लेबनान : जल संकट और भौगोलिक महत्व का देश
लेबनान हाल ही में अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहा है क्योंकि यहां गंभीर जल संकट गहराता जा रहा है। यूनिसेफ ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो देश की बड़ी आबादी जल की कमी से प्रभावित हो सकती है।
लेबनान का जल संकट
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लेबनान का सबसे बड़ा जलाशय लेक कराओन (Lake Qaroun) का जल स्तर रिकॉर्ड निम्नतम स्तर पर पहुँच गया है।
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देश की सबसे लंबी और बड़ी नदी लिटानी नदी (Litani River) है, जो बेका घाटी से बहते हुए अंततः भूमध्य सागर में मिल जाती है।
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भूजल का अत्यधिक दोहन, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन इस संकट को और गंभीर बना रहे हैं।
ब्लू लाइन (Blue Line)
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वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिणी लेबनान से इज़रायल की वापसी की पुष्टि के लिए जो सीमा रेखा निर्धारित की, उसे ब्लू लाइन कहा जाता है।
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यह क्षेत्र आज भी भू-राजनीतिक तनाव का केंद्र है।
भौगोलिक अवस्थिति
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लेबनान पश्चिम एशिया के लेवेंट क्षेत्र में स्थित है।
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इसकी समुद्री सीमा भूमध्य सागर से लगती है।
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उत्तर और पूर्व में सीरिया तथा दक्षिण में इज़रायल इसकी सीमाएँ साझा करते हैं।
भौगोलिक विशेषताएँ
लेबनान चार प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में बँटा हुआ है:
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तटीय मैदान – भूमध्य सागर के किनारे फैला उपजाऊ क्षेत्र।
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लेबनान पर्वत – देश की मध्य रेखा में फैली पर्वत श्रृंखला।
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बेका घाटी – कृषि के लिए प्रसिद्ध उपजाऊ मैदान।
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एंटी-लेबनान और हर्मोन पर्वतमाला – पूर्वी सीमा पर स्थित ऊँचे पहाड़।
जलवायु
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लेबनान में भूमध्यसागरीय जलवायु पाई जाती है।
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सर्दियाँ आर्द्र (बरसात वाली) होती हैं जबकि गर्मियाँ शुष्क और गर्म होती हैं।
निष्कर्ष
लेबनान का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व जितना समृद्ध है, उतना ही गंभीर उसका जल संकट भी है। लेक कराओन और लिटानी नदी का सूखना देश की कृषि, बिजली उत्पादन और आम जीवन पर गहरा असर डाल रहा है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ठोस जल प्रबंधन नीतियों की सख्त ज़रूरत है।