भारत में सामाजिक सुरक्षा: भविष्य की दिशा और अवसर
भारत ने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और ILO की 2024-26 वैश्विक सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज दोगुना होकर 49% तक पहुँच चुका है, जो 2021 में 24% था। यह एक शानदार उपलब्धि है, लेकिन भारत के लिए अब भी कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ मौजूद हैं। हम जानते हैं कि सामाजिक सुरक्षा का मतलब सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को एक मजबूत आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करने का एक साधन है।
भारत में सामाजिक सुरक्षा का महत्व
- समावेशी समाज की नींव सामाजिक सुरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए सुरक्षा का एक मजबूत आधार है। यह समावेशी समाज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे हर व्यक्ति को समान अवसर मिलते हैं।
- जलवायु अनुकूलन और सामाजिक विकास
सामाजिक सुरक्षा गरीबी, असमानता और सामाजिक अपवर्जन को कम करने में मदद करती है। यह न केवल लोगों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करती है, बल्कि पर्यावरणीय संकट से निपटने में भी योगदान देती है। - आर्थिक समृद्धि की ओर कदम
सामाजिक सुरक्षा रोजगार और आय बढ़ाकर समाज के गरीब वर्ग को सशक्त बनाती है। इससे रोजगार की गुणवत्ता में सुधार आता है, जिससे लोग पर्यावरण अनुकूल नौकरियों की ओर बढ़ सकते हैं और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
भारत में सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ
- सामाजिक सुरक्षा कवरेज की कमी
भारत में अधिकांश श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, और उनका सामाजिक सुरक्षा कवरेज अभी भी बहुत सीमित है। सिर्फ 26% महिलाएँ और 39% पुरुष ही किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ उठा पा रहे हैं, जो कि एक चिंता का विषय है। - अपर्याप्त वित्तीय संसाधन
भारत अपने GDP का केवल 5% ही सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करता है, जबकि वैश्विक औसत 13% है। इसका मतलब है कि भारत को इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि अधिक लोग सामाजिक सुरक्षा के लाभ से जुड़ सकें। - ऑटोमेशन और AI का प्रभाव
तकनीकी प्रगति, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), भविष्य में लाखों नौकरियाँ खत्म कर सकती हैं। इस तकनीकी बदलाव के दौर में, भारत को अपने श्रमिकों को नए कौशल से लैस करने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा से जोड़ने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
भारत में सामाजिक सुरक्षा के लिए किए गए महत्वपूर्ण कदम
- मनरेगा – ग्रामीण रोजगार की गारंटी
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों परिवारों को रोजगार दिया है। यह योजना गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। - लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS)
TPDS का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों तक खाद्य सुरक्षा पहुँचाना है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके। यह योजना देश के लाखों परिवारों को राहत प्रदान करती है। - प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PMSYM)
यह योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक मजबूत पेंशन योजना है, जिससे वे अपनी वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से सुरक्षित रह सकें। - प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना (PMJJBY)
यह योजना गरीबों को सस्ती जीवन बीमा कवर प्रदान करती है, ताकि वे किसी आकस्मिक घटना के बाद आर्थिक रूप से सुरक्षित रह सकें। - प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)
यह योजना दुर्घटना बीमा के रूप में एक सुरक्षा जाल है, जो गरीबों और कमजोर वर्गों को सस्ती दरों पर बीमा कवर प्रदान करती है।
सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए आगे की राह
- सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार
भारत को अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ाना चाहिए, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए। बेरोजगारी बीमा और पेंशन योजनाओं का विस्तार कर ज्यादा लोगों को इसमें शामिल किया जा सकता है। - लैंगिक असमानताओं को खत्म करना
महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा के उपायों को और सशक्त बनाना चाहिए। मातृत्व लाभ का विस्तार और पेंशन योजनाओं तक महिलाओं की पहुंच सुनिश्चित करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। - डेटा संग्रह और निगरानी में सुधार
सरकार को लाभार्थियों तक बेहतर पहुँचने के लिए डेटा संग्रह और निगरानी में सुधार करना चाहिए। साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर श्रमिकों को नए कौशल प्रदान करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष: सामाजिक सुरक्षा का भविष्य
भारत ने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन इस यात्रा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हमें एक ऐसे समाज की ओर बढ़ना है, जहाँ हर व्यक्ति को सुरक्षा, अवसर और सम्मान मिल सके। इसके लिए सरकार को और अधिक संसाधनों का निवेश करना होगा और विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ाना होगा।
सामाजिक सुरक्षा केवल एक नीति नहीं, बल्कि यह हर नागरिक का अधिकार है। यह न केवल गरीबों और असंगठित श्रमिकों को फायदा पहुंचाती है, बल्कि एक समृद्ध, सशक्त और स्थिर राष्ट्र की नींव रखती है।