सुर्खियों में: अफगानिस्तान – भूकंप की त्रासदी और भौगोलिक महत्व
हाल ही में अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में आए शक्तिशाली भूकंप ने एक भीषण त्रासदी को जन्म दिया। इस आपदा में 800 से अधिक लोगों की मौत हो गई और लगभग 2,500 लोग घायल हो गए। यह घटना न केवल मानवीय दृष्टि से दुखद है, बल्कि यह हमें अफगानिस्तान की भौगोलिक संवेदनशीलता की भी याद दिलाती है।
भौगोलिक अवस्थिति
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अफगानिस्तान दक्षिण एशिया का एक स्थलबद्ध पर्वतीय देश है।
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इसे अक्सर “एशिया का प्रवेश द्वार” (Gateway of Asia) कहा जाता है, क्योंकि यह मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया के बीच एक संपर्क सेतु का कार्य करता है।
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सीमावर्ती राष्ट्र:
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उत्तर – तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान
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पश्चिम – ईरान
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दक्षिण-पूर्व – पाकिस्तान
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उत्तर-पूर्व – भारत और चीन
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भौगोलिक विशेषताएँ
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प्रमुख नदियाँ
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अमु दरिया
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हेलमंद नदी
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काबुल नदी
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पर्वतीय क्षेत्र
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उत्तर-पूर्व – हिंदू कुश पर्वत
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पामीर पर्वत
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दक्षिण – सफेद कोह श्रेणी
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सबसे ऊँचा बिंदु
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माउंट नोशाक (7,492 मीटर), हिंदू कुश श्रेणी का हिस्सा।
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जलवायु
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महाद्वीपीय जलवायु –
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गर्म ग्रीष्मकाल
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ठंडी सर्दियाँ
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पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु और भी कठोर रहती है।
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अफगानिस्तान: भौगोलिक महत्व
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यह क्षेत्र ऐतिहासिक व्यापार मार्गों और रणनीतिक सैन्य महत्व के लिए जाना जाता है।
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अफगानिस्तान को इतिहास में “सिल्क रूट” का अहम हिस्सा माना जाता था।
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आज भी इसकी भौगोलिक स्थिति इसे क्षेत्रीय राजनीति और सुरक्षा में एक केंद्रीय खिलाड़ी बनाती है।
निष्कर्ष
कुनार प्रांत में आया हालिया भूकंप इस बात की याद दिलाता है कि अफगानिस्तान न केवल राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, बल्कि इसकी भौगोलिक स्थिति और भूकंपीय संवेदनशीलता भी इसे लगातार संकटों का सामना कराती है। अफगानिस्तान को समझना केवल उसकी राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके भूगोल और प्राकृतिक परिस्थितियाँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।