WHO-UNICEF रिपोर्ट 2024: सभी के लिए स्वच्छ जल और सैनिटेशन अब भी दूर की चुनौती
प्रस्तावना
जल और स्वच्छता (WASH – Water, Sanitation and Hygiene) मानव जीवन के लिए अनिवार्य हैं। इसके बावजूद, दुनिया के कई हिस्सों में इनकी उपलब्धता में गंभीर असमानताएँ मौजूद हैं। हाल ही में WHO और यूनिसेफ ने “प्रोग्रेस ऑन हाउसहोल्ड ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन रिपोर्ट (2000-2024)” जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि असमानताओं के चलते सतत विकास लक्ष्य (SDG 6) – “सभी के लिए सुरक्षित जल और सैनिटेशन की सार्वभौमिक उपलब्धता” – को हासिल करना मुश्किल हो रहा है।
रिपोर्ट के मुख्य वैश्विक निष्कर्ष
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खुले में शौच (Open Defecation):
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निम्न-आय वाले देशों में इसकी दर वैश्विक औसत से चार गुना अधिक है।
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सैनिटेशन सुविधाएँ:
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वैश्विक स्तर पर केवल 58% आबादी को ही बेहतर रूप से प्रबंधित सैनिटेशन सेवाएँ उपलब्ध हैं।
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सुरक्षित पेयजल:
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2015 में सुरक्षित पेयजल तक पहुँच 68% थी, जो 2024 तक बढ़कर 74% हुई है।
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लैंगिक असमानता:
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पानी लाने का काम मुख्य रूप से महिलाएँ करती हैं, और उन्हें इसके लिए अधिक समय देना पड़ रहा है।
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भारत से संबंधित निष्कर्ष
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खुले में शौच:
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भारत ने इसमें उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन ग्रामीण इलाकों और वंचित समुदायों में यह समस्या अभी भी चुनौती बनी हुई है।
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सैनिटेशन सुविधाएँ:
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बुनियादी सैनिटेशन तक पहुँच लगभग सार्वभौमिक हो चुकी है।
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हालांकि, अपशिष्ट प्रबंधन और फैसिलिटीज़ के उपयोग की गुणवत्ता में कमी दर्ज की गई है।
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पेयजल:
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घरेलू नल कनेक्शन (Tap Connections) का तेजी से विस्तार हुआ है।
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लेकिन सुरक्षित और प्रबंधित जल तक सार्वभौमिक पहुँच अभी नहीं हो पाई है।
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हाशिए पर मौजूद समूह:
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जनजातीय समुदाय, गरीब वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में जल व स्वच्छता की कमी अधिक है।
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भारत की प्रमुख WASH पहलें
1. स्वच्छ भारत मिशन (SBM):
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खुले में शौच की प्रथा पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका।
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महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और सशक्तिकरण में योगदान।
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शिशु मृत्यु दर और जलजनित बीमारियों में कमी।
2. जल जीवन मिशन (JJM):
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लक्ष्य: ग्रामीण भारत के हर घर में व्यक्तिगत नल कनेक्शन द्वारा सुरक्षित और पर्याप्त जल की आपूर्ति।
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यह पहल ग्रामीण स्तर पर जीवन की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित कर रही है।
रिपोर्ट से उभरते संकेत
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गुणवत्ता बनाम पहुँच:
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भारत में पहुँच (Access) तो बेहतर हो रही है, लेकिन गुणवत्ता और सुरक्षित प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है।
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समानता पर जोर:
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जल और सैनिटेशन सेवाओं की उपलब्धता सभी समुदायों, विशेषकर गरीब और हाशिए पर मौजूद वर्गों तक समान रूप से पहुँचनी चाहिए।
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लैंगिक दृष्टिकोण:
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महिलाओं और लड़कियों पर बोझ कम करने के लिए नल जल कनेक्शन और स्थानीय स्तर पर सुविधाओं को प्राथमिकता देनी होगी।
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सततता (Sustainability):
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केवल ढांचा (Infrastructure) ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रखरखाव, अपशिष्ट प्रबंधन और जल संरक्षण की रणनीतियाँ भी ज़रूरी हैं।
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निष्कर्ष
WHO और यूनिसेफ की रिपोर्ट 2024 ने यह स्पष्ट किया है कि जल और स्वच्छता से जुड़ी असमानताएँ विकास की राह में बड़ी बाधा हैं। भारत ने स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे कार्यक्रमों से महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन सार्वभौमिक, सुरक्षित और समान WASH सेवाएँ प्रदान करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
अगर भारत और विश्व दोनों स्तर पर इन असमानताओं को दूर करने के ठोस कदम उठाए जाएँ, तो SDG 6 को समय पर हासिल करना संभव हो सकेगा।