Farmers Income from Agricultural Produce: RBI Report 2024

1.🌾 कृषि उपज से किसानों की आय: RBI रिपोर्ट 2024 🌾

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 18 राज्यों में 12 प्रमुख रबी फसलों पर एक विस्तृत सर्वेक्षण किया, जिसमें किसानों, व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं से डेटा एकत्र किया गया। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह समझना था कि किसानों को उनकी उपज के लिए वास्तविक उपभोक्ता मूल्य का कितना प्रतिशत प्राप्त हो रहा है और आपूर्ति शृंखला में कौन से कारक उनकी आय को प्रभावित कर रहे हैं।


📌 मुख्य निष्कर्ष:

🌱 फसलवार किसानों की उपभोक्ता मूल्य में हिस्सेदारी

📊 फसल📉 किसानों की हिस्सेदारी (%)🔍 विशेष तथ्य
🌾 गेहूँ67%🔹 सर्वाधिक हिस्सेदारी 📈 🔹 25% किसानों ने MSP पर फसल बेची
🍚 चावल52%🔹 स्थिर हिस्सेदारी (2018: 49%, 2022: 45%)
🌱 मसूर66%🔹 किसानों के लिए लाभदायक
🌿 चना60%🔹 संतोषजनक स्तर
🌻 सरसों52%🔹 2021 के 55% से थोड़ी गिरावट 📉
🍅 टमाटर40-63%🔹 किसानों की हिस्सेदारी सबसे कम ❗
🍉 फल एवं सब्ज़ियाँ40-63%🔹 व्यापारियों और विक्रेताओं की हिस्सेदारी 50% से अधिक 💰

👉 गेहूँ किसानों को सबसे अधिक हिस्सा (67%) मिला, जबकि फल-सब्ज़ी उत्पादकों की हिस्सेदारी सबसे कम (40-63%) रही।

👉 चावल किसानों की हिस्सेदारी 52% थी, जो पिछले वर्षों में स्थिर बनी हुई है, लेकिन इसमें अपेक्षित सुधार नहीं देखा गया।

👉 मसूर और चना किसानों की हिस्सेदारी (60-66%) रही, जो संतोषजनक है, लेकिन अन्य फसलों की तुलना में फिर भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।


🚛 शीघ्र नष्ट होने वाली फसलों की समस्याएँ

फल और सब्ज़ियों में किसानों की हिस्सेदारी अनाज और दलहन की तुलना में काफी कम पाई गई।

💡 मुख्य कारण:

  1. शेल्फ लाइफ कम – फसल जल्दी खराब होती है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
  2. 📉 मांग में उतार-चढ़ाव – कीमतें स्थिर नहीं रहतीं, जिससे किसानों को कम मूल्य मिलता है।
  3. 📦 विशेष लॉजिस्टिक्स – कोल्ड स्टोरेज और परिवहन सुविधाओं की कमी।
  4. 🌦 मौसम पर निर्भरता – खराब मौसम होने पर फसल बर्बाद हो जाती है।
  5. अधिक मध्यस्थ – किसान और उपभोक्ता के बीच कई बिचौलिए होते हैं, जो कीमतें बढ़ाते हैं लेकिन किसानों को कम लाभ मिलता है।

🔥 प्रभाव:

🔹 किसानों को फलों और सब्जियों की असमान कीमतें मिलने के कारण, वे इनके उत्पादन से पीछे हटते जा रहे हैं।
🔹 मध्यस्थों और खुदरा विक्रेताओं की हिस्सेदारी 50% से अधिक होने के कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा।
🔹 मांग-आपूर्ति असंतुलन के कारण किसानों की आय में उतार-चढ़ाव बना रहता है।

💳 डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ते कदम

💰 कृषि में नकद लेनदेन अभी भी प्रमुख है, लेकिन…
📈 2018 और 2022 की तुलना में 2024 में डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई 🚀

डिजिटल लेनदेन से क्या लाभ होगा?

✅ किसानों को सीधा भुगतान मिलेगा, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी।
✅ वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता आएगी।
✅ सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और सहायता सीधे किसानों तक पहुँच सकेगी।


🔗 आपूर्ति शृंखला की प्रमुख समस्याएँ

बहु-मध्यस्थ प्रणाली ➡ किसान और उपभोक्ता के बीच कई स्तर होने के कारण कीमतों में पारदर्शिता की कमी।
सीमित भंडारण और परिवहन सुविधाएँ ➡ फल-सब्ज़ियों की बर्बादी बढ़ती है।
मूल्य निर्धारण की जटिलताएँ ➡ किसानों को सही मूल्य नहीं मिल पाता।
फसल विविधीकरण को हतोत्साहित किया जाता है ➡ किसान सिर्फ पारंपरिक फसलें उगाने पर मजबूर होते हैं।

🔍 संभावित समाधान और सुधार के उपाय

MSP नीति को और अधिक प्रभावी बनाना – किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले।
डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मार्केटिंग को बढ़ावा देना – किसान सीधे उपभोक्ताओं तक अपनी फसल बेच सकें।
कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार – शीघ्र नष्ट होने वाली फसलों की बर्बादी कम हो।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना – लेनदेन में पारदर्शिता आए और किसानों को समय पर भुगतान मिले।
कृषि उत्पादन से जुड़े स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना – किसानों की आय में बढ़ोतरी हो।


🌟 निष्कर्ष:

कृषि उत्पादों की बिक्री में किसानों की हिस्सेदारी अभी भी सीमित है, और इसमें सुधार के लिए नीति-निर्माताओं को आपूर्ति शृंखला सुधारों, डिजिटल भुगतान, मूल्य संवर्धन और कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने की जरूरत है।

👨‍🌾 किसानों की आय में वृद्धि के लिए सिर्फ उत्पादन बढ़ाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह भी जरूरी है कि उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले और बिचौलियों की भूमिका कम हो

📢 आपकी क्या राय है? क्या सरकार और प्राइवेट सेक्टर को इसमें और सुधार करने चाहिए? 🤔

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