महिला कार्यबल भागीदारी और महिला-नेतृत्व वाली उद्यमिता: भारत की नई विकास यात्रा

👩‍💼 महिला कार्यबल भागीदारी और महिला-नेतृत्व वाली उद्यमिता: भारत की नई विकास यात्रा

भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। हाल के वर्षों में, महिलाएँ केवल लाभार्थी नहीं रही हैं, बल्कि वे निर्णयकर्ता, उद्यमी और नवप्रवर्तक के रूप में उभर रही हैं। नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के आँकड़े इस परिवर्तन को और स्पष्ट करते हैं।


📊 महिला कार्यबल भागीदारी में ऐतिहासिक वृद्धि

  • महिला कार्यबल भागीदारी दर (WPR):

    • 2017-18 → 22%

    • 2023-24 → 40.3% (लगभग दोगुनी वृद्धि)

  • बेरोजगारी दर:

    • 2017-18 → 5.6%

    • 2023-24 → 3.2%

यह आँकड़े बताते हैं कि भारत की महिलाएँ अब कार्यक्षेत्र में बड़ी संख्या में शामिल हो रही हैं और रोजगार के अवसरों में असमानता धीरे-धीरे कम हो रही है।


🌾 ग्रामीण और शहरी परिदृश्य

  • ग्रामीण क्षेत्रों में महिला रोजगार में 96% वृद्धि दर्ज हुई है।

  • शहरी क्षेत्रों में महिला रोजगार में 43% वृद्धि हुई है।

यह दर्शाता है कि बदलाव सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि गाँवों की महिलाएँ भी अब आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वतंत्रता की ओर अग्रसर हैं।


💼 स्व-रोजगार और उद्यमिता की ओर बढ़ता कदम

  • महिला स्व-रोजगार:

    • 2017-18 → 51.9%

    • 2023-24 → 67.4% (लगभग 30% की वृद्धि)

इससे स्पष्ट है कि महिलाएँ केवल नौकरी की तलाश में नहीं हैं, बल्कि वे रोजगार देने वाली उद्यमी भी बन रही हैं।


🚀 महिला-नेतृत्व वाली उद्यमिता की सफलता

  1. स्टार्ट-अप्स में भागीदारी:

    • लगभग 50% DPIIT-पंजीकृत स्टार्ट-अप्स में कम से कम एक महिला निदेशक है।

  2. वित्तीय समावेशन:

    • कुल मुद्रा ऋणों का 68% महिलाओं को मिला।

    • पीएम स्वनिधि योजना के 44% लाभार्थी महिलाएँ हैं।

  3. MSMEs में वृद्धि:

    • 2010-11 → 1 करोड़

    • 2023-24 → 1.92 करोड़ महिला-नेतृत्व वाले MSMEs

    • इनसे 89 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए।

  4. जेंडर बजट:

    • पिछले दशक में 429% वृद्धि

    • यह परिवर्तन दर्शाता है कि भारत अब “महिलाओं का विकास” से “महिला-नेतृत्व वाले विकास” की ओर बढ़ रहा है।


🌐 महिलाओं का विकास बनाम महिला-नेतृत्व वाला विकास

👩 महिलाओं का विकास (Women Development)

  • इसमें महिलाओं को लाभार्थी माना जाता है।

  • योजनाएँ और कार्यक्रम महिलाओं के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन निर्णय लेने में उनकी सीधी भूमिका नहीं होती

👩‍💼 महिला-नेतृत्व वाला विकास (Women-Led Development)

  • इसमें महिलाएँ सिर्फ लाभार्थी नहीं, बल्कि निर्णयकर्ता और बदलाव की अगुवा होती हैं।

  • उन्हें विकास प्रक्रिया में अग्रणी, नीति-निर्माता और उद्यमी के रूप में देखा जाता है।

👉 यही दृष्टिकोण भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे ले जाएगा।


✨ निष्कर्ष

भारत में महिला कार्यबल की भागीदारी और उद्यमिता में वृद्धि केवल आँकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक-आर्थिक क्रांति है।

  • यदि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो महिलाओं की कार्यबल भागीदारी को 70% तक बढ़ाना होगा।

  • यह यात्रा केवल महिलाओं के विकास की नहीं, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की है, जहाँ महिलाएँ भारत के भविष्य को दिशा देंगी।