Olive Ridley Turtles: Conservation and Challenges

🐢 ओलिव रिडले कछुए: संरक्षण और चुनौतियाँ 🌊

एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि ओलिव रिडले कछुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन बढ़ते तापमान के कारण लिंगानुपात असंतुलित हो रहा है।


🔹 ओलिव रिडले कछुओं के बारे में

सबसे छोटी और सबसे प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली समुद्री कछुआ प्रजाति।
अरिबादा परिघटना:

  • यह ओलिव रिडले कछुओं की अनोखी विशेषता है।
  • इसमें हजारों कछुए एक साथ समुद्र तट पर आते हैं और सामूहिक रूप से अंडे देते हैं।

📍 पर्यावास (Habitat)

✅ मुख्य रूप से प्रशांत, हिंद और अटलांटिक महासागरों के गर्म जल में पाए जाते हैं।
भारत में प्रमुख नेस्टिंग साइट्स:

  • गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य (ओडिशा) 🌿
  • रुशिकुल्या नदी तट (ओडिशा)
  • देवी नदी तट (ओडिशा)

📜 संरक्षण स्थिति

IUCN: वर्ल्डवाइड स्थिति “वल्नरेबल” (Vulnerable)
CITES: परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-1 में सूचीबद्ध (अत्यधिक संरक्षण प्राप्त)


️ चुनौतियाँ

🚨 तापमान वृद्धि:

  • गर्म रेत में अधिक अंडे से मादा कछुए निकलते हैं, जिससे लिंगानुपात असंतुलित हो रहा है।
    🚨 मानवजनित खतरे:
  • मत्स्य उद्योग में जाल में फंसकर कछुओं की मृत्यु।
  • तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण और प्लास्टिक कचरा।
    🚨 पर्यावास का विनाश:
  • अंधाधुंध तटीय विकास और समुद्र तटों का क्षरण।

🔹 संरक्षण प्रयास

टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TEDs):

  • भारतीय तटरक्षक बल मछली पकड़ने के जाल में फंसने से बचाने के लिए इस डिवाइस का उपयोग करने को बढ़ावा देता है।
    ऑपरेशन ओलिविया:
  • भारतीय तटरक्षक बल द्वारा ओलिव रिडले कछुओं की सुरक्षा के लिए वार्षिक अभियान।
    गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य:
  • ओलिव रिडले कछुओं के लिए भारत का सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षित क्षेत्र।

🌍 आगे की राह

समुद्र तट संरक्षण और तापमान नियंत्रण तकनीकों का उपयोग।
स्थानीय समुदायों और मछुआरों को जागरूक करना।
वैज्ञानिक अनुसंधान और कछुओं की निगरानी में वृद्धि।

📌 क्या आपको लगता है कि समुद्री कछुओं के संरक्षण के लिए और सख्त कदम उठाए जाने चाहिए? 🤔

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