एक घातक पशुजन्य रोग और भारत की नई कार्ययोजना

ग्लैंडर्स: एक घातक पशुजन्य रोग और भारत की नई कार्ययोजना

भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने हाल ही में संशोधित राष्ट्रीय ग्लैंडर्स-कार्ययोजना जारी की है। इस कार्ययोजना का उद्देश्य इस खतरनाक रोग को नियंत्रित करना और इसके प्रसार को रोकना है।


ग्लैंडर्स क्या है?

  • ग्लैंडर्स (Glanders) एक संक्रामक और प्राणघातक रोग है।

  • यह मुख्यतः घोड़ों, गधों और खच्चरों को प्रभावित करता है।

  • यह मनुष्यों में भी फैल सकता है, इसलिए इसे एक गंभीर पशुजन्य रोग (Zoonotic Disease) माना जाता है।

  • अब तक इस रोग के लिए कोई टीका (Vaccine) उपलब्ध नहीं है, जिससे यह और भी खतरनाक हो जाता है।


रोग का कारण और संक्रमण

  • ग्लैंडर्स का कारण बैक्टीरिया – Burkholderia mallei है।

  • संक्रमण आमतौर पर श्वसन तंत्र (Respiratory System) या त्वचा (Skin) के माध्यम से फैलता है।

  • संक्रमित जानवरों के शरीर द्रव, नाक का स्राव, घाव या दूषित चारा-पानी से यह रोग तेजी से फैल सकता है।

  • मनुष्यों में यह रोग संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने या प्रयोगशाला में बैक्टीरिया से एक्सपोज़र के कारण हो सकता है।


लक्षण

जानवरों में:

  • नाक से गाढ़ा स्राव

  • बुखार और कमजोरी

  • त्वचा और फेफड़ों में घाव

  • मृत्यु दर बहुत अधिक

मनुष्यों में:

  • बुखार और ठंड लगना

  • मांसपेशियों में दर्द

  • सीने में संक्रमण (Pneumonia जैसी स्थिति)

  • त्वचा पर घाव

  • गंभीर मामलों में मृत्यु


ग्लैंडर्स से जुड़ी चुनौतियाँ

  1. टीके की अनुपलब्धता – रोकथाम के लिए अभी तक कोई प्रभावी वैक्सीन नहीं है।

  2. तेज़ प्रसार – एक बार संक्रमण होने पर यह पशुओं और मनुष्यों दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

  3. आर्थिक नुकसान – घोड़ों और अन्य पशुओं की मृत्यु से परिवहन और कृषि कार्यों में भारी हानि होती है।

  4. सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खतरा – चूंकि यह ज़ूनोटिक है, इसलिए आम जनता और पशुपालकों के लिए गंभीर जोखिम है।


भारत सरकार की नई कार्ययोजना

संशोधित राष्ट्रीय ग्लैंडर्स-कार्ययोजना का उद्देश्य:

  • देशभर में रोग की निगरानी और नियंत्रण को सुदृढ़ करना।

  • प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाना ताकि जल्द से जल्द रोग की पहचान की जा सके।

  • संक्रमित पशुओं का अलगाव (Quarantine) और उपचार

  • पशुपालकों, पशु चिकित्सकों और आम जनता को जागरूक करना

  • रोग के प्रसार को रोकने के लिए सख्त जैव-सुरक्षा उपाय (Biosecurity Measures) लागू करना।


वैश्विक दृष्टिकोण

  • ग्लैंडर्स पहले कई देशों में पाया जाता था, लेकिन अब यह कई विकसित देशों से समाप्त (Eradicated) हो चुका है।

  • भारत सहित एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में अभी भी इसके मामले सामने आते रहते हैं।


निष्कर्ष

ग्लैंडर्स एक गंभीर और जानलेवा पशुजन्य रोग है, जो न केवल पशुओं बल्कि मनुष्यों के लिए भी बड़ा खतरा है। भारत सरकार की नई कार्ययोजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, जब तक इस रोग का कोई प्रभावी टीका विकसित नहीं हो जाता, तब तक रोकथाम, निगरानी और जागरूकता ही सबसे कारगर हथियार बने रहेंगे।

🐴💉 ग्लैंडर्स से लड़ाई केवल वैज्ञानिक और प्रशासनिक प्रयासों से ही नहीं, बल्कि पशुपालकों और समाज की सामूहिक सतर्कता से जीती जा सकती है।