आदि वाणी: जनजातीय भाषाओं के लिए भारत का पहला AI-संचालित अनुवाद प्लेटफ़ॉर्म
भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता और भाषाई समृद्धि के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। लेकिन यही विविधता कई बार संचार की बाधा भी बन जाती है, विशेषकर जनजातीय समुदायों के संदर्भ में। इसी समस्या का समाधान लेकर आया है “आदि वाणी” (Aadi Vaani) – भारत का पहला AI-संचालित अनुवाद प्लेटफ़ॉर्म, जिसे केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने हाल ही में बीटा संस्करण के रूप में लॉन्च किया है।
आदि वाणी क्या है?
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आदि वाणी एक AI-आधारित अनुवाद प्लेटफार्म है, जिसे विशेष रूप से जनजातीय भाषाओं के लिए विकसित किया गया है।
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इसका उद्देश्य है जनजातीय और गैर-जनजातीय समुदायों के बीच संचार की खाई को पाटना।
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यह पहल “जनजातीय गौरव वर्ष” के तहत शुरू की गई है।
वर्तमान भाषाएँ और भविष्य की योजनाएँ
🔹 बीटा लॉन्च चरण में उपलब्ध भाषाएँ:
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संथाली (ओडिशा)
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भीली (मध्य प्रदेश)
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मुंडारी (झारखंड)
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गोंडी (छत्तीसगढ़)
🔹 विकासाधीन भाषाएँ:
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कुई
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गारो
आदि वाणी के लाभ और महत्व
1. भाषाई विविधता का संरक्षण
भारत की कई जनजातीय भाषाएँ लुप्त होने के कगार पर हैं। आदि वाणी इन भाषाओं के डिजिटलीकरण में मदद करेगा और उन्हें संरक्षित रखेगा।
2. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच
इस प्लेटफ़ॉर्म से शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और शासन सेवाएँ जनजातीय लोगों तक उनकी मातृभाषा में पहुंचाई जा सकेंगी।
3. जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा
स्थानीय भाषाओं में डिजिटल प्लेटफार्म मिलने से जनजातीय उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलेगा और वे व्यापक बाजार से जुड़ सकेंगे।
4. अनुसंधान के लिए संसाधन
भाषाविदों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के लिए यह प्लेटफार्म एक ज्ञान भंडार का कार्य करेगा।
5. समावेशी शासन
सरकारी योजनाओं और नीतियों को बेहतर तरीके से जमीनी स्तर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
आदि वाणी (Aadi Vaani) केवल एक तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि यह भारत की जनजातीय संस्कृति, भाषाई विविधता और सामाजिक समावेशिता की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल लुप्त होती भाषाओं को डिजिटल जीवन देगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन और उद्यमिता को भी जनजातीय लोगों की अपनी भाषा में सुलभ बनाएगा।