Today Important News list
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF&CC) ने पर्यावरण राहत निधिं (संशोधन) योजना, 2024 अधिसूचित की
- प्रधान मंत्री ने डिजिटल कॉमर्स के क्षेत्र में क्रांति लाने में ONDC की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला
- सेना ने असम में कोयला खदान में फंसे खनिकों को बचाने के लिए बचाव अभियान शुरू किया
- ग्लोबल वाटर मॉनिटर कंसोर्टियम ने ग्लोबल वाटर मॉनिटर 2024 सारांश रिपोर्ट जारी की
- केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय (MOTA) ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 के कार्यान्वयन पर मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखा
- वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के बारे में
- संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी एंटिटी लिस्ट से भारतीय परमाणु संस्थानों को हटाएगा
- अन्य सुर्खियां
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF&CC) ने पर्यावरण राहत निधिं (संशोधन) योजना, 2024 अधिसूचित की
यह अधिसूचना लोक दायित्व बीमा अधिनियम (PLIA), 1991 की धारा 7A के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी की गई है। इस संशोधन योजना के अंतर्गत पर्यावरण राहत निधि (ERF) योजना, 2008 में संशोधन किया जाएगा।
- PLIA की धारा 7A में पर्यावरण राहत निधि (ERF) की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इस निधि का उपयोग खतरनाक पदार्थों से जुड़ी दुर्घटनाओं के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए किया जाता है।
मुख्य संशोधनों पर एक नजरः
- प्रशासनः पर्यावरण राहत निधि (ERF) का प्रशासन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
- निधि प्रबंधकः यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड KIRF का निधि प्रबंधक था। 1 जनवरी, 2025 से केंद्रीय प्रदुषण नियंलण बोर्ड (CPCB) ERF का निधि प्रवेचक बन गया है। CPCB पांच साल के लिए प्रबंधक रहेगा।
- भुगतान (Disbursement): निधि प्रबंधक, केंद्र सरकार के साथ परामर्श से एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित करेगा व उसका रखरखाव करेगा। साथ ही, वह जिला कलेक्टर या केंद्र सरकार के आदेश के माध्यम से राशि की वितरित करेगा।
- निवेशः ERF राशि को सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों और बचत खातों में समुचित रूप से निवेश किया जाएगा, ताकि धन की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित हो सकें।
- पर्यावरणीय क्षति की मरम्मतः निधि प्रबंधक, खतरनाक पदार्थों के विनिर्माण, प्रोसेसिंग, उपचार, पैकेज, भंडारण, परिवहन, उपयोग, संग्रह, समाप्ति, रूपांतरण, हस्तांतरण आदि के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति की मरम्मत के लिए ERF राशि निर्धारित करेगा।
- लेखा परीक्षाः ERF के खातों की लेखा परीक्षा एक स्वतंल लेखा परीक्षक करेगा। इसे नियंलक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा अनुमोदित पैनल से केंद्र सरकार नियुक्त करेगी।
संबंधित सुर्ख़ियां
लोक दायित्व बीमा (संशोधन) नियम, 2024
पर्यावरण मेलालय ने PLIA, 1991 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लोक दायित्व बीमा (संशोधन) नियम, 2024 अधिसूचित किए हैं।
मुख्य संशोधनों पर एक नजर
- प्रभावित सार्वजनिक संपत्ति से प्रत्यक्ष और पर्याप्त संबंध व हित रखने वाले व्यक्ति भी संपत्ति की बहाली के लिए दावा कर सकते हैं।
- यह पर्यावरणीय क्षति की मरम्मत के लिए ERF के उपयोग का प्रावधान करता है।
- एकल दुर्घटना के लिए बीमा पॉलिसी कवरेज सीमा को बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये और एकाधिक दुर्घटनाओं के लिए 500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
प्रधान मंत्री ने डिजिटल कॉमर्स के क्षेत्र में क्रांति लाने में ONDC की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), व्यापारियों और ग्राहकों के लिए एक सार्वजनिक ऑनलाइन नेटवर्क है। यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को आपस में जुड़ने और अंतर संचालन की अनुमति देता है।
ONDC के बारे में
- नोडल मेलालयः वाणिज्य महालय के तहत उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) इसका नोडल मंत्रालय है।
- लॉन्चः इसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अंतर्गत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में 2021 में निगमित किया गया था।
- उद्देश्यः भारतीय ई कॉमर्स क्षेत्र का लोकतंलीकरण करना।
- संस्थापक सदस्यः ‘भारतीय गुणवत्ता परिषद और प्रोटीन ई-गाँव टेक्रोलॉजीज लिमिटेड।
- कार्यप्रणाली: ONDC ओपन सोर्स पद्धतियों और प्रोटोकॉल्स का उपयोग करता है। यह पूरे भारत में विक्रेताओं, खरीदारों और सेवा प्रदाताओं, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए एक समान अवसर उपलब्ध कराता है। यह किसी विशेष प्लेटफॉर्म से स्वतंत है।
- महत्त्वः इससे मूल्य निर्धारण में सुधार होता है और उपभोक्ताओं की विविध सेवा प्रदाताओं से सेवाएं प्राप्त होती हैं।
- आवश्यकता क्यों है: भारत में 12 मिलियन से अधिक विक्रेता विक्रय या पुनर्विक्रय पर निर्भर हैं, लेकिन केवल 0.125% ही ई कॉमर्स का उपयोग करते हैं।
- प्रमुख निवेशकः SBI, ICICI Bank, NSE, आदि।
ONDC के मुख्य घटक
- विकेंद्रीकृत संरचनाः ONDC पारंपरिक प्लेटफॉर्म्स के विपरीत ई-कॉमर्स सेवाओं का स्वामित्व या संचालन नहीं करता है। यह इंटरकनेक्टिविटी के लिए एक सक्षमकर्ता के रूप में कार्य करता है।
- ओपन प्रोटोकॉल्सः खुले मानकों के आधार पर, ONDC यह सुनिश्चित करता है कि ई-कॉमर्स बाजार में वस्तुओं के क्रेता और बिक्रेता चाहे किसी भी प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हों, लेन-देन कर सकते हैं।
- भूमिका का पृथक्करणः स्पष्टता के लिए क्रेता एप्लिकेशन, विक्रेता एप्लिकेशन और लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं जैसी भूमिकाओं को परिभाषित करता है।
सेना ने असम में कोयला खदान में फंसे खनिकों को बचाने के लिए बचाव अभियान शुरू किया
मेघालय की सीमा से लगे असम के दिमा हसाओ जिले के उमराग्सो में एक जलमग्न कोयला खदान में नौ मजदूर फंस गए।
रैट होल माइनिंग के बारे में
- खनन तंत्र: रैट होल खनन में आमतौर पर 3-4 फीट गहरी संकरी सुरंग बनाई जाती है। इन सुरंगों में श्रमिक (अक्सर बच्चे) घुटनों के बल प्रवेश करते हैं और कोयला निकालते हैं।
- ये सुरंगे क्षैतिज आकार की होती है। इनका नाम “रेट होल्स” इसलिए पड़ा क्योंकि ऐसी प्रत्येक सुरंग में लगभग एक ही व्यक्ति प्रवेश कर सकता है।
- कोयला खनन की यह तकनीक मेघालय में अधिक प्रचलित है, क्योंकि वहाँ कोयले की परत पतली है।
- रेट होल माइनिंग विधि को व्यापक रूप से अपनाने के कारणः
- प्राकृतिक कारकः मेघालय में कोयले की परतें बहुत पतली है, जो ओपन-कास्ट खनन विधि के लिए उपयुक्त नहीं है। इन पतली परतों के लिए रैट-होल खनन विधि अधिक किफायती साबित होती है।
- एडवांस ड्रिलिंग विधियों की उच्च लागत और दुर्गम क्षेत्र के कारण रैट होल खनन विधि को प्राथमिकता दी जाती है। मेघालय में जनिकों का कहना है कि ओपनकास्ट खनन विधि की तुलना में रैट-होल खनन विधि उनके लिए आर्थिक रूप से अधिक लाभकारी है।
- गवर्नेस संबंधी मुद्देः संविधान की छठी अनुसूची भूमि पर जनजातीय अधिकारों की रक्षा से जुड़े प्रावधान करती है।
- गौरतलब है कि छठी अनुसूची के तहत आने वाले खेलों में भूमि मालिकों को ही खनिजों का स्वामी माना जाता है। साथ ही, 1973 का कोयला खान राष्ट्रीयकरण अधिनियम इन क्षेलों में स्थित खदानों पर लागू नहीं होता है।
- कानूनी स्थितिः वर्ष 2014 में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मेघालय में रैट होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायालय ने इस खनन तकनीक को अवैज्ञानिक और अमिकों के लिए असुरक्षित बताया है।
- हालांकि, वर्ष 2019 में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम तथा खनिज रिवायत नियम, 1960 के तहत कोयला खनन किया जाता है, तो NGT का प्रतिबंध लागू नहीं होगा।
ग्लोबल वाटर मॉनिटर कंसोर्टियम ने ग्लोबल वाटर मॉनिटर 2024 सारांश रिपोर्ट जारी की
इस रिपोर्ट में वैश्विक जल चक्र की स्थिति का सारांश प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, इसमें प्रमुख जल विज्ञान संबंधी घटनाओं का विश्लेषण और प्रमुख प्रवृत्तियों को उजागर किया गया है।
जल चक्र (Water Cycle)
- जल चक्र पृथ्वी और वायुमंडल के भीतर जल की सभी अवस्थाओं (ठोस, तरल और गैस) में संचरण को दर्शाता है।
- तरल अवस्था वाला जल वाष्पित होकर जलवाष्य बन जाता है। बाद में ये जलवाष्प संघनित होकर बादलों का निर्माण करते है तथा वर्षा और हिम के रूप में पृथ्वी पर वापस आ जाते हैं।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर (जल चक्र की स्थिति)
- 2024 में जल-संबंधी आपदाओं के कारणः
- 8,700 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई;
- 40 मिलियन लोग विस्थापित्त हो गए; तथा
- 550 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ।
- मृदा में मौजूद जल के मामले में काफी क्षेत्रीय विषमताएं देखी गई हैं। जैसे दक्षिण अमेरिका और दक्षिणी अफ्रीका में अत्यधिक शुष्क मृदा तथा पश्चिमी अफ्रीका में आर्द्र मृदा की दशाएं पाई गई है।
- झीलों और जलाशयों में जल भंडारण में लगातार पांचवे वर्ष गिरावट दर्ज की गई है।
जल चक्र पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- तीव्रताः जलवायु परिवर्तन ने जल चक्र की तीव्रता को 7.4% तक बढ़ा दिया है।
- गंभीर तूफानः गर्म हया अधिक जलवाष्प को धारण कर सकती है, जैसे प्रत्येक 1°C तापमान वृद्धि पर अधिक आर्द्रता धारण करने की क्षमता 7% तक बढ़ जाती है। इससे वर्षा की तीव्रता, अवधि और आवृत्ति बढ़ जाती है।
- सुखाः तापमान वृद्धि से अधिक वाष्पीकरण होता है, मिट्टी सुजती है और सूखे का सातरा बढ़ता है। हाल के दशकों में अत्यधिक शुष्क महीने आम हो गए है।
- समुद्र जल स्तर में वृद्धिः तापीय विस्तार और पिघलती बर्फ से समुद्र जल स्तर में वृद्धि हो रही है। साथ ही, महासागरीय अम्लीकरण से समुद्री जीवन प्रभावित हो रहा है।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय (MOTA) ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 के कार्यान्वयन पर मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखा
राज्य सरकार को वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के क्षेत्रों में वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के तहत निर्धारित समुदायों के वन अधिकारों के कथित उल्लंघन की जांच करने का निर्देश दिया गया है।
वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के बारे में
- इसे अनुसूचित जनजाति (STs) एवं अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के रूप में पारित किया गया है।
- उद्देश्यः वनों में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वनवासियों के वन भूमि पर उनके वन अधिकारों एवं वन भूमि में अधिभोग की मान्यता देना।
- वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत अधिकारों के प्रकार
- व्यक्तिगत अधिकारः स्वयं खेती करने और निवास करने का अधिकार।
- सामुदायिक अधिकारः
- चराई, मछली पकड़ना और वनों में मौजूद जल निकायों का उपयोग करना;
- विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के लिए आवास अधिकार;
- बौद्धिक संपदा और पारंपरिक ज्ञान पर सामुदायिक अधिकार;
- संधारणीय उपयोग के लिए किसी सामुदायिक वन संसाधन की सुरक्षा, पुनरुद्धार या
- संरक्षण या प्रबंधन का अधिकार।
- ग्राम सभा की भूमिकाः ग्राम सभा को वन अधिकारों की प्रकृति और सीमा निर्धारित करने की प्रक्रिया आरंभ करने का अधिकार है।
- राज्य सरकारों की भूमिकाः राज्य सरकारों को अधिनियम को लागू करने का काम सौंपा गया है। ये राज्य स्तरीय निगरानी समिति, जिला स्तरीय समितियों और उप-मंडल स्तरीय समितियों का गठन करती है।
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के बारे में
- मध्य प्रदेश के तीन जिलों नरसिंहपुर, सागर और दमोह में विस्तृत है।
- इसमे नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और वीरांगना दुर्गावती अभयारण्य के क्षेत्र शामिल हैं।
- नौरादेही एक विशिष्ट संरक्षित क्षेत्र है। इसमें भारत की दो प्रमुज नदी घाटिया, अर्थात् गंगा और नर्मदा शामिल हैं।
- वनस्पतिः उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती प्रकार, जिसमें मुख्य रूप से सागौन के वृक्ष पाए जाते
- जीवः नीलगाय, चीतल, सांभर, रीसस मैकाक, पैंथर, भारतीय भेड़िया आदि।
संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी एंटिटी लिस्ट से भारतीय परमाणु संस्थानों को हटाएगा
- एंटिटी लिस्ट ऐसे मटेरियल के अनधिकृत व्यापार को रोकती है, जो आतंकवाद व सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) कार्यक्रमों का समर्थन कर सकता है। भारतीय संस्थाओं को इस सूची से हटाने से 2008 के भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग समझौते को फिर से सक्रिय करने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग समझौता
- पृष्ठभूमिः इस समझौते को 123 समझौता भी कहा जाता है। 123 समझौता जुलाई 2005 में पेश किया गया था। इस समझौते का यह नाम अमेरिकी परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1954 की धारा 123 के नाम पर रखा गया है। यह समझौता भारत पर 30 साल से लगे अमेरिकी परमाणु व्यापार प्रतिबंध को समाप्त करता है। ये प्रतिबंध परमाणु परीक्षण और उसके बाद लगे प्रतिबंधों के चलते लगाए गए थे।
- भारत के परमाणु कार्यक्रम के लिए सहयोगः यह समझौता अमेरिकी कंपनियों को भारत को परमाण ईंधन, प्रौद्योगिकी और रिएक्टर बेचने की अनुमति देता है।
- भारत की प्रतिबद्धताः भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों का विस्तार करने; अंतर्राष्ट्रीय परमाण एवं मिसाइल निर्वात दिशा-निर्देशों का पालन करने; परमाणु परीक्षण पर स्वैच्छिक रोक जारी रखने आदि पर सहमति व्यक्त की थी।
- समझौते का महत्त्व-
- यह भारत के परमाणु अप्रसार के मामले में मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड तथा परमाणु कार्यक्रम पर स्वैच्छिक सुरक्षा उपायों को लागू करने के इतिहास को मान्यता देता है।
- यह भारत को ऐसी परमाणु सुविधाओं पर अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिनका पहले अंतर्राष्ट्रीय रूप से निरीक्षण नहीं किया गया था।
- परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) का औपचारिक सदस्य न होते हुए भी भारत द्वारा इसके निर्यात मानकों का पालन करने की प्रतिबद्धता को मान्यता दी गई है।
- भारत अन्य बहुपक्षीय दृथियार और तकनीकी निर्यात नियंत्रण समूहों का सदस्य है, जैसे:
- मिसाइल टेक्रोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR);
- ऑस्ट्रेलिया युप;
- वासेनार अरेंजमेंट आदि।
• समझौते के कार्यान्वयन में मुख्य चुनौतियों
- भारत का परमाणु दायित्व (Nuclear Liability): परमाणु आपदा पीड़ितों हेतु मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए भारत ने ‘परमाणु नुकसान के लिए सिविल दायित्व अधिनियम (CLNDA), 2010’ बनाया है। इसके चलते अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं के साथ तनाव बना हुआ है।
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर न करनाः भारत द्वारा परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर न करना भी इसके कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करता है।
अन्य सुर्खियां
ब्रिक्स (BRICS)
इंडोनेशिया को विकासशील अर्थव्यवस्थाओं वाले ब्रिक्स समूह के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया है। इसकी घोषणा ब्रिक्स समूह के अध्यक्ष देश ब्राजील ने की है।
- इंडोनेशिया दक्षिण-पूर्व एरिया में सबसे अधिक जनसंख्या और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।
ब्रिक्स के बारे में
- उत्पत्तिः ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ’ नील ने 2001 में ‘ब्रिक्स’ (BRICs) का संक्षिप्त नाम गढ़ा था, जो ब्राजील, रूस, भारत और चीन की उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- ब्रिक्स का गठन 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन द्वारा किया गया था। दक्षिण अफ्रीका 2010 में इसमें शामिल हुआ था।
- मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब भी ब्रिक्स में शामिल हो गए हैं।
- उद्देश्यः वैश्विक शासन व्यवस्था से संबंधित संस्थाओं में सुधार लाना तथा दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत बनाने में सकारात्मक योगदान देना।
स्टील PLI 1.1
केंद्रीय इस्पात महालय ने विशेष इस्पात के लिए PLI (उत्पादन से संबंद्ध प्रोत्साहन) योजना के दूसरे चरण का शुभारंभ किया है। इस बरण का नाम PLI योजना 1.1 है।
PLI योजना 1.1 के बारे में
- उद्देश्यः मूल्य वर्धित इस्पात पेड के विनिर्माण को बढ़ावा देना, भारतीय उद्योग को प्रौद्योगिकी में परिपक्व होने और मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करना।
- कार्यान्वयन अवधिः वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2029-30 तक।
- इसमें कवर किए गए उत्पाद: PLI योजना 1.1 मौजूदा PLI योजना के अनुरूप पांच निम्नलिखित उत्पाद श्रेणियों को कवर करती है:
- लेपित / प्लेटेड स्टील उत्पाद,
- हाई स्ट्रेंथ स्टील,
- स्पेशिलिटी रेल्स,
- मिश्र धातु स्टील उत्पाद, तथा
- स्टील के तार और इलेक्ट्रिकल स्टील
बनिहाल बाईपास
बनिहाल बाईपास का निर्माण पूरा हो चुका है।
बनिहाल दरें के बारे में
- यह दर्रा जम्मू और कश्मीर में NH-44 के 2.35 किमी लम्बे सड़क खंड का हिस्सा है।
- NH 44 भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है। इसे पहले NH-7 के नाम से ‘भी जाना जाता था।
- यह राजमार्ग 3,745 किलोमीटर लंबा है और जम्मू-कश्मीर के उत्तरी छोर पर स्थित श्रीनगर को भारत के सुदुर दक्षिणी छोर पर स्थित कन्याकुमारी से जोड़ता है।
- यह वाईपास सुरक्षा बलों के लिए तेज और सुगम आवागमन को सुनिश्चित करेगा। यह खरपोरा, बनिहाल और नवयुग सुरंग के बीच याला का समय घटाकर माल 7 मिनट कर देगा।
टाइडल टेल
NGC 3785 आकाशगंगा की टाइडल टेल (Tidal Tail) के अंत में एक नवीन आकाशगंगा का निर्माण देखा गया है। NGC 3785 आकाशगंगा को अब तक खोजी गई सबसे लम्बी टाइडल टेल के लिए जाना जाता है।
टाइडल टेल के बारे में
- यह दो आकाशगंगाओं के निकट संपर्क या विलय प्रक्रिया के दौरान गुरुत्वीय बलों (“ज्वारीय बलों”) के कारण बनती है। इस प्रक्रिया में आकाशगंगाएं एक-दूसरे से मैटर को अपनी ओर खींचती हैं।
- यह तारों और गैसों से बनी अत्यंत विशाल लहर के रूप में होती है।
- यह अल्ट्रा-डिफ्यूज आकाशगंगाओं के निर्माण को समझने का अवसर प्रदान करती है। अल्ट्रा- डिफ्यूज आकाशगंगाओं की चमक बहुत कम होती है।
क्रॉप्स (CROPS) एक्सपेरिमेंट
इसरो द्वारा PSLV-C60 के क्रॉप्स (CROPS) एक्सपेरिमेंट के तहत अंतरिक्ष में भेजे गए लोबिया (Cowpea) के बीज चार दिन के भीतर अंकुरित हो गए हैं। यह अंतरिक्ष में इसरो का पहला जैविक प्रयोग है। यह CROPS (कॉम्पैक्ट रीसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज) का हिस्सा है।
क्रॉप्स (CROPS) एक्सपेरिमेंट के बारे में
- यह एक स्वचालित प्लेटफॉर्म है, जिसे अंतरिक्ष के सूक्ष्मगुरुत्व (Microgravity) बातावरण में पौधों के जीवन को विकसित और बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र द्वारा विकसित किया गया है।
- यह उपलब्धि न केवल अंतरिक्ष में पौधे उगाने की इसरो की क्षमता को प्रदर्शित करती है, बल्कि भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है।
जैविक मत्स्य पालन
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मेलालय ने सिक्किम के सोरेग जिले में भारत के प्रथम जैविक मत्स्यपालन क्लस्टर का शुभारंभ किया।
- इसका उद्देश्य प्रधान मंत्नी मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत सिक्किम में जैविक मस्य पालन और जलीय कृषि का विकास करना है।
- PMMSY का उद्देश्य भारत में मत्स्य पालन क्षेनक का संधारणीय विकास सुनिश्चित करके नीली क्रांति को संभव बनाना है।
- PMMSY के तहत मत्स्य पालन क्षेत्रक की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, इकोनॉमी ऑफ स्केल को सुगम बनाने और उच्चतर आय सुनिश्चित करने के लिए क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण को अपनाने पर बल दिया जा रहा है।
- जैविक मत्स्य पालन के तहत हानिकारक रसायनों, एंटीबायोटिक्स और कीटनाशकों का उपयोग करने की बजाय पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ मलय पालन प्रणाली को अपनाया जाता है।
संत नरहरि तीर्थ
विशाखापत्तनम के सिंहाचलम मंदिर में संत नरहरि तीर्थ की मूर्ति मिली है।
संत नरहरि तीर्थ के बारे में
- संत नरहरि तीर्थ 13वीं शताब्दी के प्रसिद्ध द्वैत वेदांत दार्शनिक, विद्वान और संत थे।
- ऐसी मान्यता है कि उनका जग्म चिकाकोत्लु नगर (वर्तमान श्रीकाकुलम, आध्र प्रदेश) में हुआ था।
- वे मध्वाचार्य के शिष्य थे, जो द्वैत वेदांत दर्शन के प्रवर्तक थे।
- उन्होंने यक्षगान और वयालु आटा (खुले रंगमंच का नाटक) को वैष्णव भक्ति आंदोलन का हिस्सा बनाया था।
- तुंगभद्रा नदी के तट पर हम्पी में चक्रतीर्थ के निकट शिला के पास उनकी प्रतिष्ठा की स्थापना गई थी।
विदेशी नागरिकों की आवाजाही पर प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी विदेशी नागरिक पर आपराधिक आरोप हैं और उसकी उपस्थिति अनिवार्य है, तो उसे भारत छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 केंद्र सरकार की ‘भारत में विदेशियों के आने, जाने और मौजूदगी को विनियमित करने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार के पास विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी, नजरबंदी या कारावास के आदेश जारी करने की भी शक्ति है।
- विदेशियों के लिए आदेश (Foreigners Order), 1948 के तहत सिविल प्राधिकारियों की नियुक्ति और भारत से विदेशियों के जाने को विनियमित करने जैसे प्रावधानों की रूपरेखा शामिल है।
- यह आदेश स्पष्ट करता है कि यदि किसी आपराधिक आरोप में विदेशी नागरिक की उपस्थिति अनिवार्य है, तो उसे भारत से जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी या बिना अनुमति के वह भारत से नहीं जा सकेगा।
सभी के लिए किफायती LED द्वारा उन्नत ज्योति (उजाला / UJALA)
विद्युत मंत्रालय द्वारा शुरु की गई उजाला योजना के 10 वर्ष पूरे हुए। इसका नाम पहले घरेलू दक्ष प्रकाश कार्यक्रम (DELP) था।
- उद्देश्यः घरों में किफायती ऊर्जा दक्ष LED बल्ब, ट्यूबलाइट और पेले उपलब्ध कराकर आवासीय स्तर पर ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना।
- कार्यान्वयनः विद्युत र्मलालय के अधीन डिस्कॉम और ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (EESL)।
- यह विश्व का सबसे बड़ा शून्य-सब्सिडी घरेलू प्रकाश कार्यक्रम है।
- मुख्य परिणामः
- प्रति वर्ष लागत बचतः 19.153 करोड़ रुपये।
- •CO2 उत्सर्जन में कमी: लगभग 3.87 करोड़ टन।
- प्रति वर्ष ऊर्जा बचतः 47,883 मिलियन kWh.
सेलेक्टिव साइलेंसिंग
कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने रोग के परिणामों पर सेलेक्टिव साइलेसिंग के प्रभाव का खुलासा किया।
अध्ययन के बारे में
- शरीर की प्रत्येक कोशिका (शुक्राणु और अंडाणु को छोड़कर) में प्रत्येक जीन की दो प्रतियां होती है। एक प्रति माता और दूसरी प्रति पिता से प्राप्त होती है।
- हालांकि, कुछ कोशिकाएं कभी-कभी माता-पिता में से केवल एक की जीन प्रति को सक्रिय रहती है और दूसरी को निष्क्रिय (साइलेस) कर देती हैं। इसे ही सेलेक्टिव साइलेसिंग कहा जाता है। यहां ‘साइलेंसिंग’ का अर्थ है किसी विशिष्ट जीन के संदेश को अवरुद्ध करना।
- अध्ययन में इस बात की संभावना जताई गई है कि यह सेलेक्टिव साइलेंसिंग ही है जिसके कारण रोगों से जुड़े जीन वाले कुछ व्यक्ति उन रोगों के लक्षणों को प्रदर्शित नहीं करते हैं।