भारत-डच रणनीतिक जल साझेदारी : जल प्रबंधन में नया अध्याय
पानी आने वाले दशकों में पूरी दुनिया के लिए सबसे अहम संसाधनों में से एक साबित होगा। जल सुरक्षा, स्वच्छता और प्रबंधन को लेकर चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं। इसी पृष्ठभूमि में भारत और नीदरलैंड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रणनीतिक जल साझेदारी (Strategic Water Partnership – SWP) को मज़बूती दी है।
साझेदारी की शुरुआत
यह साझेदारी वर्ष 2022 में औपचारिक रूप से शुरू हुई थी, जब—
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भारत के जल शक्ति मंत्रालय
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और नीदरलैंड के अवसंरचना एवं जल प्रबंधन मंत्रालय
के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
उद्देश्य
इस सहयोग का मूल उद्देश्य है:
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जल सुरक्षा को सुनिश्चित करना,
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जल की उपलब्धता और गुणवत्ता को बेहतर बनाना,
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और सतत जल प्रबंधन को बढ़ावा देना।
प्रमुख पहल
इस साझेदारी के तहत एक बड़ा कदम है—
‘इंडो-डच सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन वाटर’,
जिसे IIT दिल्ली और नीदरलैंड सरकार के सहयोग से स्थापित किया गया है। यह केंद्र जल प्रबंधन से जुड़े अनुसंधान, तकनीक और नवाचार का केंद्र बनेगा।
क्यों ज़रूरी है यह साझेदारी?
भारत और नीदरलैंड, दोनों ही जल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
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भारत में बढ़ती आबादी और कृषि पर दबाव से जल संकट गहराता जा रहा है।
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नीदरलैंड, समुद्र-तटीय देश होने के नाते बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन में दशकों से अग्रणी रहा है।
👉 ऐसे में दोनों देशों की विशेषज्ञता मिलकर जल संसाधन प्रबंधन को एक नई दिशा दे सकती है।
संभावित लाभ
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तकनीकी सहयोग : आधुनिक डच तकनीकों से भारत के जल प्रबंधन में सुधार।
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अनुसंधान और नवाचार : IIT दिल्ली जैसे संस्थानों में जल समाधानों पर शोध।
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सतत विकास : कृषि, उद्योग और शहरी क्षेत्रों में जल उपयोग की दक्षता बढ़ेगी।
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जलवायु परिवर्तन से निपटना : बाढ़, सूखा और जल संकट जैसी चुनौतियों का साझा समाधान।