यू.एन. वीमेन की “विमेंस राइट्स इन रिव्यू 30 इयर्स आफ्टर बीजिंग” रिपोर्ट

🏛 बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (BPFA) की पृष्ठभूमि

✔️ 1995 में 189 देशों (भारत सहित) ने बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (BPFA) पर हस्ताक्षर किए।
✔️ यह संयुक्त राष्ट्र के चौथे वैश्विक महिला सम्मेलन में अपनाया गया था।
✔️ इसमें लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए 12 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई थी।


🔎 रिपोर्ट में उजागर महिलाओं के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

💰 आर्थिक असमानता

🔹 महिलाएँ पुरुषों की तुलना में 20% कम वेतन प्राप्त करती हैं।
🔹 असुरक्षित नौकरियाँ एवं अवैतनिक कार्यों का बोझ अधिक।
🔹 चरम गरीबी से महिलाओं को बाहर निकालने में 137 साल लग सकते हैं।

⚠️ हिंसा और सुरक्षा

🔹 3 में से 1 महिला को शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।
🔹 53% महिलाएँ ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करती हैं।
🔹 2024 में 25% देशों ने महिलाओं के अधिकारों को कमजोर किया।

🏛 राजनीतिक अपवर्जन

🔹 दुनिया में सिर्फ 87 देश महिला नेतृत्व में हैं।
🔹 महिलाओं के पास 27% संसदीय सीटें और 36% स्थानीय निकायों की सीटें हैं।

🌍 जलवायु संकट का प्रभाव

🔹 2050 तक, 236 मिलियन महिलाएँ जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य असुरक्षा झेलेंगी।

📊 नीतियाँ और वित्तीय संसाधन

🔹 54% देश लैंगिक समानता के लिए बजट ट्रैकिंग कर रहे हैं।
🔹 केवल 26% देश सतत विकास लक्ष्य (SDG) मानकों को पूरा कर रहे हैं।


🚀 आगे की राह: बीजिंग+30 एक्शन एजेंडा

🔹 “यू.एन. वीमेन बीजिंग+30” छह प्रमुख पहल + 1 युवा समावेशन पर केंद्रित है:

1️⃣    डिजिटल लैंगिक अंतराल समाप्त करना
2️⃣    महिला-केंद्रित सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
3️⃣    महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना
4️⃣    महिलाओं के नेतृत्व को प्रोत्साहित करना
5️⃣    शांति, सुरक्षा, और मानवीय सहायता में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना
6️⃣    जलवायु न्याय को प्राथमिकता देना
युवा समावेशन को बढ़ावा देना


🎯 BPFA की अब तक की प्रगति और उपलब्धियाँ

कानूनी सुधार: 1995 से अब तक 1,531 नए कानून बनाए गए।
कार्यस्थल अधिकार: जेंडर भेदभाव पर प्रतिबंध वाले देशों की संख्या 58 से बढ़कर 162 हुई।
राजनीति में महिलाएँ: संसदीय प्रतिनिधित्व दोगुना हुआ।
हिंसा विरोधी कानून: 88% देशों ने महिलाओं के प्रति हिंसा के खिलाफ कानून मजबूत किए।
सामाजिक सुरक्षा: 2010 के बाद से वित्तीय सहायता पाने वाली महिलाओं की संख्या एक तिहाई बढ़ी।
वैश्विक पहलें: जनरेशन इक्वैलिटी फोरम (2021) और पैक्ट फॉर द फ्यूचर (2024) लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हैं।


🏆 निष्कर्ष

➡️ महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन असमानताएँ और हिंसा की चुनौतियाँ बनी हुई हैं
➡️ नीतिगत सुधार, डिजिटल समावेशन, और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देना जरूरी है।
➡️ बीजिंग+30 एक्शन एजेंडा महिलाओं को सशक्त बनाने और वैश्विक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।