मुक्त आवागमन व्यवस्था (Free Movement Regime): भारत-म्यांमार सीमा पर बदलती स्थिति
भारत और म्यांमार की सीमा पर लंबे समय से सांस्कृतिक, सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। इन्हीं संबंधों को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों ने “मुक्त आवागमन व्यवस्था (Free Movement Regime – FMR)” लागू की थी। लेकिन बदलते हालात और सुरक्षा चुनौतियों के कारण अब इसमें बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।
हालिया स्थिति
असम राइफल्स के अनुसार, लगभग 42,000 म्यांमार नागरिक नयी मुक्त आवागमन व्यवस्था के तहत भारत में प्रवेश कर चुके हैं। यह दर्शाता है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में इस व्यवस्था का कितना व्यापक असर है।
मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) क्या है?
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यह भारत और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय समझौता है।
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इसके तहत सीमावर्ती इलाकों में रहने वाली जनजातियों को पासपोर्ट या वीजा की आवश्यकता नहीं होती।
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वे सीमा से 16 किलोमीटर भीतर तक स्वतंत्र रूप से आ-जा सकते हैं।
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इस व्यवस्था को 2018 में औपचारिक रूप दिया गया था।
👉 इसका मुख्य उद्देश्य था – स्थानीय समुदायों के सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक रिश्तों को बनाए रखना।
समाप्ति की घोषणा
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फरवरी 2024 में केंद्रीय गृह मंत्री ने सुरक्षा और जनसांख्यिकीय चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस व्यवस्था को समाप्त करने की घोषणा की।
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हालांकि, अभी तक इसकी औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
नई आवागमन व्यवस्था (दिसंबर 2024 से लागू)
पुरानी FMR व्यवस्था की जगह सरकार ने नई व्यवस्था लागू की है। इसकी मुख्य विशेषताएँ:
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वैध एकल-प्रवेश पास (Single Entry Pass)
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म्यांमार नागरिक भारत की सीमा से 10 किलोमीटर भीतर तक प्रवेश कर सकते हैं।
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पास की वैधता 7 दिन होगी।
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प्रवेश और वापसी की शर्तें
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प्रवेश के समय असम राइफल्स द्वारा पास जारी किया जाएगा।
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वापसी उसी क्रॉसिंग पॉइंट से करनी होगी जहाँ से प्रवेश किया गया था।
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नियंत्रण और निगरानी
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हर सीमा क्रॉसिंग पॉइंट पर असम राइफल्स के जवान, पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारी तैनात रहेंगे।
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इससे सुरक्षा जांच और स्वास्थ्य परीक्षण सुनिश्चित होगा।
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महत्व और चुनौतियाँ
महत्व
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सीमावर्ती जनजातियों को अपने पारिवारिक और सांस्कृतिक रिश्ते बनाए रखने की सुविधा मिलती है।
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व्यापार और सामाजिक संपर्क जारी रहता है।
चुनौतियाँ
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अवैध प्रवास, हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी की आशंका।
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आंतरिक सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन पर खतरा।
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स्थानीय स्तर पर संसाधनों और रोजगार पर दबाव।
निष्कर्ष
मुक्त आवागमन व्यवस्था भारत-म्यांमार सीमा पर रहने वाले समुदायों के लिए जीवन का अहम हिस्सा रही है। लेकिन बदलते भू-राजनीतिक हालात, सुरक्षा चुनौतियों और अवैध गतिविधियों के कारण सरकार को इसमें बदलाव करना पड़ा है। नई व्यवस्था संतुलन बनाने की कोशिश है – सुरक्षा भी बनी रहे और सीमावर्ती लोगों के सांस्कृतिक रिश्ते भी कायम रहें।