चाय: असम उद्योग का संकट और भारत में खेती की स्थिति
भारत में चाय केवल एक पेय नहीं, बल्कि संस्कृति और अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। हाल ही में चाय के बढ़ते आयात के कारण असम चाय उद्योग संकट का सामना कर रहा है। यह स्थिति न केवल किसानों बल्कि देश की वैश्विक पहचान के लिए भी चुनौतीपूर्ण है।
एक फसल के रूप में चाय
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अनुकूल तापमान
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18°C से 30°C तक चाय की खेती के लिए आदर्श तापमान है।
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बहुत अधिक या बहुत कम तापमान से उपज और गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
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वर्षा
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1200–2500 मिमी वार्षिक वर्षा आवश्यक है।
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बढ़ते मौसम में पर्याप्त वर्षा पत्तियों के विकास को प्रोत्साहित करती है।
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आर्द्रता
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70% से अधिक की उच्च आर्द्रता चाय के पौधों के लिए अनुकूल होती है।
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मृदा
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अच्छी जल-निकासी वाली और अम्लीय (acidic) मृदा सबसे उपयुक्त है।
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इसमें कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में होना चाहिए और नमी बनाए रखने की क्षमता भी होनी चाहिए।
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भारत में प्रमुख चाय उत्पादक राज्य
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असम – देश का सबसे बड़ा उत्पादक, विश्व स्तर पर “असम टी” की खास पहचान।
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पश्चिम बंगाल – विशेषकर दार्जिलिंग की चाय विश्व प्रसिद्ध है।
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दक्षिण भारत – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक; नीलगिरि क्षेत्र की चाय प्रमुख।
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अन्य राज्य – आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश आदि।
असम चाय उद्योग की चुनौतियाँ
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बढ़ता आयात – कम कीमत पर विदेशी चाय भारत के बाजार में आ रही है।
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जलवायु परिवर्तन – असम में अनियमित वर्षा और तापमान में उतार-चढ़ाव उत्पादन को प्रभावित कर रहा है।
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उच्च लागत – श्रम और इनपुट लागत लगातार बढ़ रही है।
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बाजार की प्रतिस्पर्धा – वैश्विक स्तर पर प्रीमियम और ऑर्गेनिक चाय की मांग बढ़ी है, जबकि स्थानीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कठिन होती जा रही है।
निष्कर्ष
भारत में चाय उद्योग, विशेषकर असम की चाय, देश की पहचान और अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ी है। इसे बचाने के लिए नीतिगत समर्थन, जलवायु-लचीली खेती, गुणवत्ता सुधार और निर्यात प्रोत्साहन की आवश्यकता है।