🌊 ब्यास नदी: इतिहास, भूगोल और वर्तमान बाढ़ की स्थिति
हाल ही में उफनती ब्यास नदी ने पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी है। लगातार वर्षा और बांधों पर बढ़ते जलस्तर के कारण भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को पोंग बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ना पड़ा। इससे आसपास के क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित हुआ।
📍 ब्यास नदी का उद्गम और प्रवाह
-
उद्गम स्थल:
-
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में रोहतांग दर्रे की दक्षिणी ढलान पर स्थित ब्यास कुंड से।
-
-
अपवाह मार्ग:
-
लगभग 470 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद यह पंजाब के हरिके में जाकर सतलुज नदी में मिल जाती है।
-
-
निर्मित स्थलाकृतियाँ:
-
यह नदी अपने प्रवाह के दौरान कुल्लू और कांगड़ा की प्रसिद्ध घाटियों का निर्माण करती है।
-
🏞️ मुख्य सहायक नदियाँ
-
बैन
-
बाणगंगा
-
लूनी
-
उहल
👉 ये सहायक नदियाँ ब्यास को जल और प्रवाह की निरंतरता प्रदान करती हैं।
📜 ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
-
प्राचीन नाम: विपाशा (संस्कृत)
-
पौराणिक कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है।
-
यह नदी न केवल भूगोलिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
⚠️ वर्तमान बाढ़ संकट
-
लगातार बारिश और ऊपरी क्षेत्रों में जलभराव के कारण ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया।
-
पोंग बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ने के कारण पंजाब और हिमाचल के निचले क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।
-
इससे कृषि, आवास और बुनियादी ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
📝 निष्कर्ष
ब्यास नदी हिमाचल और पंजाब की जीवनरेखा है। यह न केवल भू-आकृतिक सौंदर्य प्रदान करती है बल्कि कृषि, जलविद्युत और पेयजल के लिए भी अहम है।
हालांकि, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक वर्षा के चलते इसकी बाढ़ की समस्या भविष्य में और गंभीर हो सकती है।
👉 आवश्यकता है कि सतत जल प्रबंधन और बाढ़ पूर्व चेतावनी तंत्र को मजबूत किया जाए, ताकि इस जीवनदायिनी नदी का जलजनित संकट नियंत्रित किया जा सके।