राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) की घोषणा: भारत में कार्बन उत्सर्जन व्यापार प्रणाली की दिशा में बड़ा कदम

राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) की घोषणा: भारत में कार्बन उत्सर्जन व्यापार प्रणाली की दिशा में बड़ा कदम

भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल की है। हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 21-सदस्यीय राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (National Designated Authority – NDA) की घोषणा की है।

यह प्राधिकरण भारत में कार्बन उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (Carbon Emission Trading System) को लागू करने और इससे जुड़ी परियोजनाओं की निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


NDA की भूमिका और उद्देश्य

  • पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.4 के तहत स्थापित।

  • भारत में कार्बन बाजार से संबंधित परियोजनाओं को अनुमोदित (Approve) और अधिकृत (Authorize) करना।

  • देश में कार्बन क्रेडिट्स के सृजन, पंजीकरण और व्यापार को सुचारू बनाना।

  • निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाजार में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना।


कार्बन बाजार क्या है?

कार्बन मार्केट (Carbon Market) एक ऐसी प्रणाली है जहाँ कंपनियाँ, संगठन और देश कार्बन क्रेडिट्स (Carbon Credits) की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।

  • एक कार्बन क्रेडिट = 1 टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) या उसके समकक्ष अन्य ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी।

  • जिन कंपनियों या देशों ने अपने उत्सर्जन को कम किया है, वे अतिरिक्त कार्बन क्रेडिट्स बेच सकते हैं।

  • जिन कंपनियों के पास उत्सर्जन लक्ष्य से अधिक कार्बन उत्सर्जन है, वे बाजार से कार्बन क्रेडिट खरीदकर अपने लक्ष्य को पूरा कर सकती हैं।


अनुच्छेद 6.4 क्या कहता है?

पेरिस समझौते का अनुच्छेद 6.4 (Article 6.4) एक अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाजार तंत्र (International Carbon Market Mechanism) स्थापित करता है।

  • इसका उद्देश्य देशों और कंपनियों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन देना है।

  • इस प्रणाली से विकसित और विकासशील देश दोनों को तकनीकी और वित्तीय सहयोग मिलेगा।

  • इसका लाभ उन देशों को भी होगा, जिनके पास नवीकरणीय ऊर्जा, वनीकरण और ऊर्जा दक्षता परियोजनाएँ हैं।


NDA क्यों ज़रूरी है?

  • संस्थागत ढाँचा उपलब्ध कराना, जिससे परियोजनाएँ पारदर्शी तरीके से लागू हों।

  • भारत को अंतर्राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट बाजार से जोड़ना।

  • कार्बन व्यापार से होने वाली आय को नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ तकनीक और सतत विकास परियोजनाओं में निवेश करना।

  • भारत के नेट-जीरो (Net-Zero 2070) लक्ष्य को हासिल करने में मदद करना।


संभावित लाभ

  1. आर्थिक लाभ – भारत कार्बन क्रेडिट्स बेचकर विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकता है।

  2. नवीन तकनीक का विकास – स्वच्छ ऊर्जा और ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिलेगा।

  3. रोजगार सृजन – नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन प्रबंधन क्षेत्रों में नए अवसर।

  4. पर्यावरणीय लाभ – ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी और जलवायु परिवर्तन नियंत्रण।


निष्कर्ष

राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) की स्थापना भारत की जलवायु नीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल भारत को पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि देश को वैश्विक कार्बन बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।

भारत का यह कदम दर्शाता है कि देश आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण को साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है।