ग्रेट निकोबार ट्रंक रोड परियोजना: SIA रिपोर्ट और जनजातीय परिप्रेक्ष्य
एटलस मैनेजमेंट कंसल्टेंसी सर्विसेज (AMCS) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार की गई सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेट निकोबार ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर रोड परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण लाभकारी पाया गया है।
इस परियोजना के लिए आदिवासी आरक्षित क्षेत्रों की लगभग 130 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाएगा। यह प्रश्न महत्वपूर्ण है कि क्या ऐसे अधिग्रहण स्थानीय समुदायों और पारिस्थितिकी के लिए दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक सिद्ध होंगे।
📊 सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) क्या है?
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परिभाषा (UNEP, 2007):
SIA का उद्देश्य किसी भी नीति, योजना, विकास कार्य या परियोजना के कारण होने वाले सामाजिक परिवर्तन और परिणामों का अध्ययन, योजना और प्रबंधन करना है। -
RFCTLARR अधिनियम, 2013 के अंतर्गत:
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भूमि अधिग्रहण से पहले SIA और सामाजिक प्रभाव प्रबंधन योजना बनाना अनिवार्य है।
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यह सरकारी उपयोग, PPP परियोजनाओं और सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए निजी अधिग्रहण—सभी पर लागू होता है।
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👉 इसका मकसद है कि प्रतिकर, पारदर्शिता और पुनर्वास न्यायसंगत तरीके से हो।
⚠️ विकास परियोजनाएं और जनजातीय विस्थापन
1. विस्थापन की समस्या
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अक्सर विकास परियोजनाएं उन्हीं क्षेत्रों में आती हैं जो खनिज और वन संपदा से समृद्ध होते हैं।
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इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से जनजातीय आबादी रहती है।
उदाहरण:
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सरदार सरोवर बांध परियोजना
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केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना
प्रभाव:
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आजीविका का नुकसान
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सांस्कृतिक क्षरण
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मनोवैज्ञानिक पीड़ा
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सामाजिक विघटन
2. पुनर्वास की चुनौतियां
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RFCTLARR अधिनियम, 2013 जैसी नीतियों के बावजूद:
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अपर्याप्त मुआवजा
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सामुदायिक भागीदारी की कमी
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नौकरशाही बाधाएं
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भ्रष्टाचार
➡️ जिसके कारण पुनर्वास प्रभावी नहीं हो पाता।
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✅ समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता
सिर्फ विस्थापन और पुनर्वास से आगे बढ़कर, जनजातीय सशक्तीकरण को केंद्र में रखना ज़रूरी है।
1. सशक्तीकरण और स्व-शासन
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PESA अधिनियम, 1996 और FRA अधिनियम, 2006
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ग्राम सभाओं को भूमि और संसाधनों पर निर्णय लेने का अधिकार।
2. शिक्षा
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एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS): गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहल।
3. आजीविका विविधीकरण
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वन धन विकास केंद्र: गौण वनोपज (MFP) का मूल्य संवर्धन।
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इससे आदिवासी आय में वृद्धि।
4. अन्य योजनाएं
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पीएम-जनमन (PM JANMAN): आदिवासी समुदायों के समग्र विकास के लिए।
📝 निष्कर्ष
ग्रेट निकोबार ट्रंक रोड जैसी परियोजनाएं आधारभूत संरचना और कनेक्टिविटी के लिहाज से लाभकारी हो सकती हैं, लेकिन इनके प्रभावों का आकलन केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं किया जा सकता।
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सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना उतना ही आवश्यक है।
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यदि भूमि अधिग्रहण के साथ न्यायसंगत पुनर्वास, शिक्षा, आजीविका और स्वशासन को प्राथमिकता दी जाए, तो यह परियोजनाएं वास्तव में समावेशी विकास का उदाहरण बन सकती हैं।