📉 6 साल के निचले स्र पर खुदरा महंगाई – आम आदमी को बड़ी राहत!
अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर गिरकर 3.16% पर आ गई, जो पिछले 6 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। मार्च में यह दर 3.34% थी और अप्रैल 2024 में 4.83% थी। यह गिरावट मुख्यतः सब्ज़ियों, फलों, दालों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के दामों में कमी की वजह से दर्ज की गई है।
🔍 खुदरा महंगाई क्या होती है?
खुदरा महंगाई (Retail Inflation) को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI) के ज़रिए मापा जाता है। CPI उस औसत मूल्य वृद्धि को दर्शाता है जो आम उपभोक्ताओं को वस्तुओं और सेवाओं के लिए चुकानी पड़ती है। यदि CPI बढ़ता है, तो इसका मतलब है कि रोज़मर्रा की चीजें महंगी हो रही हैं।
📊 ताजा आंकड़ों में क्या खास है?
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अप्रैल 2025: 3.16%
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मार्च 2025: 3.34%
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अप्रैल 2024: 4.83%
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जुलाई 2019 के बाद सबसे कम महंगाई (तब 3.15%)
🍛 खाद्य महंगाई में बड़ी राहत
खाद्य महंगाई दर:
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अप्रैल 2025: 1.78%
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मार्च 2025: 2.69%
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अप्रैल 2024: 8.7%
👉 इसका मतलब है कि खाने-पीने की चीजों की कीमतें बहुत धीरे-धीरे बढ़ रही हैं, जिससे आम लोगों के बजट पर कम दबाव पड़ा है।
🏦 RBI की भूमिका और ब्याज दरों पर असर
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ज़िम्मेदारी होती है कि वह महंगाई को 4% ± 2% के दायरे में रखे। अभी महंगाई इस लक्ष्य से भी नीचे है, इसलिए RBI ने दो चरणों में 50 बेसिस प्वाइंट की दर से रेपो रेट घटाया है।
📉 रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। जब रेपो रेट घटती है:
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बैंक सस्ते में कर्ज लेते हैं,
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आम जनता को लोन सस्ते मिलते हैं,
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बाज़ार में खर्च बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।
🔮 भविष्य का अनुमान – RBI का प्रोजेक्शन
RBI ने FY 2025-26 के लिए महंगाई दर का अनुमान कुछ इस तरह लगाया है:
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पहली तिमाही: 3.6%
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दूसरी तिमाही: 3.9%
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तीसरी तिमाही: 3.8%
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चौथी तिमाही: 4.4%
📈 विशेषज्ञों की राय
सुजन हजरा, चीफ इकोनॉमिस्ट, आनंद राठी ग्रुप के अनुसार:
“खाद्य व कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से महंगाई RBI के 4% लक्ष्य से नीचे रह सकती है। इससे आगामी मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में रेपो रेट में और कटौती की संभावना बन सकती है। हालांकि, सेवाओं में लगातार बढ़ती महंगाई कोर इंफ्लेशन पर दबाव बना सकती है।”
🙌 आम आदमी के लिए क्या मायने हैं?
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खर्च में राहत: खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में गिरावट से मासिक बजट सुधर सकता है।
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सस्ते लोन की उम्मीद: रेपो रेट में कटौती से होम लोन, ऑटो लोन आदि सस्ते हो सकते हैं।
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बढ़ती क्रय शक्ति: जब महंगाई कम होती है, तो आम लोग ज़्यादा चीजें खरीद सकते हैं।
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शेयर बाजार को बढ़ावा: ब्याज दरें घटने से कंपनियों के मुनाफे बढ़ सकते हैं, जिससे शेयर बाज़ार में तेजी आ सकती है।
✅ निष्कर्ष
अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई में आई यह गिरावट सरकार और आम लोगों दोनों के लिए राहत की खबर है। यदि यह रुझान जारी रहा, तो अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।