Daily Current News Analysis (6 March 2025)

  • 1. सिटीज़ कोएलिशन फॉर सर्कुलरिटी (C-3)
  • 2.🌕 ब्लू घोस्ट मिशन 1: चंद्रमा पर सफल लैंडिंग! 🚀
  • 3.बेल्जियम की राजकुमारी एस्ट्रिड की भारत यात्रा
  • 4. वंतारा का उद्घाटन
  • 1. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिव्यांगता अधिकारों को मूल अधिकार माना जाना
  • 2.🌍 12वाँ रीजनल 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम
  • 3. ⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अधिकरणों को मजबूत करने पर बल दिया
  • 4. 🚀 भारत में अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर खर्च दोगुना हुआ
  • 5.🌍 अंटार्कटिक सरकम्पोलर करंट (ACC) मंद हो रहा है
  • 6.🔎 भारत की तांबे की आपूर्ति सुनिश्चित करने की रणनीति
  • 7.📊 रोजगार में वृद्धि, लेकिन वेतन स्थिर

 

3 मार्च 2025 को, भारत ने ‘सिटीज़ कोएलिशन फॉर सर्कुलरिटी (C-3)’ नामक एक बहुराष्ट्रीय गठबंधन का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य शहर-दर-शहर सहयोग, ज्ञान साझा करने और निजी क्षेत्र के साझेदारी के माध्यम से स्थायी शहरी विकास को बढ़ावा देना है।

  • गठबंधन का उद्देश्य: यह गठबंधन नीति निर्माताओं, उद्योग नेताओं, शोधकर्ताओं और विकास साझेदारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा, जहाँ वे अपशिष्ट प्रबंधन और संसाधन दक्षता के लिए स्थायी समाधानों पर चर्चा और कार्यान्वयन कर सकेंगे।
  • कार्यशाला और समझौता: इस कार्यक्रम में CITIIS 2.0 के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस पहल के तहत 1,800 करोड़ रुपये के समझौते 14 राज्यों के 18 शहरों को लाभान्वित होंगे ।
  • क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर अर्थव्यवस्था मंच: यह मंच 2009 में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन, संसाधन दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देना है।
  • हनोई 3R घोषणा : हनोई 3R घोषणा (2013-2023) एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी, जिसमें अधिक संसाधन-कुशल और सर्कुलर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए 33 स्वैच्छिक लक्ष्य निर्धारित किए गए थे।
  • पर्यावरणीय चुनौतियाँ: तेजी से आर्थिक विकास, संसाधनों की कमी और बढ़ते अपशिष्ट उत्पादन ने पर्यावरणीय चुनौतियों को बढ़ा दिया है, जिसके लिए यह मंच नीति संवाद और क्षमता निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।

🛰️ क्या है ब्लू घोस्ट मिशन 1?

🔹 अमेरिकी कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस द्वारा संचालित चंद्र मिशन
🔹 चाँद पर उतरने वाला पहला निजी अमेरिकी मिशन और निजी क्षेत्र का दूसरा प्रयास
🔹 मिशन का उपनाम “Ghost Riders in the Sky” रखा गया।

📅 लॉन्च: जनवरी 2025
🚀 रॉकेट: स्पेसएक्स फाल्कन 9
📍 लैंडिंग साइट: चंद्रमा के उत्तर-पूर्व में मॉन्स लैट्रेइल ज्वालामुखी संरचना
🛸 लैंडर का नाम: गोल्डन


🔗 नासा और उद्योग सहयोग

मिशन का उद्देश्य:
📌 आर्टेमिस कार्यक्रम का समर्थन, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को चाँद पर भेजने की योजना है।
📌 निजी कंपनियों के सहयोग से लागत में कमी


🚀 आगामी चंद्र मिशन

🔹 IM-2 मिशन (मार्च 2025)
📌 इंट्यूटिव मशीन्स का मिशन, जिसमें लैंडर एथेना शामिल होगा।

🔹 IM-1 मिशन (फरवरी 2024)
📌 इंट्यूटिव मशीन्स पहली निजी कंपनी बनी, जिसने सॉफ्ट लैंडिंग की।
📌 अपोलो 17 (1972) के बाद पहली अमेरिकी लैंडिंग।

🔹 नासा का CLPS कार्यक्रम
📌 (Commercial Lunar Payload Services – CLPS)
📌 निजी कंपनियों के सहयोग से नियमित चंद्र मिशन संचालित करना।


🔭 ब्लू घोस्ट मिशन का महत्व

🌍 चंद्रमा पर निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी।
🛰️ आर्टेमिस कार्यक्रम को गति देना।
🚀 स्पेसएक्स, फायरफ्लाई एयरोस्पेस और अन्य निजी कंपनियों का बढ़ता योगदान।

♻️ निजी क्षेत्र की भागीदारी से अंतरिक्ष अन्वेषण का नया युग!” 🌌

5 मार्च, 2025 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बेल्जियम की राजकुमारी एस्ट्रिड से मुलाकात की, जो 1-8 मार्च, 2025 तक भारत में एक बेल्जियम आर्थिक मिशन का नेतृत्व कर रही हैं।

  • प्रतिनिधिमंडल का आकार: राजकुमारी एस्ट्रिड 300 से अधिक सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं, जिसमें व्यापार नेता और सरकारी अधिकारी शामिल हैं।
  • चर्चा के क्षेत्र: चर्चा में व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, रक्षा, नवाचार, स्वच्छ ऊर्जा और कृषि शामिल थे।
  • दूसरा आर्थिक मिशन: यह राजकुमारी एस्ट्रिड का भारत का दूसरा आर्थिक मिशन है।
  • रक्षा सहयोग: मिशन बेल्जियम और भारत के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने का पता लगाएगा।

4 मार्च 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के जामनगर में ‘वंतर’ नामक वन्यजीव संरक्षण, बचाव और पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन किया। यह केंद्र रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा स्थापित किया गया है।

  • वन्यजीवों की देखभाल: वंतर में 2,000 से अधिक प्रजातियों के जानवरों का संरक्षण किया जा रहा है, जिसमें 1.5 लाख से अधिक बचाए गए, संकटग्रस्त और endangered जानवर शामिल हैं।
  • केंद्र का आकार: यह परियोजना 3,500 एकड़ में फैली हुई है और इसमें “दुनिया का सबसे बड़ा चीता संरक्षण परियोजना” शामिल है।
  • पुरस्कार : वंतर को हाल ही में ‘प्राणी मित्र राष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है, जो भारत में पशु कल्याण का सर्वोच्च सम्मान है।
  • भविष्य की योजनाएँ: अनंत अंबानी ने कहा कि वंतर न केवल स्थानीय जानवरों की मदद कर रहा है बल्कि अन्य देशों के साथ भी सहयोग कर रहा है ताकि अधिक जानवरों को बचाया जा सके।

-:News एनालिसिस:-

🏛️ चर्चा में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दृष्टिबाधित उम्मीदवार न्यायिक सेवा परीक्षाओं में भाग ले सकते हैं। RPwD अधिनियम, 2016 के तहत दिव्यांगता आधारित भेदभाव को मौलिक अधिकार माना जाना चाहिए। यह निर्णय समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

🔹 भेदभाव की समाप्ति: मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम, 1994 और राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 को RPwD अधिनियम के अनुरूप संशोधित करने का निर्देश।
🔹 समानता का अधिकार: दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को बाहर करना अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध) का उल्लंघन।
🔹 सकारात्मक कार्रवाई: दिव्यांगजनों को रोजगार में समान अवसर देने के लिए राज्य सरकारों को “अधिकार-आधारित दृष्टिकोण” अपनाने का निर्देश।
🔹 विशेष सुविधाएँ: दिव्यांग उम्मीदवारों को परीक्षा में उचित सुविधाएँ और छूट दी जाए, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र दिव्यांगजन अधिकार संधि (UNCRPD) और RPwD अधिनियम, 2016 द्वारा अनिवार्य किया गया है।
🔹 आरक्षण में लचीलापन: दिव्यांगजनों की पर्याप्त संख्या न होने पर, अनुसूचित जाति/जनजाति की तरह पात्रता मानदंडों में छूट की अनुमति दी जाए।


🔍 महत्वपूर्ण न्यायिक मिसालें

📌 सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन (2009): मानसिक रूप से मंद महिला के प्रजनन अधिकारों को सुरक्षित किया गया।
📌 भारत सरकार बनाम रवि प्रकाश गुप्ता (2010): दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को नौकरी में आरक्षण से वंचित करने पर रोक।
📌 भारत संघ बनाम राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ (2013): 3% आरक्षण केवल चिन्हित पदों पर ही नहीं, बल्कि कुल रिक्तियों पर लागू होगा।
📌 डीफ कर्मचारी कल्याण संघ बनाम भारत संघ (2013): श्रवण बाधित कर्मचारियों के लिए समान परिवहन भत्ते की व्यवस्था।
📌 ओम राठौड़ बनाम स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (2024): दिव्यांगजनों की क्षमताओं का मूल्यांकन कठोर पात्रता मानदंडों से अधिक महत्वपूर्ण।


📊 भारत में दिव्यांगजनों की स्थिति

📌 जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 2.21% (2.68 करोड़) लोग दिव्यांग हैं।
📌 RPwD अधिनियम, 2016: दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित, मूक-बधिर, बौद्धिक नि:शक्तता, मानसिक मंदता, बौनापन सहित 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता।
📌 संवैधानिक प्रावधान:

  • मौलिक अधिकार: अनुच्छेद 14 (समानता), अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार)।
  • DPSP: अनुच्छेद 41 – सरकार बेरोज़गारी, वृद्धावस्था, बीमारी और दिव्यांगता के मामलों में सहायता प्रदान करेगी।
  • पंचायती राज और शहरी निकाय: 11वीं और 12वीं अनुसूचियों में दिव्यांगजनों की सामाजिक सुरक्षा पर ज़ोर।

🚧 दिव्यांगजनों के समक्ष चुनौतियाँ

⚠️ सामाजिक बाधाएँ: समाज में दिव्यांगजनों को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच में कठिनाइयाँ।
⚠️ परिवहन कठिनाइयाँ: सार्वजनिक परिवहन सुविधाएँ दिव्यांगजनों के अनुकूल नहीं हैं।
⚠️ संचार बाधाएँ: श्रवण और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए सहायक संचार उपकरणों की कमी।
⚠️ नीतिगत बाधाएँ: सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन और आवश्यक उपकरणों की अनुपलब्धता।
⚠️ गाँवों में अधिक चुनौतियाँ: 69% दिव्यांगजन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है।
⚠️ दिव्यांग महिलाओं को दोहरा भेदभाव: लिंग और दिव्यांगता के कारण शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच।


सरकार द्वारा दिव्यांगजनों के लिए प्रमुख पहलें

PM-DAKSH: दिव्यांगजनों के लिए कौशल विकास और पुनर्वास योजना।
सुगम्य भारत अभियान: सरकारी भवनों, सार्वजनिक स्थानों और परिवहन को दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल बनाना।
दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना: दिव्यांगजनों के लिए सहायक उपकरणों की उपलब्धता।
राष्ट्रीय फैलोशिप: दिव्यांग छात्रों को उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता।
दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सहायक उपकरण योजना: व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र, ब्रेल किट आदि उपलब्ध कराना।


🛤️ आगे की राह – दिव्यांगजनों के लिए एक समावेशी समाज की ओर

🚀 नीतियों को प्रभावी बनाना: दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए ठोस रणनीति लागू होनी चाहिए।
🚀 सहायक उपकरणों की व्यापक उपलब्धता: व्हीलचेयर, ब्रेल डिस्प्ले, श्रवण यंत्र, वॉइस-टू-टेक्स्ट टेक्नोलॉजी आदि का विस्तार।
🚀 तकनीकी समाधान:

  • जापान के डॉन कैफे की तर्ज पर दिव्यांगजनों को रोबोटिक्स और AI तकनीक के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
  • ऑनलाइन शिक्षा और रिमोट जॉब्स के माध्यम से दिव्यांगजनों की आत्मनिर्भरता बढ़ाना।
    🚀 सार्वजनिक जागरूकता: समाज में दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाएँ।
    🚀 सुलभ परिवहन प्रणाली: मेट्रो, बसों, रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थलों को दिव्यांग-अनुकूल बनाया जाए।
    🚀 शिक्षा प्रणाली में सुधार: स्कूलों और कॉलेजों में दिव्यांग-अनुकूल सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँ।

🔥 निष्कर्ष

यह फैसला दिव्यांगजनों के लिए न्यायिक सेवाओं के दरवाजे खोलता है और समानता के अधिकार को और मजबूत करता है। अब ज़रूरत है कि सरकार और समाज मिलकर इसे ज़मीनी स्तर पर लागू करें ताकि दिव्यांगजन आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकें।

सच्ची समानता तभी होगी जब हर व्यक्ति, चाहे वह दिव्यांग हो या नहीं, समान अवसरों का हकदार बने!” 💪


🏛️ चर्चा में क्यों?

भारत (जयपुर, राजस्थान) ने 12वें रीजनल 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की मेजबानी की, जिसमें धारणीय अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।

📌 सर्कुलर इकोनॉमी का लक्ष्य पुन: प्रयोज्य, पुनर्चक्रणीय उत्पादों को अपनाना है, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके।


🔄 3R फोरम की मुख्य बातें

🔹 परिचय:
📌 3R (रिड्यूस, रीयूज़, रीसाइकिल) और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला क्षेत्रीय मंच।
📌 नीति निर्माताओं, उद्योग जगत, शोधकर्ताओं और साझेदारों को एक साथ लाने की पहल।

🔹 इतिहास:
📌 2009 में 3R सिद्धांतों और संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने के लिए शुरू हुआ।
📌 हनोई 3R घोषणा (2013-2023) के तहत 33 स्वैच्छिक लक्ष्य निर्धारित किए गए।

🔹 विषय:
📌 सतत विकास लक्ष्य (SDGs) और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने हेतु सर्कुलर सोसायटी का निर्माण।

🔹 उद्देश्य:
“3R और सर्कुलर इकोनॉमी घोषणा (2025-2034)” पर चर्चा।
शून्य अपशिष्ट शहरों और समाजों के निर्माण की दिशा में सर्कुलर इकोनॉमी अलायंस नेटवर्क (CEAN) का विकास।
नेट-ज़ीरो लक्ष्य और सतत विकास नीतियों पर विचार-विमर्श।


📢 प्रमुख घोषणाएँ

🔹 🌿 P-3 (प्रो प्लैनेट पीपुल) दृष्टिकोण
📌 प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तावित – धारणीय जीवन शैली और पर्यावरण अनुकूल व्यवहार को अपनाने की अपील।

🔹 🏙️ C-3 (सिटीज़ कोएलिशन फॉर सर्कुलरिटी)
📌 वैश्विक गठबंधन जो शहरी सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और निजी क्षेत्र की साझेदारी को बढ़ावा देता है।

🔹 🏗सिटीज़ 2.0 पहल
📌 नवाचार, एकीकरण और स्थिरता के लिए शहरी क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा।
📌 एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन और जलवायु कार्रवाई पर विशेष ध्यान।


🇮🇳 भारत में 3R नीतियों और सर्कुलर इकोनॉमी का नेतृत्व

🚮 स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (SBM-U)
📌 108.62% घरेलू शौचालय निर्माण का लक्ष्य प्राप्त।
📌 80.29% ठोस अपशिष्ट का सफल प्रसंस्करण

गोबर-धन योजना
📌 1,008 बायोगैस संयंत्र कार्यरत, 67.8% भारतीय ज़िलों को कवर किया गया।

🔌 ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022
📌 2024-25 में 5,82,769 मीट्रिक टन ई-कचरा एकत्रित किया गया, जिसमें से 5,18,240 मीट्रिक टन पुनर्चक्रण हुआ।

🚫 प्लास्टिक के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR)
📌 1 जुलाई 2022 से एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध


🛤️ आगे की राह – एक स्थायी भविष्य की ओर

🚀 सर्कुलर अर्थव्यवस्था नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करना।
🚀 शहरी और ग्रामीण स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार।
🚀 सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना।
🚀 स्थानीय स्तर पर नवाचार और तकनीक का उपयोग।

♻️ सर्कुलर इकोनॉमी – भविष्य की कुंजी!” 🌱

📰 पृष्ठभूमि:
सुप्रीम कोर्ट अधिकरण सुधार अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने अधिकरणों से जुड़े प्रमुख मुद्दों, जैसे- कर्मचारियों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों पर जोर दिया।


🔍 अधिकरण क्या हैं?

  • 📜 परिभाषा: अधिकरण अर्ध-न्यायिक (Quasi-judicial) निकाय होते हैं, जो विशिष्ट विवादों का निपटारा करते हैं।
  • संवैधानिक मान्यता: 42वें संविधान संशोधन (1976) के तहत भाग XIV-A जोड़ा गया, जिसमें दो अनुच्छेद शामिल हैं:
    • 📌 अनुच्छेद 323-A: लोक सेवकों की सेवा शर्तों से जुड़े मामलों के लिए प्रशासनिक अधिकरण बनाने की अनुमति।
    • 📌 अनुच्छेद 323-B: कराधान, भूमि सुधार आदि विषयों पर अधिकरण गठित करने का प्रावधान।

अधिकरणों से जुड़े मुख्य मुद्दे

  • 🏛न्यायिक स्वतंत्रता की कमी: कार्यपालिका का अत्यधिक प्रभाव, चयन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी।
  • मामलों का लंबित रहना: उदाहरण के लिए, 2021 तक औद्योगिक अधिकरणों में 7,312 और सशस्त्र बल अधिकरण में 18,829 मामले लंबित थे।
  • 🏢 अवसंरचनात्मक समस्याएँ: कर्मचारियों की कमी, रिक्त पद, खराब सेवा शर्तें आदि।
  • क्षेत्राधिकार का अतिव्यापन: नियमित न्यायालयों के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप से भ्रम और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है।

🚀 आगे की राह

  • न्यायिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना: चयन समितियों में न्यायपालिका का प्रभुत्व सुनिश्चित करना।
  • 🏛राष्ट्रीय अधिकरण आयोग (NTC) का गठन: सभी अधिकरणों का प्रशासनिक प्रबंधन करने के लिए स्वतंत्र निकाय बनाना।
  • 👨💼 समय पर नियुक्तियाँ: सरकारी अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति के आधार पर अधिकरणों के कर्मचारियों की नियुक्ति करना।

🔹 निष्कर्ष: अधिकरणों की स्वायत्तता, प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित कर न्यायिक तंत्र को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। ✅

📊 अनुसंधान एवं विकास में भारत की स्थिति

  • 💰 सकल व्यय (GERD): 2010-11 में ₹60,196.75 करोड़ था, जो 2020-21 में बढ़कर ₹1,27,380.96 करोड़ हो गया।
  • 🏛सरकारी क्षेत्र का योगदान:
    • केंद्र सरकार – 43.7%
    • राज्य सरकारें – 6.7%
    • उच्च शिक्षा – 8.8%
    • सार्वजनिक क्षेत्रीय उद्योग – 4.4%
  • 👩🔬 महिलाओं की भागीदारी: 2000-01 में 13% थी, जो 2019-20 में 25% हो गई।

🔬 भारत में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए पहल

  • 🧪 नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF): अनुसंधान और नवाचार को गति देने के लिए ANRF अधिनियम, 2023 के तहत गठित।
  • 🌍 वैश्विक नवाचार और IP रैंकिंग:
    • वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024: भारत 39वें स्थान पर।
    • वैश्विक बौद्धिक संपदा (IP) फाइलिंग: भारत 6वें स्थान पर।
  • 🤖 राष्ट्रीय AI मिशन: AI अनुसंधान और अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए।

अनुसंधान एवं विकास की चुनौतियाँ

  • 📉 GDP के अनुपात में कम खर्च: 2020-21 में 0.64%, जबकि विकसित देशों में 2%+
  • 🏢 निजी क्षेत्र का सीमित योगदान: 2020-21 में 36.4% (जबकि अन्य उन्नत देशों में 50%+)।
  • 🛫 ब्रेन ड्रेन: बेहतर अवसरों के कारण शोधकर्ताओं का विदेश जाना।
  • 🏭 उद्योग-अकादमिक सहयोग की कमी।
  • 🏗अत्याधुनिक अवसंरचना का अभाव।

🏢 R&D को बढ़ावा देने वाले प्रमुख संस्थान

  • 🔬 DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन)।
  • 🧫 BIRAC (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद्)।
  • 📡 SERB (विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड)।

👩🎓 महिलाओं के लिए अनुसंधान कार्यक्रम

  • WISE (वुमन इन साइंस एंड इंजीनियरिंग) PhD
  • WISE-पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप (WISE-PDF)
  • 🚀 अटल इनोवेशन मिशन।

📌 निष्कर्ष: भारत में R&D का बजट बढ़ा है, लेकिन निजी निवेश और अवसंरचना सुधार की आवश्यकता है। 🏆

📉 हालिया अध्ययन:
वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि कार्बन उत्सर्जन उच्च स्तर पर बना रहा, तो 2050 तक ACC की गति 20% तक धीमी हो सकती है।


🔄 अंटार्कटिक सरकम्पोलर करंट (ACC) क्या है?

  • 🌊 सबसे बड़ी और सबसे तेज़ पवन-चालित महासागरीय धारा।
  • 🌀 दक्षिणावर्त (Clockwise) दिशा में अंटार्कटिका के चारों ओर बहती है।
  • 🌏 एकमात्र महासागरीय धारा, जो अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरों को जोड़ती है।
  • 💨 प्रबल पछुआ पवनों (Westerly Winds) द्वारा संचालित होती है।

🔬 अंटार्कटिक सरकम्पोलर करंट का महत्त्व

  • शीत धारा: गर्म जल को अंटार्कटिका तक पहुंचने से रोकती है।
  • 🌡जलवायु संतुलन: वायुमंडल से ऊष्मा और कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने में मदद करती है।
  • 🦐 जैव विविधता संरक्षण: आक्रामक प्रजातियों (जैसे झींगा, मोलस्क) को अंटार्कटिका पहुंचने से रोकती है।

⚠️ ACC की गति कम होने के कारण

  • 🧊 महासागर की लवणता में परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे अंटार्कटिक बॉटम वाटर (AABW) कमजोर हो रहा है।
  • 💨 पवन की दिशा और वेग में बदलाव: जलवायु परिवर्तन से पछुआ पवनों की दिशा और गति प्रभावित हो सकती है
  • 🔄 पॉजिटिव फीडबैक लूप:
    • समुद्री बर्फ कम होने से महासागर अधिक सूर्य प्रकाश अवशोषित करेगा।
    • इससे महासागर का तापमान बढ़ेगा और अधिक ताजा जल महासागरों में प्रवाहित होगा।
    • नतीजतन, ACC और अधिक कमजोर हो सकता है।

🌪️ ACC के कमजोर होने के संभावित प्रभाव

  • 🌦चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि: जलवायु में अत्यधिक अस्थिरता आ सकती है।
  • 🌍 ग्लोबल वार्मिंग में तेजी: महासागर की कार्बन अवशोषण क्षमता घट जाएगी
  • 🐠 जैव विविधता पर खतरा: अन्य महाद्वीपों से आक्रामक प्रजातियाँ अंटार्कटिका तक पहुंच सकती हैं
  • 🌊 महासागरीय धाराओं का असंतुलन: AABW के कमजोर होने से वैश्विक महासागरीय परिसंचरण प्रभावित होगा।

📌 निष्कर्ष: ACC का धीमा होना वैश्विक जलवायु संतुलन के लिए एक गंभीर चुनौती है। 🌎🚨

📍 हाल की पहल:
➡️ भारत ने जाम्बिया में 9,000 वर्ग किलोमीटर का तांबा ब्लॉक हासिल किया है।
➡️ यह पहल बढ़ती तांबा मांग को पूरा करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए की गई है।


भारत में तांबा: एक महत्वपूर्ण खनिज

  • 🛠उद्योगों में प्रमुख उपयोग:
    • उच्च तन्यता, आघातवर्धनीयता, तापीय और विद्युत चालकता, और संक्षारण प्रतिरोध के कारण तांबा एक आवश्यक धातु है।
  • 🌎 वैश्विक दृष्टिकोण:
    • चीन और अमेरिका जैसे देश अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में प्रमुख खदानों पर नियंत्रण बढ़ा रहे हैं
  • 📈 भारत में बढ़ती मांग:
    • 2035 तक तांबे की मांग, आपूर्ति से अधिक हो सकती है।
    • 2019-2024 के बीच भारत का तांबा आयात ₹26,000 करोड़ तक दोगुना हो गया।

📉 भारत में तांबे का उत्पादन और कमी

  • 2023-24 में उत्पादन:
    • भारत में 3.78 मिलियन टन तांबे का उत्पादन हुआ, जो 2018-19 की तुलना में 8% कम है।
  • कम गुणवत्ता वाले भंडार:
    • भारत में 164 मिलियन टन तांबे के भंडार हैं, लेकिन वे अधिकतर निम्न श्रेणी के हैं

📌 प्रमुख तांबा उत्पादक राज्य:
🔹 राजस्थान (52%) | 🔹 मध्य प्रदेश (23%) | 🔹 झारखंड (15%)

📌 मुख्य तांबा खदानें:
🏭 सिंहभूम कॉपर बेल्ट (बिहार) | 🏭 खेतड़ी कॉपर बेल्ट (राजस्थान) | 🏭 बालाघाट (मध्य प्रदेश)


🔗 तांबे के उपयोग क्षेत्र

🔋 ऊर्जा: बैटरी, नवीकरणीय ऊर्जा (सोलर, विंड)
इलेक्ट्रॉनिक्स: तार, सर्किट बोर्ड, ट्रांसफार्मर
🏗️ अवसंरचना: पाइप्स, कंटेनर, टंकण
🚗 परिवहन: ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन
🏥 चिकित्सा: रोगाणुरोधी उपकरण, कीटाणुनाशक


🌍 विश्व में तांबे के प्रमुख उत्पादक देश (2024)

🥇 चिली
🥈 डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC)
🥉 पेरू

📌 निष्कर्ष: भारत अपनी तांबा जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों में भंडारों की खोज कर रहा है। जाम्बिया में नया निवेश आयात निर्भरता कम करने और उद्योगों को बढ़ावा देने में सहायक होगा। 🏗️⚡🌍

🔹 भारत में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, लेकिन वेतन वृद्धि महंगाई के अनुरूप नहीं हो रही है। यह आर्थिक असंतुलन श्रमिकों की क्रय शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।


📈 रोजगार में वृद्धि के संकेत

📌 आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2023-24
रोजगार दर में सुधार2017-18 में 34.7% से बढ़कर 2023-24 में 43.7%
अस्थायी श्रमिकों की मजदूरी बढ़ी, लेकिन नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों का वेतन मुद्रास्फीति के कारण स्थिर

📌 आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24
कॉर्पोरेट लाभ 15 वर्षों में सर्वाधिक – FY 2024 में 22.3% वृद्धि
रोजगार में वृद्धि मात्र 1.5%
IT सेक्टर और एंट्री-लेवल नौकरियों में वेतन वृद्धि बेहद धीमी


⚠️ वेतन वृद्धि में ठहराव से उत्पन्न चिंताएँ

🔻 आर्थिक मंदी का खतरा: स्थिर वेतन वृद्धि के कारण उपभोक्ता खर्च घट सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो सकती है।
🔻 आय असमानता: बड़ी कंपनियों का लाभ बढ़ रहा है, लेकिन वेतन में बढ़ोतरी नहीं होने से आय असमानता गहरी हो सकती है


🏛️ क्या किया जाना चाहिए?

📌 वेतन वृद्धि और लाभ के बीच संतुलन:
✅ कंपनियों को श्रमिकों की आय बढ़ाने पर जोर देना चाहिए ताकि उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहन मिले
उद्योगों और सरकार को मिलकर नीति बनानी होगी, जिससे वेतन वृद्धि को मुद्रास्फीति के अनुरूप किया जा सके

📌 दीर्घकालिक समाधान:
🔹 श्रम बाजार सुधारों के जरिए कौशल वृद्धि और रोजगार गुणवत्ता में सुधार
🔹 MSME सेक्टर को मजबूत बनाकर बेहतर वेतन वाले रोजगार सृजित करना।
🔹 वेतन-आधारित कर प्रोत्साहन (Tax Incentives) से कंपनियों को कर्मचारियों की आय बढ़ाने के लिए प्रेरित करना।


📌 निष्कर्ष

रोजगार में वृद्धि सकारात्मक संकेत है, लेकिन स्थिर वेतन वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन सकती है
आर्थिक वृद्धि को सतत बनाए रखने के लिए वेतन और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन आवश्यक है
नीतिगत हस्तक्षेप से आय वितरण में संतुलन लाकर समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। 🚀

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