1. इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल(Ethanol Blended Petrol) : अवसर और पर्यावरणीय चिंताएँ
🚨 चर्चा में क्यों?
आंध्र प्रदेश में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-Ethanol Blended Petrol) कार्यक्रम का विरोध किया जा रहा है। पर्यावरणविद् और किसान इथेनॉल कारखानों से होने वाले प्रदूषण और अत्यधिक जल खपत को लेकर चिंतित हैं।
💡 इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम क्या है?
✅ शुरुआत: 2001 में पायलट परियोजना, 2003 में 5% इथेनॉल मिश्रण के साथ लॉन्च।
✅ लक्ष्य: 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण।
✅ उद्देश्य:
- कार्बन उत्सर्जन और ईंधन आयात में कमी।
- किसानों की आय बढ़ाना।
- ऊर्जा विविधीकरण और भारत की नेट-ज़ीरो 2070 प्रतिबद्धता को समर्थन।
✅ उपलब्धियाँ:
- 1,600 करोड़ लीटर की इथेनॉल उत्पादन क्षमता।
- ₹1,06,072 करोड़ विदेशी मुद्रा की बचत।
- 544 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन में कमी।
🌍 पर्यावरणीय चिंताएँ
💧 अत्यधिक जल उपयोग:
- 1 लीटर इथेनॉल बनाने में 8-12 लीटर पानी लगता है।
- गन्ने और अनाज से बने इथेनॉल के कारण जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता है।
🛑 प्रदूषण और जैव विविधता को खतरा:
- इथेनॉल डिस्टिलरीज़ “लाल श्रेणी” (अत्यधिक प्रदूषणकारी) उद्योगों में आती हैं।
- विनेसे नामक खतरनाक अपशिष्ट जल जलाशयों को दूषित कर सकता है।
- कृष्णा जैसी नदियों के पास स्थित कारखानों से जल संकट और खेती पर प्रभाव।
🛑 वायु प्रदूषण:
- इथेनॉल उत्पादन में एसीटैल्डिहाइड, फॉर्मेल्डिहाइड और एक्रोलीन जैसे हानिकारक रसायन निकलते हैं।
- इससे श्वसन बीमारियों और कैंसर का खतरा बढ़ता है।
⚠️ अनुचित स्वीकृतियाँ:
- कई संयंत्रों को बिना उचित पर्यावरण मूल्यांकन के मंजूरी मिल रही है।
- ये कारखाने अक्सर मानव बस्तियों के पास स्थित होते हैं।
🚀 आगे की राह
🌱 3G इथेनॉल (शैवाल आधारित) को बढ़ावा देना – अपशिष्ट जल और समुद्री शैवाल से उत्पादन कर खाद्य और जल संसाधनों पर दबाव कम करना।
♻️ पर्यावरणीय विनियमन –
🔹 अपशिष्ट उपचार संयंत्र लगाना अनिवार्य हो।
🔹 भूजल की जगह पुनर्नवीनीकृत जल का उपयोग किया जाए।
🔹 सार्वजनिक सुनवाई फिर से शुरू हो।
⚡ हरित तकनीकों को अपनाना –
🔹 WAYU (वायु शोधन इकाई) जैसी टेक्नोलॉजी को सब्सिडी देना।
🔹 निम्न उत्सर्जन वाले इथेनॉल उत्पादन पर अनुसंधान को बढ़ावा देना।
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