विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) की अलग जनगणना की मांग

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) की अलग जनगणना की मांग

भारत की विविध जनजातीय आबादी में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) सबसे अधिक हाशिए पर और संवेदनशील वर्ग माने जाते हैं। हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इन समुदायों की अलग जनगणना (separate enumeration) की मांग की है, ताकि इनके वास्तविक हालात और आवश्यकताओं का सही आकलन किया जा सके।


📌 अलग जनगणना की आवश्यकता क्यों?

  1. अधूरी और गलत रिकॉर्डिंग:

    • 2011 की जनगणना में 75 PVTGs में से केवल लगभग 40 समूहों को ही अनुसूचित जनजातियों (STs) की सूची में दर्ज किया गया था।

    • कई समूह, जो बड़ी जनजातियों के उप-समुदाय हैं, उन्हें अलग से नहीं पहचाना गया।

  2. लक्षित नीतियों की ज़रूरत:

    • PVTGs की सटीक पहचान और गणना से उनके लिए लक्षित और आवश्यकता-आधारित योजनाएँ बनाई जा सकेंगी।

    • उदाहरण: प्रधानमंत्री जनमन (PM-JANMAN) कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से PVTGs के विकास को गति देना है।

  3. ऐतिहासिक उपेक्षा:

    • दशकों से ये समूह सरकारी आँकड़ों और योजनाओं में पीछे रह गए हैं।

    • इनके लिए एक अलग डेटा सेट भविष्य की समावेशी विकास नीतियों की नींव बनेगा।


🏹 PVTGs कौन हैं?

  • PVTGs भारत की जनजातीय आबादी में सबसे कमजोर, हाशिए पर और वंचित समुदाय हैं।

  • इनकी पहचान सबसे पहले 1960 के दशक में ढेबर आयोग द्वारा की गई थी।

  • वर्तमान में, भारत में कुल 75 PVTGs हैं, जो 18 राज्यों और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में निवास करते हैं।


⚖️ PVTGs की पहचान के मानदंड

भारत सरकार इन समूहों को PVTG मानने के लिए निम्नलिखित विशेषताओं पर ध्यान देती है:

  1. कृषि-पूर्व प्रौद्योगिकी स्तर (Pre-agricultural level of technology)

  2. निम्न साक्षरता दर (Low literacy)

  3. आर्थिक पिछड़ापन (Economic backwardness)

  4. स्थिर या घटती जनसंख्या (Declining or stagnant population)

इन मानदंडों के कारण यह वर्ग भारत की सबसे संवेदनशील जनजातीय श्रेणी में रखा गया है।


🌍 PVTGs का भौगोलिक वितरण

  • छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में इनकी बड़ी संख्या रहती है।

  • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के ग्रेट अंडमानीज, ओंगे, सेंटीनेलीज जैसे समूह भी इसमें शामिल हैं।


🚩 चुनौतियाँ

  • शिक्षा और स्वास्थ्य तक सीमित पहुँच

  • पोषण और खाद्य असुरक्षा

  • भूमि और संसाधनों पर निर्भरता लेकिन कम अधिकार

  • सांस्कृतिक पहचान का क्षरण

  • तेजी से घटती जनसंख्या


✨ निष्कर्ष

PVTGs भारत के सबसे संवेदनशील और उपेक्षित जनजातीय समूह हैं। इनके लिए अलग जनगणना करना सिर्फ आँकड़े जुटाने की कवायद नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक न्याय का कदम है।

👉 इससे सरकार को इनके लिए बेहतर योजनाएँ, वित्तीय सहायता और संरक्षण नीतियाँ बनाने में मदद मिलेगी।
👉 2027 की जनगणना में यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह भारत के समावेशी विकास और जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा।