सेन्ना स्पेक्टाबिलिस: आक्रामक प्रजाति के विरुद्ध भारत का पहला उन्मूलन अभियान
भारत की जैव विविधता विश्वभर में अद्वितीय है, लेकिन कई बार विदेशी आक्रामक पौधों की प्रजातियाँ इस विविधता के लिए खतरा बन जाती हैं। ऐसी ही एक प्रजाति है सेन्ना स्पेक्टाबिलिस (Senna spectabilis), जिसके विरुद्ध केरल के वायनाड में भारत का पहला विज्ञान-आधारित और समुदाय-संचालित उन्मूलन अभियान शुरू किया गया है।
सेन्ना स्पेक्टाबिलिस क्या है?
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यह एक आक्रामक (Invasive) विदेशी वृक्ष प्रजाति है।
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इसका मूल स्थान अमेरिकी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropical America) है।
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यह तेजी से फैलकर देशी पौधों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाती है।
प्रमुख विशेषताएँ
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यह वृक्ष 7 से 18 मीटर तक ऊँचा हो सकता है।
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इसका वितान (Crown) बहुत घना और विस्तृत होता है, जिससे सूर्य का प्रकाश भूमि तक नहीं पहुँच पाता।
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यह केरल के राज्य पुष्प कैसिया फिस्टुला (Cassia fistula) से मिलता-जुलता है, जिसे स्थानीय लोग कनिक्कोन्ना कहते हैं।
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यह झाड़ियों के रूप में घना, बाँझ (Sterile) आवरण बनाती है।
पर्यावरण पर प्रभाव
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देशी प्रजातियों को नष्ट करना – यह वृक्ष देशी पौधों की वृद्धि को बाधित कर देता है।
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मृदा की गुणवत्ता बदलना – यह मिट्टी की रासायनिक संरचना में बदलाव कर देता है।
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खाद्य संकट – शाकाहारी जीवों के लिए चारे की उपलब्धता घट जाती है।
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जैव विविधता का ह्रास – स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है।
वायनाड अभियान की विशेषताएँ
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यह भारत का पहला विज्ञान-आधारित और समुदाय-संचालित अभियान है।
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अभियान में स्थानीय समुदायों को शामिल कर जन-जागरूकता और भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
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वैज्ञानिकों ने इस पौधे की पहचान, उन्मूलन की तकनीक और निगरानी की योजना तैयार की है।
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इसका उद्देश्य है स्थानीय जैव विविधता की रक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखना।
निष्कर्ष
सेन्ना स्पेक्टाबिलिस केवल एक पौधा नहीं, बल्कि जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है। वायनाड में चलाया गया यह उन्मूलन अभियान देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक मॉडल परियोजना बन सकता है। यह अभियान यह संदेश देता है कि स्थानीय समुदाय और विज्ञान मिलकर आक्रामक प्रजातियों से पारिस्थितिकी की रक्षा कर सकते हैं।