इसरो का सबसे भारी रॉकेट ‘लूनर मॉड्यूल लॉन्च व्हीकल (LMLV)’
इसरो का सबसे भारी रॉकेट ‘लूनर मॉड्यूल लॉन्च व्हीकल (LMLV)’ 2035 तक तैयार हो जाएगा । यह नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) का उन्नत संस्करण होगा ।
इसकी ऊँचाई लगभग 40 मंजिला इमारत जितनी होगी । इसका उपयोग चंद्र मिशन के लिए किया जाएगा, जिसमें 2040 तक भारत का पहला मानव चंद्र मिशन भी शामिल है ।
यह निम्न भू-कक्षा (LEO) तक 80 टन या चंद्रमा तक लगभग 27 टन का भार ले जा सकता है । यह 3-चरण वाला यान होगा, जिसके पहले दो चरणों के लिए द्रव प्रणोदक और तीसरे चरण के लिए क्रायोजेनिक प्रणोदक का इस्तेमाल किया जाएगा ।
इसरो के प्रमुख प्रक्षेपण यान और उनकी विशेषताएं:
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV): यह इसरो का द्रव चरणों वाला तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है । यह सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा, LEO और भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (GTO) में उपग्रहों को स्थापित करने में सक्षम है । उदाहरण के लिए, चंद्रयान-1, मंगल ऑर्बिटर मिशन, आदि में इसका उपयोग किया गया था ।
- भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV): यह चौथी पीढ़ी का और तीन-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है । इसे 2.0 टन श्रेणी के उपग्रहों को GTO में स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है । इसका उपयोग मुख्यतः संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए किया जाता है ।
- LVM 3: यह हेवी लिफ्ट-ऑफ क्षमता से युक्त तीन-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है । यह 4 टन की श्रेणी वाले उपग्रहों को GTO तक या लगभग 10 टन वजन वाले उपग्रहों को LEO में स्थापित करने में सक्षम है (जैसे: चंद्रयान-2 और 3) । इसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाना प्रस्तावित है ।
- लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV): यह पूर्णतः ठोस प्रणोदक से संचालित तीन-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है । इसे मिनी, माइक्रो या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किलोग्राम वजन) को प्रक्षेपित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ।