भारत में मवेशियों और भैंसों की कम दुग्ध उत्पादन क्षमता: संसदीय समिति की रिपोर्ट
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, लेकिन फिर भी यहां मवेशियों और भैंसों की औसत दुग्ध उत्पादकता अंतरराष्ट्रीय मानकों से काफी पीछे है। हाल ही में कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की है, जिसमें देशज नस्लों की दुग्ध क्षमता, चुनौतियाँ और सुधार के उपायों पर जोर दिया गया है।
भारत में मवेशियों और भैंसों की देशज नस्लें
-
भारत में आधिकारिक रूप से 53 देशज मवेशी नस्लें और 21 देशज भैंस नस्लें पंजीकृत हैं।
-
2023-24 तक औसत दैनिक दुग्ध उत्पादन:
-
देशज मवेशी: 3.54 किग्रा/दिन
-
भैंस: 5.92 किग्रा/दिन
-
विदेशी/क्रॉस ब्रीड मवेशी: 8.52 किग्रा/दिन
-
👉 तुलना करें तो, इजरायल (2022) में मवेशियों की औसत वार्षिक उत्पादकता 13,656 किग्रा/वर्ष और अमेरिका में 10,954 किग्रा/वर्ष रही।
कम उत्पादकता के प्रमुख कारण
-
सीमित कृत्रिम गर्भाधान (AI) कवरेज
-
भारत में केवल 30% प्रजनन योग्य मवेशियों तक ही AI सेवा पहुँच पाती है।
-
-
AI तकनीशियनों की कमी
-
आवश्यकता: 2,02,469 तकनीशियन
-
उपलब्ध: केवल 1,16,586
-
-
वहनीयता (Affordability) की समस्या
-
80% से अधिक कम उत्पादन वाले देशज मवेशी लघु एवं सीमांत किसानों और भूमिहीन श्रमिकों द्वारा पाले जाते हैं।
-
समिति की मुख्य सिफारिशें
-
महत्वपूर्ण नस्लों का संरक्षण
-
जीनोमिक चयन और रोगों से सुरक्षा के लिए मवेशियों और भैंसों की कम से कम 50,000 की आबादी को संरक्षित करने का प्रावधान हो।
-
-
समावेशी नस्ल सुधार कार्यक्रम
-
उच्च उत्पादन नस्लों द्वारा देशज नस्लों के प्रतिस्थापन को रोकने के लिए हर राज्य की प्रमुख नस्लों को शामिल करना आवश्यक।
-
-
जवाबदेही तय करना
-
सीमेन उत्पादन और वितरण से जुड़ी समस्याओं के लिए स्पष्ट जिम्मेदारी तय हो।
-
सेक्स-सॉर्टेड सीमेन के उत्पादन और वितरण को बढ़ावा दिया जाए।
-
सरकार की पहलें और कार्यक्रम
1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM)
-
2014 में शुरू किया गया।
-
उद्देश्य: देशज नस्लों का संरक्षण और विकास।
2. त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम
-
IVF तकनीक और सेक्स-सॉर्टेड सीमेन का उपयोग कर नस्ल सुधार को तेज करना।
3. जीनोमिक चयन उपकरण
-
गौचिप (GAUCHIP): मवेशियों के लिए।
-
महिषचिप (MAHISHCIP): भैंसों के लिए।
4. भारत पशुधन ऐप
-
डिजिटल प्लेटफॉर्म जो पशुधन की पहचान, प्रजनन और स्वास्थ्य प्रबंधन में मदद करता है।
निष्कर्ष
भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी दुग्ध पशुधन आबादी है, लेकिन उत्पादकता के मामले में यह अभी भी पीछे है। संसदीय समिति की रिपोर्ट साफ दर्शाती है कि यदि कृत्रिम गर्भाधान कवरेज बढ़ाया जाए, नस्ल सुधार कार्यक्रम को मजबूत किया जाए और देशज नस्लों को व्यवस्थित ढंग से संरक्षित किया जाए, तो भारत न केवल मात्रा में बल्कि गुणवत्ता में भी वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान हासिल कर सकता है।