DRDO ने ‘एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS)’ का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया

DRDO ने ‘एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS)’ का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया

भारत की रक्षा क्षमता में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ गई है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (Integrated Air Defence Weapon System – IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। इस प्रणाली के जरिए सीमा क्षेत्रों और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों पर लंबी दूरी की मिसाइलों, विमानों और मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) जैसे खतरों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता सुनिश्चित होगी।


IADWS: एक बहुस्तरीय (Multi-Layered) रक्षा कवच

IADWS को इस तरह तैयार किया गया है कि यह निगरानी (Surveillance), खतरे की पहचान (Threat Detection) और उनके निवारण (Neutralization) में एकीकृत तरीके से काम कर सके। इसमें कई परतों वाली हथियार प्रणालियाँ शामिल हैं, जो अलग-अलग स्तरों पर सुरक्षा प्रदान करती हैं।


IADWS के प्रमुख घटक

1. क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM)

  • स्वदेशी रूप से DRDO द्वारा विकसित।

  • रेंज: 5 किमी से 30 किमी तक।

  • उद्देश्य: दुश्मन के हवाई हमलों से सेना के हथियारबंद और सैन्य वाहनों के काफिले की सुरक्षा करना।

  • इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म (जैसे ट्रक) पर तैनात किया जा सकता है, जिससे यह चलती स्थिति में भी हवाई रक्षा दे सके।


2. एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS)

  • विकसित: अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI)।

  • श्रेणी: मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS)

  • उद्देश्य: कम दूरी और कम ऊँचाई पर उड़ान भरने वाले हवाई खतरों (जैसे हेलिकॉप्टर, ड्रोन, कम ऊँचाई वाले विमान) को नष्ट करना।


3. हाई पावर लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW)

  • विकसित: उच्च ऊर्जा प्रणाली एवं विज्ञान केंद्र।

  • तकनीक: उच्च शक्ति वाले लेजर बीम द्वारा लक्ष्य पर प्रहार।

  • विशेषताएँ:

    • प्रकाश की गति से हमला करने में सक्षम।

    • लक्ष्य की संरचना को नुकसान पहुँचाकर उसे निष्क्रिय करना।

    • दुश्मन के वॉरहेड को निशाना बनाने पर और भी अधिक प्रभावी।


4. कमान सेंटर

  • विकसित: रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL)।

  • भूमिका:

    • IADWS के सभी हथियार घटकों का केंद्रीकृत नियंत्रण।

    • निगरानी, खतरे का आकलन और हथियार प्रणाली की तैनाती का समन्वय।

  • DRDL इस पूरे कार्यक्रम की नोडल प्रयोगशाला है।


IADWS क्यों है महत्वपूर्ण?

  • बहुस्तरीय सुरक्षा: यह प्रणाली छोटे UAVs से लेकर लंबी दूरी की मिसाइलों तक विभिन्न हवाई खतरों को निष्क्रिय कर सकती है।

  • तेज़ प्रतिक्रिया क्षमता: QRSAM और VSHORADS के संयोजन से यह अल्प समय में कार्रवाई कर सकती है।

  • भविष्य की तकनीक: लेजर-आधारित DEW भारत की रक्षा प्रणाली में नई तकनीकी क्रांति का प्रतीक है।

  • रणनीतिक सुरक्षा: सीमा क्षेत्रों, हवाई ठिकानों, और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को मजबूत करेगा।


निष्कर्ष

IADWS का सफल परीक्षण भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता (Atmanirbhar Bharat in Defence) की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। यह केवल पारंपरिक हवाई खतरों से रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य के ड्रोन युद्धों और हाई-टेक हमलों से निपटने की क्षमता भी प्रदान करता है। आने वाले समय में इसके और परीक्षण एवं तैनाती से भारत की हवाई सुरक्षा और अधिक मजबूत होगी।