अमेरिका द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ: निर्यात और उद्योगों पर गहरा असर

अमेरिका द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ: निर्यात और उद्योगों पर गहरा असर

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade) में टैरिफ यानी आयात शुल्क (Import Duty) देशों के बीच संबंधों और प्रतिस्पर्धा को गहराई से प्रभावित करता है। हाल ही में अमेरिका ने भारत से होने वाले आयात पर पहले से लागू 25% टैरिफ के अलावा, अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।

यह कदम भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि यह भारत-अमेरिका व्यापार संतुलन को प्रभावित करेगा और कई उद्योगों पर सीधा असर डालेगा।


क्या है नया टैरिफ प्रावधान?

  • पहले से ही भारतीय उत्पादों पर 25% आयात शुल्क लागू था।

  • अब अमेरिका ने इस पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिया है।

  • यानी कई भारतीय वस्तुओं पर अब कुल 50% आयात शुल्क देना होगा।


कितना बड़ा असर पड़ेगा?

  • यह अतिरिक्त टैरिफ भारत से अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात के लगभग दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित करेगा।

  • ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुमान के अनुसार,

    • 2025-26 में भारत का निर्यात $87 बिलियन से घटकर $49.6 बिलियन तक सिमट सकता है।

  • इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था, विदेशी मुद्रा भंडार और रोजगार पर होगा।


सबसे ज़्यादा प्रभावित उद्योग

  1. रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery) – अमेरिका भारतीय आभूषणों का सबसे बड़ा बाजार है।

  2. वस्त्र उद्योग (Textiles & Apparel) – भारत का अमेरिका को निर्यात प्रमुखता से कपड़ों और तैयार वस्त्रों का है।

  3. झींगा पालन (Shrimp Exports) – समुद्री खाद्य निर्यात पर गहरा असर होगा।

  4. ऑटो पार्ट्स – भारतीय ऑटो कंपोनेंट्स की प्रतिस्पर्धा क्षमता कम होगी।


प्रतिस्पर्धा में भारत क्यों पिछड़ सकता है?

  • वियतनाम, बांग्लादेश और मैक्सिको जैसे देशों के निर्यात पर अमेरिका ने कम टैरिफ लगाया है।

  • नतीजतन, भारतीय उत्पाद इन देशों के मुकाबले महंगे और अप्रतिस्पर्धी (Non-Competitive) हो जाएँगे।

  • अमेरिकी कंपनियाँ वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख कर सकती हैं।


संभावित प्रभाव

  1. भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव – द्विपक्षीय समझौते और वार्ताएँ मुश्किल हो सकती हैं।

  2. रोजगार पर असर – रत्न, वस्त्र और झींगा पालन जैसे उद्योग श्रम-प्रधान हैं, लाखों लोगों की नौकरी प्रभावित हो सकती है।

  3. विदेशी मुद्रा आय में गिरावट – निर्यात घटने से डॉलर की आमदनी कम होगी।

  4. निवेश पर असर – अनिश्चितता के कारण विदेशी निवेशक सावधान हो सकते हैं।


भारत के लिए आगे की राह

  • राजनयिक स्तर पर बातचीत – अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर WTO (विश्व व्यापार संगठन) या द्विपक्षीय स्तर पर संवाद करना।

  • नए बाजार तलाशना – यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और मिडिल ईस्ट में निर्यात बढ़ाने के प्रयास।

  • घरेलू प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाना – उत्पाद की गुणवत्ता और वैल्यू एडिशन पर ध्यान देना।

  • FTA (Free Trade Agreements) का विस्तार – जैसे कि UAE और EU के साथ हुए समझौतों की तरह नए FTA करना।

  • उद्योगों को समर्थन – प्रभावित MSME और निर्यातक उद्योगों के लिए प्रोत्साहन और राहत पैकेज।


निष्कर्ष

अमेरिका द्वारा लगाया गया अतिरिक्त टैरिफ भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है। यह कदम भारत के निर्यात, उद्योग और रोजगार पर गहरा असर डालने वाला है।
हालाँकि, भारत अगर नए बाजार विकसित करे, प्रतिस्पर्धी बने और कूटनीतिक स्तर पर अमेरिका से समझौता करे, तो इस चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है।