BioE3 नीति के एक साल: भारत की जैव-अर्थव्यवस्था का नया अध्याय
प्रस्तावना
भारत ने पिछले एक दशक में जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन्हीं में से एक है BioE3 नीति, जिसका अर्थ है – “अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी” (Biotechnology for Economy, Environment and Employment)।
इस नीति को शुरू हुए एक वर्ष पूरा हो चुका है और इसकी वर्षगांठ पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने भारत का पहला नेशनल बायोफाउंड्री नेटवर्क लॉन्च किया है। यह कदम भारत को वैश्विक जैव-प्रौद्योगिकी मानचित्र पर अग्रणी स्थान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
BioE3 नीति: एक दृष्टि
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उद्देश्य: बायो-इनेबलर्स (Bio-Enablers) की स्थापना कर जैव-आधारित उत्पादों की तकनीक विकास और व्यावसायीकरण में तेजी लाना।
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कार्यान्वयन: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत।
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बायो-इनेबलर्स के घटक:
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बायो-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Bio-AI) हब
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बायोफाउंड्रीज
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बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब
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नेशनल बायोफाउंड्री नेटवर्क
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पहली वर्षगांठ पर लॉन्च किया गया।
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इसमें 6 संस्थान शामिल हैं।
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उद्देश्य: जैव-प्रौद्योगिकी आधारित अनुसंधान और उत्पादन को तेज़, कुशल और वाणिज्यिक बनाना।
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इससे भारत जैव-प्रौद्योगिकी को आर्थिक विकास का प्रमुख चालक बना सकेगा।
प्राथमिकता वाले 6 क्षेत्र (Thematic Areas)
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जैव-आधारित रसायन और एंजाइम्स
– पेट्रोकेमिकल्स के विकल्प के रूप में सतत उत्पाद। -
फंक्शनल फूड्स और स्मार्ट प्रोटीन
– स्वास्थ्यवर्धक खाद्य और वैकल्पिक प्रोटीन स्रोत। -
परिशुद्ध जैव-चिकित्सा (Precision Biomedicine)
– व्यक्तिगत दवाओं और चिकित्सा समाधानों का विकास। -
जलवायु-अनुकूल कृषि
– कम कार्बन उत्सर्जन वाली और टिकाऊ खेती की तकनीक। -
कार्बन कैप्चर और उसका उपयोग
– औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित कर ऊर्जा/संसाधनों में बदलना। -
भविष्योन्मुखी समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान
– महासागरीय संसाधनों और स्पेस बायोटेक्नोलॉजी पर फोकस।
जैव-अर्थव्यवस्था क्या है?
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यह नवीकरणीय जैव संसाधनों (जैसे – पौधे, सूक्ष्मजीव, जैव-अवशेष) का उपयोग कर भोजन, ऊर्जा और औद्योगिक वस्तुएँ बनाने की प्रक्रिया है।
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यह मॉडल सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक वृद्धि – तीनों का संतुलन करता है।
भारत की जैव-अर्थव्यवस्था की स्थिति
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2014 में: $10 बिलियन
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2024 में: $165.7 बिलियन
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लक्ष्य 2030: $300 बिलियन
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GDP योगदान (2025 रिपोर्ट): 4.25%
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हाल ही में पंजाब, मोहाली में भारत का पहला बायोमैन्युफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट स्थापित किया गया।
BioE3 नीति का महत्व
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अर्थव्यवस्था के लिए:
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जैव-आधारित उत्पाद और तकनीकें आर्थिक विविधीकरण लाएँगी।
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पर्यावरण के लिए:
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सतत उत्पादन और कार्बन फुटप्रिंट कम होगा।
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रोजगार के लिए:
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बायोटेक स्टार्टअप्स और इंडस्ट्री में नए रोजगार अवसर खुलेंगे।
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निष्कर्ष
BioE3 नीति के पहले साल ने यह साबित कर दिया है कि भारत जैव-प्रौद्योगिकी को सिर्फ विज्ञान नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के भविष्य के रूप में देख रहा है। नेशनल बायोफाउंड्री नेटवर्क का शुभारंभ, भारत को वैश्विक बायोटेक हब बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
आने वाले वर्षों में, जब भारत की जैव-अर्थव्यवस्था $300 बिलियन तक पहुँचेगी, तब BioE3 नीति को उस परिवर्तन का आधार स्तंभ माना जाएगा।