2nd + 3rd march 2025 Kredoz IAS Daily Interactive News (DIN)
For All Competitive Exam
1.🌾 कृषि उपज से किसानों की आय: RBI रिपोर्ट 2024 🌾
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 18 राज्यों में 12 प्रमुख रबी फसलों पर एक विस्तृत सर्वेक्षण किया, जिसमें किसानों, व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं से डेटा एकत्र किया गया। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह समझना था कि किसानों को उनकी उपज के लिए वास्तविक उपभोक्ता मूल्य का कितना प्रतिशत प्राप्त हो रहा है और आपूर्ति शृंखला में कौन से कारक उनकी आय को प्रभावित कर रहे हैं।
📌 मुख्य निष्कर्ष:
🌱 फसलवार किसानों की उपभोक्ता मूल्य में हिस्सेदारी
📊 फसल | 📉 किसानों की हिस्सेदारी (%) | 🔍 विशेष तथ्य |
🌾 गेहूँ | 67% | 🔹 सर्वाधिक हिस्सेदारी 📈 🔹 25% किसानों ने MSP पर फसल बेची |
🍚 चावल | 52% | 🔹 स्थिर हिस्सेदारी (2018: 49%, 2022: 45%) |
🌱 मसूर | 66% | 🔹 किसानों के लिए लाभदायक |
🌿 चना | 60% | 🔹 संतोषजनक स्तर |
🌻 सरसों | 52% | 🔹 2021 के 55% से थोड़ी गिरावट 📉 |
🍅 टमाटर | 40-63% | 🔹 किसानों की हिस्सेदारी सबसे कम ❗ |
🍉 फल एवं सब्ज़ियाँ | 40-63% | 🔹 व्यापारियों और विक्रेताओं की हिस्सेदारी 50% से अधिक 💰 |
👉 गेहूँ किसानों को सबसे अधिक हिस्सा (67%) मिला, जबकि फल-सब्ज़ी उत्पादकों की हिस्सेदारी सबसे कम (40-63%) रही।
👉 चावल किसानों की हिस्सेदारी 52% थी, जो पिछले वर्षों में स्थिर बनी हुई है, लेकिन इसमें अपेक्षित सुधार नहीं देखा गया।
👉 मसूर और चना किसानों की हिस्सेदारी (60-66%) रही, जो संतोषजनक है, लेकिन अन्य फसलों की तुलना में फिर भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
🚛 शीघ्र नष्ट होने वाली फसलों की समस्याएँ
फल और सब्ज़ियों में किसानों की हिस्सेदारी अनाज और दलहन की तुलना में काफी कम पाई गई।
💡 मुख्य कारण:
- ⏳ शेल्फ लाइफ कम – फसल जल्दी खराब होती है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
- 📉 मांग में उतार-चढ़ाव – कीमतें स्थिर नहीं रहतीं, जिससे किसानों को कम मूल्य मिलता है।
- 📦 विशेष लॉजिस्टिक्स – कोल्ड स्टोरेज और परिवहन सुविधाओं की कमी।
- 🌦 मौसम पर निर्भरता – खराब मौसम होने पर फसल बर्बाद हो जाती है।
- ⚖ अधिक मध्यस्थ – किसान और उपभोक्ता के बीच कई बिचौलिए होते हैं, जो कीमतें बढ़ाते हैं लेकिन किसानों को कम लाभ मिलता है।
🔥 प्रभाव:
🔹 किसानों को फलों और सब्जियों की असमान कीमतें मिलने के कारण, वे इनके उत्पादन से पीछे हटते जा रहे हैं।
🔹 मध्यस्थों और खुदरा विक्रेताओं की हिस्सेदारी 50% से अधिक होने के कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा।
🔹 मांग-आपूर्ति असंतुलन के कारण किसानों की आय में उतार-चढ़ाव बना रहता है।
💳 डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ते कदम
💰 कृषि में नकद लेनदेन अभी भी प्रमुख है, लेकिन…
📈 2018 और 2022 की तुलना में 2024 में डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई 🚀
डिजिटल लेनदेन से क्या लाभ होगा?
✅ किसानों को सीधा भुगतान मिलेगा, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी।
✅ वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता आएगी।
✅ सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और सहायता सीधे किसानों तक पहुँच सकेगी।
🔗 आपूर्ति शृंखला की प्रमुख समस्याएँ
⚠ बहु-मध्यस्थ प्रणाली ➡ किसान और उपभोक्ता के बीच कई स्तर होने के कारण कीमतों में पारदर्शिता की कमी।
⚠ सीमित भंडारण और परिवहन सुविधाएँ ➡ फल-सब्ज़ियों की बर्बादी बढ़ती है।
⚠ मूल्य निर्धारण की जटिलताएँ ➡ किसानों को सही मूल्य नहीं मिल पाता।
⚠ फसल विविधीकरण को हतोत्साहित किया जाता है ➡ किसान सिर्फ पारंपरिक फसलें उगाने पर मजबूर होते हैं।
🔍 संभावित समाधान और सुधार के उपाय
✅ MSP नीति को और अधिक प्रभावी बनाना – किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले।
✅ डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मार्केटिंग को बढ़ावा देना – किसान सीधे उपभोक्ताओं तक अपनी फसल बेच सकें।
✅ कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार – शीघ्र नष्ट होने वाली फसलों की बर्बादी कम हो।
✅ डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना – लेनदेन में पारदर्शिता आए और किसानों को समय पर भुगतान मिले।
✅ कृषि उत्पादन से जुड़े स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना – किसानों की आय में बढ़ोतरी हो।
🌟 निष्कर्ष:
कृषि उत्पादों की बिक्री में किसानों की हिस्सेदारी अभी भी सीमित है, और इसमें सुधार के लिए नीति-निर्माताओं को आपूर्ति शृंखला सुधारों, डिजिटल भुगतान, मूल्य संवर्धन और कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने की जरूरत है।
👨🌾 किसानों की आय में वृद्धि के लिए सिर्फ उत्पादन बढ़ाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह भी जरूरी है कि उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले और बिचौलियों की भूमिका कम हो।
📢 आपकी क्या राय है? क्या सरकार और प्राइवेट सेक्टर को इसमें और सुधार करने चाहिए? 🤔
2.भारत: 2047 तक उच्च-आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की राह 🚀
📢 रिपोर्ट का सारांश
विश्व बैंक की ‘Becoming a High-Income Economy in a Generation’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2047 तक उच्च-आय (HIC) देश बनने के लिए औसतन 7.8% की वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखनी होगी।
- 2007-08: भारत निम्न-मध्यम आय (LMIC) वाला देश बना।
- 2032 (अनुमानित): उच्च-मध्यम आय (UMIC) वाला देश बनने की ओर अग्रसर।
- 2047 लक्ष्य: उच्च-आय (HIC) वाले देशों में शामिल होना।
💡 प्रमुख चुनौतियाँ
1️⃣ संरचनात्मक परिवर्तन की धीमी गति
🔹 भारत के कुल कार्यबल का 45% कृषि क्षेत्र में कार्यरत है, लेकिन यह कम उत्पादक क्षेत्र है।
🔹 विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी केवल 11% और आधुनिक बाजार सेवाओं की हिस्सेदारी मात्र 7% है।
2️⃣ निजी निवेश में गिरावट
🔹 1990 के सुधारों के बाद निजी निवेश में उछाल आया, लेकिन 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद इसमें गिरावट दर्ज की गई।
3️⃣ जनसांख्यिकीय लाभांश का कम उपयोग
🔹 2000-2019 के दौरान कार्यशील आयु वर्ग की आबादी में 37.4% की वृद्धि हुई, लेकिन रोजगार में केवल 15.7% की वृद्धि दर्ज की गई।
🔹 श्रम बल भागीदारी दर 58% से घटकर 49% रह गई, जो मध्यम आय वाले देशों की तुलना में कम है।
📈 भारत की आर्थिक प्रगति: पिछले दो दशकों में
✅ अर्थव्यवस्था का आकार 4 गुना बढ़ा।
✅ प्रति व्यक्ति GDP 3 गुना बढ़ी।
✅ वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 2 गुना बढ़ी (1.6% से 3.4%)।
✅ दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनी।
✅ अत्यधिक गरीबी में कमी और बेहतर अवसंरचना विकास हुआ।
✅ महामारी से पहले GDP वृद्धि दर 6.7% थी।
🚀 2047 तक उच्च-आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की रणनीतियाँ
1️⃣ निवेश को बढ़ावा देना
📌 बेहतर वित्तीय विनियमन द्वारा निवेश को बढ़ाना।
📌 MSME सेक्टर को आसान ऋण उपलब्ध कराना।
📌 FDI नीतियों को सरल बनाना और विदेशी निवेश आकर्षित करना।
📌 2035 तक निवेश को GDP के 40% तक ले जाना (वर्तमान में 33.5%)।
2️⃣ रोजगार सृजन पर जोर
📌 विनिर्माण, कृषि-प्रसंस्करण, परिवहन और केयर इकॉनमी जैसे रोजगार-समृद्ध क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा देना।
3️⃣ क्षेत्रीय विकास को संतुलित करना
📌 कम विकसित राज्यों को बुनियादी आवश्यकताओं (स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे) पर ध्यान केंद्रित करना।
📌 विकसित राज्यों को उच्च तकनीक और अगली पीढ़ी के सुधारों पर जोर देना।
🏆 निष्कर्ष: क्या भारत 2047 तक HIC बन सकता है?
✅ संभावनाएँ प्रबल हैं, लेकिन इसके लिए तेजी से सुधारों की जरूरत होगी।
✅ 7.8% की औसत वृद्धि बनाए रखना एक चुनौती होगी, लेकिन सही नीतियों से संभव है।
✅ उद्योग, नवाचार और मानव पूंजी में निवेश भारत को उच्च-आय अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा सकता है।
📊 क्या भारत इस लक्ष्य को हासिल कर पाएगा? आपकी राय क्या है? 🤔
3.10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के गठन और संवर्धन की योजना 🌾🚜
📅 योजना का शुभारंभ
🔹 लॉन्च: 29 फरवरी 2020
🔹 मंत्रालय: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
🎯 योजना का उद्देश्य
✅ 10,000 नए FPOs का गठन करके किसानों को आत्मनिर्भर बनाना।
✅ आकांक्षी जिलों में “एक जिला, एक उत्पाद (ODOP)” मॉडल को अपनाना।
✅ कृषि में संगठित उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देना।
🔑 योजना के प्रमुख घटक
1️⃣ प्रारंभिक सहायता
📌 प्रत्येक FPO को 5 वर्षों तक सहायता दी जाएगी।
📌 प्रबंधन लागत के लिए ₹18 लाख तक की सहायता (3 वर्षों के लिए)।
📌 संस्थागत ऋण की सुविधा – प्रति FPO ₹2 करोड़ तक का परियोजना ऋण गारंटी कवर के तहत।
2️⃣ FPOs के लाभ
✅ बाजार में मजबूती – संगठित भंडारण और मूल्य संवर्धन से नुकसान कम होगा।
✅ वित्तीय लाभ – किसानों को उचित मूल्य मिलेगा और मजबूरी में फसल बेचने की समस्या कम होगी।
✅ तकनीकी सहायता – आधुनिक कृषि तकनीकों और जानकारी तक आसान पहुंच।
✅ संचार में सुधार – मूल्य परिवर्तन, बाजार रुझान और सलाहकार सेवाओं की जानकारी मिलेगी।
👥 FPOs क्या हैं?
🔹 FPO (Farmer Producer Organization) एक प्रकार का उत्पादक संगठन (PO) है, जिसके सदस्य मुख्य रूप से किसान होते हैं।
🔹 PO (Producer Organization) प्राथमिक उत्पादकों जैसे कि किसान, दुग्ध उत्पादक, और कारीगरों द्वारा गठित कानूनी इकाई होती है।
🔹 पंजीकरण: कंपनी अधिनियम के भाग IXA या राज्यों के सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत।
🔹 लक्ष्य: सामूहिक रूप से किसानों को बेहतर उत्पादन, विपणन और लाभ अर्जित करने में सक्षम बनाना।
🚀 डिजिटल और वित्तीय समावेशन
📌 ONDC प्लेटफॉर्म पर 5,000 FPOs
✅ ONDC (Open Network for Digital Commerce) में शामिल होकर किसानों को डिजिटल मार्केटिंग की सुविधा मिल रही है।
📌 10,000 FPOs को कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में बदलने की योजना
✅ CSCs के माध्यम से डिजिटल सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी।
🏆 निष्कर्ष
🌱 10,000 FPOs की योजना किसानों को संगठित करने, उनकी आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक क्रांतिकारी पहल है।
📊 ONDC और CSCs जैसी डिजिटल सुविधाओं के माध्यम से किसानों को नए बाजारों तक पहुंच मिलेगी।
📈 क्या यह योजना भारतीय कृषि को बदल सकती है? आपकी राय क्या है? 🤔
4.भारत-EU व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) की दूसरी बैठक 🇮🇳🇪🇺
📅 स्थापना और उद्देश्य
🔹 स्थापना: 2022 में हुई थी।
🔹 उद्देश्य: व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को हल करना।
📌 TTC के अंतर्गत तीन कार्य समूह
1️⃣ रणनीतिक प्रौद्योगिकियां, डिजिटल गवर्नेंस और डिजिटल कनेक्टिविटी
2️⃣ स्वच्छ एवं हरित प्रौद्योगिकियां
3️⃣ व्यापार, निवेश और लचीली मूल्य श्रृंखलाएं
🔑 बैठक के मुख्य निष्कर्ष
📡 1️⃣ रणनीतिक प्रौद्योगिकियां और डिजिटल गवर्नेंस
✅ AI, सेमीकंडक्टर्स, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और 6G को मानव-केंद्रित तरीके से विकसित करने पर सहमति।
✅ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को इंटरऑपरेबल बनाने पर सहमति।
✅ यूरोपीय AI कार्यालय और भारत AI मिशन के बीच सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा।
🌱 2️⃣ हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियां
✅ Horizon Europe प्रोग्राम के तहत 60 मिलियन यूरो के संयुक्त निवेश की घोषणा।
✅ हरित ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर अनुसंधान सहयोग बढ़ाने पर सहमति।
💹 3️⃣ व्यापार, निवेश और लचीली मूल्य श्रृंखलाएं
📌 भारत-EU व्यापारिक संबंध:
🔹 EU भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
🔹 भारत EU के लिए 9वें स्थान का व्यापारिक साझेदार है।
🔹 2023 में द्विपक्षीय व्यापार 113.3 बिलियन यूरो तक पहुंच गया।
🔹 भारत को 16.5 बिलियन यूरो का व्यापार अधिशेष हुआ।
📌 2025 तक भारत-EU मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पूरा करने पर सहमति।
📌 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की जांच में सर्वोत्तम पद्धतियों का आदान-प्रदान।
📌 CBAM (Carbon Border Adjustment Mechanism) और डीकार्बोनाइजेशन पर चर्चा।
📌 भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEEC) के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई गई।
🏆 निष्कर्ष
🌍 भारत और EU दोनों बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाएं हैं।
📈 TTC साझेदारी व्यापार, डिजिटल प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग को मजबूत करेगी।
🚀 क्या यह साझेदारी भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने में मदद करेगी? आपकी राय क्या है? 🤔
5. आदित्य-L1 ने सोलर फ्लेयर कर्नेल की पहली तस्वीर ली 🌞📸
📌 मुख्य बिंदु
✅ SUIT पेलोड ने X6.3 श्रेणी की सोलर फ्लेयर का अवलोकन किया।
✅ यह सौर विस्फोटों की सबसे शक्तिशाली श्रेणियों में से एक है।
✅ आदित्य-L1 के SOLEXS और HELIOS उपकरण सूर्य से उत्सर्जित X-ray का अध्ययन करते हैं।
🌞 आदित्य-L1 मिशन के बारे में
📅 लॉन्च तिथि: सितंबर 2023
🚀 भारत का पहला सौर मिशन
📍 अवस्थिति: सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज पॉइंट-1 (L1) पर Halo Orbit में।
🎯 उद्देश्य:
🔹 सूर्य के ऊपरी वायुमंडल (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) की गतिशीलता का अध्ययन।
🔹 कोरोनल हीटिंग और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) का विश्लेषण।
🔹 सौर हवा (Solar Wind) और उसकी पृथ्वी पर प्रभावों का अध्ययन।
🔥 सोलर फ्लेयर क्या होते हैं?
🔹 यह सूर्य के वायुमंडल से निकलने वाले तेज़ रोशनी और उच्च ऊर्जा वाले आवेशित कणों का विस्फोट होता है।
🔹 इसे पाँच श्रेणियों (A, B, C, M, X) में वर्गीकृत किया जाता है, जहाँ X-श्रेणी सबसे शक्तिशाली होती है।
🌍 पृथ्वी पर प्रभाव:
⚠️ रेडियो ब्लैकआउट का कारण बन सकता है।
⚠️ सैटेलाइट्स, संचार प्रणाली और विद्युत ग्रिड को नुकसान पहुंचा सकता है।
⚠️ अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा बढ़ा सकता है।
🛰️ आदित्य-L1 के प्रमुख पेलोड्स
🔍 रिमोट सेंसिंग पेलोड्स
1️⃣ VELC (Visible Emission Line Coronagraph): कोरोना का अध्ययन।
2️⃣ SUIT (Solar Ultraviolet Imaging Telescope): सौर फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की UV छवियां लेना।
3️⃣ SOLEXS (Solar Low Energy X-ray Spectrometer): सूर्य से उत्सर्जित X-ray विकिरण का अध्ययन।
4️⃣ HELIOS (High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer): उच्च-ऊर्जा एक्स-रे उत्सर्जन का विश्लेषण।
🌪️ इन-सीटू पर्यवेक्षण पेलोड्स
5️⃣ ASPEX (Aditya Solar Wind Particle Experiment): सौर हवा के कणों का अध्ययन।
6️⃣ PAPA (Plasma Analyzer Package for Aditya): प्लाज्मा का विश्लेषण।
7️⃣ Advanced Tri-Axial High Resolution Digital Magnetometer: सौर गतिविधियों से जुड़े चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन।
🚀 निष्कर्ष
✅ आदित्य-L1 सूर्य के रहस्यों को उजागर करने और पृथ्वी पर इसके प्रभावों को समझने में मदद करेगा।
✅ भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मुकाम हासिल कर रहा है।
✅ क्या यह मिशन भविष्य में सौर तूफानों की सटीक भविष्यवाणी में मदद कर सकता है? 🤔
6. राष्ट्रीय जलमार्ग (जेट्टीज टर्मिनल्स का निर्माण) विनियम, 2025 🚢🏗️
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग (जेट्टीज टर्मिनल्स का निर्माण) विनियम, 2025 प्रस्तुत किए हैं।
📌 मुख्य प्रावधान
🔹 कार्यक्षेत्र:
✅ मौजूदा और नए दोनों प्रकार के स्थायी और अस्थायी टर्मिनल्स को कवर किया गया।
✅ अस्थायी टर्मिनल्स की अवधि 5 वर्ष, जिसे आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकता है।
🔹 अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NoC):
✅ राष्ट्रीय जलमार्ग पर टर्मिनल बनाने और संचालित करने के लिए IWAI से अनुमति अनिवार्य।
🔹 टर्मिनल डेवलपर और ऑपरेटर की जिम्मेदारियाँ:
✅ तकनीकी डिजाइन और निर्माण की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की होगी।
✅ उपयोगकर्ताओं को सुविधाजनक पहुँच सुनिश्चित करनी होगी।
🔹 डिजिटल पोर्टल:
✅ “Ease of Doing Business” के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जाएगा।
🚢 अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने के अन्य प्रयास
📜 राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016
✅ 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया।
📦 ‘जलवाङ्क’ योजना
✅ राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा), राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र), राष्ट्रीय जलमार्ग-16 (बराक) को विकसित करने की योजना।
✅ 35% तक कार्गो परिवहन लागत की प्रतिपूर्ति।
🛥️ अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC)
✅ उच्चस्तरीय नीतिगत मंच जो अंतर्देशीय जल परिवहन के विकास में सहायता करता है।
🌍 अंतर्देशीय जलमार्गों का महत्व
🔹 पर्यावरण-अनुकूल परिवहन: जलमार्ग से कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
🔹 सस्ती परिवहन लागत: 1 लीटर ईंधन से सड़क मार्ग पर 24 टन-किमी, रेलवे पर 85 टन-किमी, और जलमार्ग से 105 टन-किमी माल ढोया जा सकता है।
🔹 तेजी से बढ़ता कार्गो ट्रैफिक:
📊 2013-14 में 18.07 MMT से बढ़कर 2021-22 में 133.11 MMT तक पहुँच गया।
🔹 भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि।
🚀 निष्कर्ष
✅ नए विनियमों से जलमार्ग परिवहन में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
✅ यह योजना लॉजिस्टिक्स लागत को कम कर व्यापारिक गतिविधियों को गति देगी।
✅ क्या भारत जलमार्गों को मुख्य परिवहन माध्यम के रूप में स्थापित कर सकता है? 🤔
7. ‘इंडिया फिलैंथरोपी रिपोर्ट 2025’ के मुख्य निष्कर्ष 🌍💰
भारत में सामाजिक क्षेत्रक वित्त-पोषण सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक दोनों के योगदान से संचालित होता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सामाजिक क्षेत्र पर वार्षिक रूप से GDP का 6-7% खर्च किया जाता है।
📌 मुख्य बिंदु
📈 वित्त पोषण में वृद्धि:
✅ पिछले 5 वर्षों में 13% CAGR के साथ, FY 2024 में 25 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचा।
✅ वित्त वर्ष 2029 तक यह 45 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान।
📉 मुख्य चिंताएँ:
🔹 निजी क्षेत्रक का सीमित योगदान: केवल 5%।
🔹 नीति आयोग की सिफारिश से वित्त-पोषण में 14 लाख करोड़ रुपये की कमी।
🔹 HNIs और CSR पर अधिक निर्भरता:
- राधा गोयनका – हेरिटेज प्रोजेक्ट (2018)
- गोदरेज इंडस्ट्रीज – प्राइड फंड (2025)
📢 भारत में लोकोपकार (फिलैंथरोपी) का महत्व
✅ वित्त-पोषण में कमी को पूरा करना: सरकारी बजटीय सहायता को पूरक बनाना।
✅ समाज की प्रमुख समस्याओं का समाधान:
- गरीबी उन्मूलन
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता
✅ नवाचार को बढ़ावा देना: - अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन – ग्रामीण शिक्षा सुधार
- बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन – स्वच्छ भारत मिशन
🏦 निजी क्षेत्रक द्वारा सामाजिक वित्त-पोषण को बढ़ावा देने की पहल
📜 कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR):
✅ कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनियों को अपने औसत निवल लाभ का 2% CSR में खर्च करना अनिवार्य।
🤝 इंडिया फिलैंथरोपी अलायंस (IPA):
✅ गैर-लाभकारी संगठनों का नेटवर्क, जो भारत के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाता है।
📊 सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE):
✅ सामाजिक उद्यम शेयर बाजार से पूंजी जुटा सकते हैं।
🚀 निष्कर्ष
✅ भारत का सामाजिक वित्त-पोषण तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन निजी क्षेत्र का योगदान अभी भी कम है।
✅ सरकार और निजी संगठनों को मिलकर नीति आयोग के लक्ष्य (GDP का 13%) तक पहुँचना होगा।
✅ क्या इंडिया फिलैंथरोपी रिपोर्ट 2025 एक नए युग की शुरुआत करेगी? 🤔