Tamil Nadu opposes three-language policy

तमिलनाडु ने त्रि-भाषा नीति का विरोध किया (Tamil Nadu opposes three-language policy)

तमिलनाडु ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के तहत त्रि-भाषा नीति लागू करने से इनकार कर दिया।
केंद्र सरकार ने इस फैसले के चलते समग्र शिक्षा योजना के तहत राज्य को मिलने वाली धनराशि रोक दी है।
वर्तमान में तमिलनाडु 2-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) का पालन कर रहा है।


📌 त्रि-भाषा नीति क्या है?

🔹 NEP, 2020 के तहत प्रत्येक छात्र को तीन भाषाएं सीखनी होंगी।
🔹 इनमें से दो भाषाएं भारत की होनी चाहिए।
🔹 भाषा चुनने का अधिकार राज्यों और छात्रों को दिया गया है।


📜 त्रि-भाषा नीति का विकास Tamil Nadu opposes three-language policy

नीति / आयोगवर्षसुझाव
विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग1948-49डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध्यक्षता में त्रि-भाषा फार्मूला सुझाया।
कोठारी आयोग1964-66औपचारिक रूप से त्रि-भाषा नीति प्रस्तावित की।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)1968इसे औपचारिक रूप से लागू किया गया।
NEP, 1986 और 1992त्रि-भाषा नीति बरकरार रखी गई।
NEP, 2020हिंदी का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया, केवल “दो भारतीय भाषाओं” का उल्लेख किया गया।

️ त्रि-भाषा नीति से जुड़ी चिंताएं

हिंदी थोपने की आशंका – दक्षिण भारतीय राज्यों को लगता है कि यह हिंदी अनिवार्यता को बढ़ावा देगा।
शिक्षा का बोझ बढ़ेगा – छात्रों पर अतिरिक्त भाषा सीखने का दबाव बढ़ सकता है।
राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी – कई राज्यों की अपनी भाषा नीतियां हैं, जिनसे टकराव हो सकता है।
वित्तीय बाधाएं – राज्यों को नई भाषा के शिक्षकों और संसाधनों के लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत होगी।


🚨 तमिलनाडु का विरोध क्यों?

🔹 राज्य 2-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) का पालन करता है।
🔹 हिंदी थोपे जाने का विरोध ऐतिहासिक रूप से करता रहा है (Anti-Hindi Agitation, 1965)।
🔹 राज्य सरकार का मानना है कि यह उनकी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के खिलाफ है।


📝 निष्कर्ष

तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच शिक्षा नीति को लेकर विवाद जारी है।
राज्य भाषा नीति पर अपने अधिकार को बनाए रखना चाहता है।
भविष्य में शिक्षा नीति में अधिक लचीलापन और राज्यों की भागीदारी की जरूरत होगी।

📌 क्या भाषा नीति को राज्यों के अनुसार अधिक लचीला बनाया जाना चाहिए? आपकी क्या राय है?

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