समुद्री जैव विविधता संधि

समुद्री जैव विविधता संधि: प्रिपरेटरी कमीशन का दूसरा सत्र संपन्न

Posted: 02 Sep 2025 | पढ़ने का समय: 3-4 मिनट

हाल ही में समुद्री जैव विविधता संधि (BBNJ Agreement) के प्रिपरेटरी कमीशन का दूसरा सत्र सम्पन्न हुआ। यह संधि, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के तहत एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे समुद्री जैविक संसाधनों का संरक्षण और उनका सतत उपयोग सुनिश्चित करना है।


BBNJ एग्रीमेंट क्या है?

  • इसे 2023 में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आयोजित अंतर-सरकारी सम्मेलन में अपनाया गया।

  • यह UNCLOS का तीसरा कार्यान्वयन समझौता है।

    • पहला: 1994 का UNCLOS भाग-11 कार्यान्वयन समझौता

    • दूसरा: 1995 का संयुक्त राष्ट्र फिश स्टॉक समझौता


उद्देश्य

  • ABNJ (Areas Beyond National Jurisdiction), जिन्हें सामान्यतः हाई सीज़ (High Seas) कहा जाता है, की जैव विविधता का संरक्षण और सतत उपयोग।

  • हाई सीज़ वे समुद्री क्षेत्र हैं जो सभी देशों के लिए खुले होते हैं और जिनका उपयोग नेविगेशन, ओवरफ्लाइट, समुद्र के नीचे केबल व पाइपलाइन बिछाने जैसे कार्यों में किया जाता है।


प्रमुख प्रावधान

BBNJ संधि चार मुख्य स्तंभों पर केंद्रित है:

  1. समुद्री आनुवंशिक संसाधन (Marine Genetic Resources – MGRs)

    • इनसे प्राप्त लाभों का न्यायसंगत और समान बंटवारा

  2. क्षेत्र-आधारित प्रबंधन उपकरण (ABMTs)

    • विशेषकर समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas – MPAs) का निर्माण और प्रबंधन।

  3. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA)

    • किसी भी बड़े समुद्री गतिविधि से पहले उसके संभावित प्रभावों का मूल्यांकन।

  4. क्षमता-निर्माण और समुद्री प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण

    • विकासशील देशों को ज्ञान, तकनीक और संसाधन उपलब्ध कराना।


संस्थागत ढांचा

  • कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP): संधि की उच्च-स्तरीय निर्णय लेने वाली संस्था।

  • समाशोधन-गृह तंत्र (Clearing-House Mechanism): सूचना और डेटा साझा करने का प्लेटफ़ॉर्म।

  • सचिवालय: संधि के क्रियान्वयन का प्रशासनिक ढांचा।

  • साथ ही, वित्त-पोषण तंत्र का भी प्रावधान किया गया है।


भारत की स्थिति

भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, लेकिन अभी तक इसका अनुसमर्थन (ratification) नहीं किया है। भारत जैसे बड़े समुद्री देश के लिए यह संधि विशेष महत्व रखती है क्योंकि:

  • भारत की ब्लू इकॉनमी रणनीति इससे सीधे जुड़ी है।

  • समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग और संरक्षण में इसकी सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।


निष्कर्ष

समुद्री जैव विविधता संधि (BBNJ Agreement) वैश्विक समुद्री शासन में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल समुद्री संसाधनों की रक्षा और न्यायपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करता है, बल्कि सभी देशों को समान भागीदारी का अवसर भी देता है। भारत के लिए यह संधि समुद्री कूटनीति, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास—तीनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।