नुआखाई पर्व:

नुआखाई पर्व: समृद्धि और कृतज्ञता का उत्सव

प्रधानमंत्री ने नुआखाई पर्व के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। यह पर्व, जिसे “नवान्न” भी कहा जाता है, मुख्य रूप से पश्चिमी ओडिशा में मनाया जाता है और यह नई फसल के प्रति ईश्वर के आभार का प्रतीक है।


नुआखाई का अर्थ और महत्व

  • शब्दार्थ: ‘नुआ’ का अर्थ है नया और ‘खाई’ का अर्थ है भोजन करना। इस प्रकार नुआखाई का अर्थ हुआ— नई फसल का पहला अन्न ग्रहण करना।

  • यह पर्व किसान और प्रकृति के अटूट रिश्ते का उत्सव है।

  • इसमें लोग नई फसल को ईश्वर को अर्पित कर सामूहिक भोज का आनंद लेते हैं।


कब और कैसे मनाया जाता है?

  • यह पर्व भाद्रपद महीने (अगस्त–सितंबर) में, गणेश चतुर्थी के आसपास मनाया जाता है।

  • सुबह परिवार के मुखिया द्वारा नए अन्न को देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है।

  • इसके बाद पूरा परिवार और समुदाय मिलकर इसे भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं।

  • शाम को लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य और लोकगीतों का आयोजन करते हैं।


सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

  • नुआखाई पर्व कृषि आधारित समाज की संस्कृति को दर्शाता है।

  • यह पर्व सामाजिक एकजुटता, भाईचारा और साझेदारी की परंपरा को मजबूत करता है।

  • इस दिन लोग आपसी मनमुटाव को भुलाकर रिश्तों को नया रूप देते हैं।


आधुनिक संदर्भ में नुआखाई

  • आज भी यह पर्व पश्चिमी ओडिशा के ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

  • शहरों और विदेशों में बसे ओडिया समुदाय भी इसे उत्साहपूर्वक मनाते हैं।

  • यह पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण और सतत कृषि के महत्व की याद दिलाता है।


निष्कर्ष

नुआखाई केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह किसानों की मेहनत, प्रकृति की उदारता और सामूहिक एकता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि समृद्धि का वास्तविक आनंद तभी है जब हम उसे साझा करें और आभार व्यक्त करें