कच्छ क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता की खोज

  1. कच्छ क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता की खोज (Discovery of Harappan Civilization in Kutch Region)
  • आईआईटी गांधीनगर (IITGN) के नेतृत्व में एक शोध दल ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता से 5,000 वर्ष पूर्व के मानव बस्तियों के साक्ष्य खोजे हैं।
  • यह अध्ययन पत्थर के औजार, शैल मिडेंस (सीप-ढेर) और मिट्टी के नमूनों पर आधारित है, जो इस क्षेत्र में मैंग्रोव-आधारित शिकारी-संग्रहकर्ता समुदायों के अस्तित्व को प्रमाणित करते हैं।
  • सांस्कृतिक निरंतरता:
    • कच्छ में मानव बस्तियाँ हड़प्पा काल से पहले (लगभग 8,000-10,000 वर्ष पूर्व) विकसित हुईं।
    • ये समुदाय मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर थे और सीप-संग्रहण से जीवनयापन करते थे।
  • तकनीकी कौशल:
    • पत्थर के औजार (काटने, खुरचने वाले) और कोर टूल्स की खोज से पता चलता है कि ये समुदाय उपकरण निर्माण में निपुण थे।
    • औजारों के लिए कच्चा माल खादिर द्वीप (धोलावीरा के निकट) से प्राप्त होता था।
  • जलवायु अनुकूलन:
    • शैल मिडेंस से प्राचीन जलवायु परिस्थितियों के बारे में जानकारी मिलती है।
    • शोधकर्ताओं का मानना है कि इन समुदायों ने जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन विकसित किया था।
  • ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व:
    • अध्ययन से पता चलता है कि कच्छ का शहरीकरण सिंधु घाटी सभ्यता के बाहरी प्रभाव के बजाय स्थानीय अनुकूलन का परिणाम था।
    • ये निष्कर्ष पाकिस्तान के लास बेला और ओमान के मकरान तट पर मिले पुरातात्विक स्थलों से मेल खाते हैं, जो व्यापक क्षेत्रीय सांस्कृतिक संपर्क का संकेत देते हैं।