कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS):

कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS): अवसर और चुनौतियाँ

एक हालिया रिपोर्ट ने कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीक की सीमाओं और चुनौतियों को उजागर किया है। दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इसे एक संभावित समाधान माना जा रहा है, लेकिन इसकी वास्तविक क्षमता और व्यवहार्यता पर सवाल उठ रहे हैं।


CCS क्या है?

  • परिभाषा: CCS प्रक्रिया में उद्योगों, बिजली संयंत्रों और अन्य स्रोतों से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को पकड़कर (capture) उसे जमीन के भीतर सुरक्षित भंडारित (storage) किया जाता है।

  • उद्देश्य: वातावरण में कार्बन की मात्रा कम करके ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करना


मुख्य चुनौतियाँ

  1. वाणिज्यिक कठिनाई

    • यह तकनीक अत्यधिक महंगी है।

    • ऊर्जा उत्पादन और औद्योगिक ढांचे के लिए इसकी लागत वहन करना मुश्किल है।

  2. भंडारण की सीमा

    • भूमिगत भूवैज्ञानिक संरचनाओं की क्षमता सीमित है।

    • पृथ्वी अधिकतम लगभग 1,460 बिलियन टन CO₂ ही सुरक्षित रूप से जमीन में भंडारित कर सकती है।

    • सभी स्थल लंबे समय तक सुरक्षित भंडारण के लिए उपयुक्त नहीं होते।

  3. बुनियादी ढाँचा और सामाजिक स्वीकार्यता

    • CO₂ को ले जाने के लिए पाइपलाइन नेटवर्क का निर्माण और रखरखाव महंगा है।

    • स्थानीय स्तर पर जनता का विरोध भी सामने आ सकता है।

  4. CO₂ के दुष्प्रभाव

    • पाइपलाइन और संरचनाओं में जंग लगना, क्षरण और रिसाव की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

    • रिसाव होने पर आसपास के पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।


CCS की सीमित भूमिका

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि CCS अकेले जलवायु संकट का समाधान नहीं कर सकती।

  • इसे केवल एक पूरक तकनीक माना जा रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और हरित प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर ही प्रभावी हो सकती है।


निष्कर्ष

कार्बन कैप्चर और स्टोरेज तकनीक जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में एक अंतरिम समाधान प्रदान कर सकती है, लेकिन यह लंबी अवधि का स्थायी विकल्प नहीं है। इसके लिए लागत, बुनियादी ढांचे, सुरक्षा और सामाजिक स्वीकृति जैसी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।