लाल सागर में समुद्र में बिछी केबल्स को निशाना बनाया गया
हाल ही में लाल सागर (Red Sea) में समुद्र के भीतर बिछी सबमरीन केबल्स को निशाना बनाया गया। इसके चलते भारत सहित मध्य-पूर्व और एशिया के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं बाधित हो गईं। इस घटना ने भारत के लिए अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस (Underwater Domain Awareness – UDA) की महत्ता को और स्पष्ट कर दिया है।
अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस (UDA) क्या है?
UDA का तात्पर्य महासागर या समुद्र के भीतर हो रही गतिविधियों की निगरानी, पहचान और आकलन करने की क्षमता से है। यह किसी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, समुद्री संसाधनों की रक्षा और महत्वपूर्ण अवसंरचना की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
भारत में UDA की आवश्यकता क्यों?
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राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता
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चीन की Underwater Great Wall Project जैसी पहलें भारत के समुद्री हितों को चुनौती देती हैं।
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महत्वपूर्ण अवसंरचना की सुरक्षा
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वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक का 95% से अधिक हिस्सा सबमरीन फाइबर-ऑप्टिक केबल्स से गुजरता है।
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ये केबल्स पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) के सिद्धांत पर काम करती हैं और प्रकाश की पल्स के रूप में डेटा ट्रांसमिट करती हैं।
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भारत के सामने प्रमुख चुनौतियां
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तकनीकी अंतराल
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मानवरहित अंडरवाटर व्हीकल्स (UUVs) का विकास अभी प्रारंभिक अवस्था में है।
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DRDO की फॉस्फोरिक एसिड ईंधन सेल आधारित AIP प्रणाली अभी वैश्विक मानकों (लिथियम-आयन ईंधन सेल आधारित AIP) की तुलना में कमजोर है।
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भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड का मानवरहित सरफेस व्हीकल (USV) केवल 30 किलोग्राम पेलोड वहन कर सकता है और मुख्यतः सर्वेक्षण तक सीमित है।
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वित्तीय बाधाएं
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समुद्री प्रौद्योगिकी क्षेत्र के स्टार्ट-अप्स को दीर्घकालिक समर्थन न मिलने से प्रोटोटाइप विकास प्रभावित होता है।
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परिचालन संबंधी कठिनाइयां
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भारत की लंबी तटरेखा,
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चीन द्वारा संभावित पनडुब्बी घुसपैठ,
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मानसून का पर्यावरणीय प्रभाव,
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और एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव UDA के प्रभावी क्रियान्वयन में बड़ी बाधा हैं।
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भारत की पहलें
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स्वदेशी विकास
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माया (MAYA), अमोघ (AMOGH) और अदम्य (ADAMYA) जैसे UUVs का विकास।
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समुद्रयान परियोजना के अंतर्गत मत्स्य 6000 नामक मानवयुक्त पनडुब्बी का निर्माण।
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अवसंरचना
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पोर्ट ब्लेयर में इंटीग्रेटेड अंडरवाटर हार्बर डिफेंस एंड सर्विलांस सिस्टम (IUHDSS) की तैनाती।
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अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियां
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अमेरिका के साथ स्वायत्त समुद्री प्रौद्योगिकी के सह-विकास में सहयोग।
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MQ-9B Sea Guardian ड्रोन को सोनोबॉय से लैस करने की योजना।
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निष्कर्ष
लाल सागर की हालिया घटना इस बात का प्रमाण है कि अंडरवाटर डोमेन अब वैश्विक रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का नया आयाम बन चुका है। भारत को अपनी तकनीकी क्षमता, वित्तीय निवेश और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना होगा, ताकि उसकी समुद्री सुरक्षा और डिजिटल संचार अवसंरचना भविष्य के खतरों से सुरक्षित रह सके।