स में सुधार (कार्गो को शीघ्रता और कुशलता से ले जाना) ।
प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे:
- यह अभी संकल्पना के चरण में हैं ।
- इसके निर्माण में उच्च लागत आएगी (केवल प्रौद्योगिकी के लिए प्रति मील लगभग 25-27 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी) ।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं, जैसे पॉड्स में आग लगना और दुर्घटना की स्थिति में लोगों को बाहर निकालने में कठिनाई ।
- ट्यूब में निर्वात को बनाए रखने संबंधी चुनौतियां हैं ।
- ट्यूब का निर्माण यथासंभव एक सीध में करना होगा, जिसके लिए नए विनियमों की आवश्यकता होगी ।