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🌍 WMO का “वायु गुणवत्ता और जलवायु बुलेटिन”: प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का गहरा संबंध
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने हाल ही में अपना नया “वायु गुणवत्ता और जलवायु बुलेटिन” जारी किया। यह रिपोर्ट साफ़ तौर पर दिखाती है कि वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन के बीच कितना गहरा संबंध है और क्यों हमें स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी-तंत्र और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए एकीकृत वैश्विक कार्रवाई की ज़रूरत है।
🔑 बुलेटिन के मुख्य बिंदु
1. PM2.5 प्रदूषण – एक बड़ा वैश्विक स्वास्थ्य संकट
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PM2.5 (सूक्ष्म कण प्रदूषण) हर साल लाखों लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बन रहा है।
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उत्तरी अमेरिका, यूरोप और पूर्वी एशिया → कड़े नियमों और नीतियों की वजह से PM2.5 स्तरों में कमी आई है।
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दक्षिण एशिया और उच्च अक्षांशीय क्षेत्र → अब भी PM2.5 की गंभीर समस्या, मुख्यतः:
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जंगलों की आग
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औद्योगिक गतिविधियां
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पराली जलाना
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2. पोत परिवहन उत्सर्जन और MARPOL VI नियम
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समुद्री ईंधन में सल्फर की मात्रा घटाने से वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।
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लेकिन इसके चलते वातावरण में सल्फेट एरोसोल की मात्रा घटी → उनके परावर्तक प्रभाव के कम होने से वैश्विक तापमान में हल्की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
3. वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन का द्विपक्षीय संबंध
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धरातलीय ओज़ोन: एक ग्रीनहाउस गैस और प्रदूषक, जो वातावरण को गर्म करती है।
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जलवायु परिवर्तन:
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रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बदल देता है।
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प्राकृतिक उत्सर्जन (जैसे पौधों से निकलने वाली गैसें) को प्रभावित करता है।
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मानवीय गतिविधियों (जैसे खेती, उद्योग, परिवहन) से निकलने वाले प्रदूषण को भी प्रभावित करता है।
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4. एरोसोल का दोहरा प्रभाव
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गहरे रंग के एरोसोल (ब्लैक कार्बन) → सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित करके तापमान बढ़ाते हैं।
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हल्के/चमकीले रंग के एरोसोल (सल्फेट, नाइट्रेट्स) → सूर्य के विकिरण को परावर्तित कर अस्थायी ठंडक पैदा करते हैं।
🌫️ उत्तर भारत में शीतकालीन कोहरा और वायु प्रदूषण
बुलेटिन ने विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदान में सर्दियों के कोहरे की समस्या को उजागर किया।
🔍 कारण
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PM2.5 और नमी का मेल
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वाहनों, उद्योगों और पराली जलाने से निकलने वाले PM2.5 कणों पर नमी संघनित होकर कोहरे का निर्माण करती है।
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ये कण Fog Condensation Nuclei (FCN) का काम करते हैं।
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तापमान व्युत्क्रमण (Temperature Inversion)
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ठंडी हवा प्रदूषकों को ज़मीन के पास फंसा देती है, जिससे घना कोहरा लंबे समय तक बना रहता है।
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शहरीकरण और उद्योग
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ईंट भट्टों और अमोनियम उत्सर्जन से प्रदूषण और गहरा जाता है।
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⚠️ परिणाम
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गंभीर ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं
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अस्थमा और श्वसन रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याएं
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कोहरे की नमी में मौजूद जहरीले तत्वों से अतिरिक्त स्वास्थ्य जोखिम
🏛️ विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
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परिचय: संयुक्त राष्ट्र (UN) की विशेषीकृत एजेंसी
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मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
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स्थापना: 1950
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सदस्य: 187 देश (भारत सहित) + 6 क्षेत्र
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ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (GAW) कार्यक्रम:
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विश्वभर में वायुमंडलीय निगरानी नेटवर्क का समन्वय
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वायु गुणवत्ता, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित डेटा इकट्ठा करना
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📝 निष्कर्ष
WMO की यह रिपोर्ट एक चेतावनी है कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को अलग-अलग मुद्दे नहीं माना जा सकता।
दोनों का गहरा रिश्ता है और हमें नीतियों, तकनीक और व्यवहार परिवर्तन के जरिए एकीकृत कदम उठाने होंगे।
विशेषकर भारत जैसे देशों में, जहां शीतकालीन कोहरा और प्रदूषण स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था दोनों के लिए संकट बनते जा रहे हैं, वहां तत्काल स्थानीय और क्षेत्रीय रणनीतियों की आवश्यकता है।