साथ ही खबरों में

साथ ही खबरों में : अकाउंट एग्रीगेटर

भारत की अकाउंट एग्रीगेटर (AA) प्रणाली तेजी से लोकप्रिय हो रही है। केंद्र सरकार के अनुसार, इस प्रणाली के 11.2 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं। यह व्यवस्था डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का एक अहम स्तंभ बन गई है।


अकाउंट एग्रीगेटर (AA) क्या है?

  • परिचय: अकाउंट एग्रीगेटर वे संस्थाएँ हैं जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लाइसेंस प्राप्त होता है।

  • कार्य: वे उपयोगकर्ता की सहमति लेकर उनका वित्तीय डेटा सुरक्षित रूप से एकत्र करते हैं और केवल जरूरत पड़ने पर संबंधित वित्तीय संस्थानों (जैसे बैंक, बीमा कंपनियाँ, NBFCs) के साथ साझा करते हैं।

  • लॉन्च: AA फ्रेमवर्क को 2021 में औपचारिक रूप से शुरू किया गया।


इसकी आवश्यकता क्यों है?

  1. वित्तीय डेटा का एकीकरण

    • पहले वित्तीय जानकारी (बैंक खाते, म्यूचुअल फंड, बीमा, पेंशन आदि) अलग-अलग जगह फैली होती थी।

    • AA इस डेटा को एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षित रूप से जोड़ता है।

  2. सुरक्षा और गोपनीयता

    • यह प्रणाली डेटा फिड्युशियरी मॉडल पर आधारित है, यानी AA स्वयं डेटा को “स्टोर” नहीं करता, केवल उसे सुरक्षित रूप से ट्रांसफर करता है।

    • डेटा साझा करने से पहले ग्राहक की सहमति आवश्यक है।

  3. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion)

    • छोटे व्यवसाय और व्यक्तिगत ग्राहक अपने डिजिटल वित्तीय रिकॉर्ड की मदद से आसानी से ऋण (loan) प्राप्त कर सकते हैं।

    • इससे MSMEs और ग्रामीण ग्राहकों को विशेष लाभ मिलता है।


उपयोग और लाभ

  • आसान लोन प्रोसेसिंग: बैंकों और NBFCs के लिए क्रेडिट असेसमेंट आसान।

  • तेज़ बीमा क्लेम: डेटा तुरंत साझा होने से प्रक्रिया सरल।

  • फाइनेंशियल प्लानिंग: उपयोगकर्ता अपनी पूरी वित्तीय स्थिति एक ही जगह देख सकते हैं।

  • डिजिटल इंडिया को बढ़ावा: यह UPI और ONDC की तरह DPI की एक मजबूत कड़ी है।


चुनौतियाँ

  • जागरूकता की कमी – अभी भी अधिकांश उपयोगकर्ता AA प्रणाली से अनभिज्ञ हैं।

  • डेटा गोपनीयता पर आशंकाएँ – लोग अब भी सोचते हैं कि कहीं उनका डेटा गलत इस्तेमाल न हो।

  • इंटरऑपरेबिलिटी – सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों का पूरी तरह एकीकृत होना अभी बाकी है।


निष्कर्ष

अकाउंट एग्रीगेटर प्रणाली भारत में डेटा एम्पावरमेंट और वित्तीय समावेशन की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल व्यक्तिगत उपभोक्ताओं बल्कि छोटे व्यवसायों के लिए भी सशक्तिकरण का माध्यम बन रही है। आने वाले वर्षों में इसका विस्तार भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था के अगले स्तर पर ले जाएगा।